- आईजी ने तलब की फाइल
- कार्रवाई का दिया निर्देश
GORAKHPUR: नेपाल में मधेस आंदोलन के दौरान गलत तरीके से धन कमाने वाले पुलिस कर्मचारी जांच में फंसने लगे हैं। डीआईजी की रिपोर्ट में दोषी पाए गए पुलिस कर्मचारियों की दोबारा तैनाती सवालों के घेरे में आ गई है। शिकायत होने पर आईजी जोन हरीराम शर्मा ने मामले में कार्रवाई का निर्देश दिया है।
शिकायत पर हुई थी जांच
मधेस आंदोलन के दौरान नेपाल बार्डर पर आवाजाही ठप थी। आंदोलन के चलते भारतीय गाडि़यों को नेपाल में जाने से रोका जा रहा था। सोनौली बार्डर पर खड़े सैकड़ों माल वाहकों को बार्डर कराने में पुलिस ने भारी खेल खेला। रुपए लेकर वाहनों को नेपाल भेजा गया। इसकी शिकायत भारत नेपाल मैत्री समाज के महामंत्री, कार्यवाहक अध्यक्ष अनिल गुप्ता ने पूर्व डीआईजी से की थी। डीआईजी की जांच में पुलिस कर्मचारियों को दोषी पाया गया। डीआईजी के निर्देश पर पुलिस वालों को हटा दिया। लेकिन अपने प्रभाव के बूते उन लोगों ने दोबारा तैनाती पा ली। बार्डर पर तेल सहित कई मामलों में कमाई का खेल चलता रहा। इसकी शिकायत कुछ दिन पहले आईजी जोन से हुई। आईजी की पड़ताल में पुलिस कर्मचारी दोषी पाए गए।
आईजी ने दिया कार्रवाई का निर्देश
मामले में दोषी पुलिस कर्मचारियों की दोबारा पोस्टिंग पर आईजी ने नाराजगी जताई। उन्होंने इस मामले मे पुलिस कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई का निर्देश एसपी महराजगंज को दिया। पुलिस से जुड़े लोगों का कहना है कि इस मामले में एफआईआर दर्ज कराई जा सकती है। एक सीओ और छह पुलिस कर्मचारी कार्रवाई की जद में हैं। शिकायतकर्ता ने तत्कालीन कोतवाली प्रभारी ओमकार नाथ, सोनौली चौकी प्रभारी भरत यादव, एचसीपी रामानुज यादव, कांस्टेबल रामप्रीत भारद्वाज, हेम नारायण, राम प्रवेश और उमेश पर आरोप लगाए हैं।