- सीआरपीएफ जवान से रिश्वत लेने का वीडियो वायरल होते ही जा धमकी पुलिस

GORAKHPUR: शासन द्वारा पुलिस को मित्र पुलिस का तमगा दिया जाता है। पुलिस की छवि सुधारने के लिए पिछले दिनों वर्कशॉप भी हुई थी। लेकिन लगता है पुलिस ने ठान लिया है कि वह न खुद सुधरेगी और न छवि सुधारेगी। सीआरपीएफ जवान से रिश्वत लेने का वीडियो वायरल क्या हुआ, घूसखोर पुलिस गुंडई पर ही उतर आई। मामले में समझौता के लिए दबाव बनाने पुलिस सोमवार की आधी रात सीआरपीएफ जवान के घर पर पहुंच गई। जमकर बवाल किया। दरवाजा पीटते हुए गाली-गलौज किया। डर के मारे महिलाएं घर में दुबकी रहीं। जवान के पिता केदार भी सहमे रहे। किसी का दरवाजा खोलने का साहस तक न हुआ। मंगलवार को सीआरपीएफ जवान ने इसकी जानकारी आला अफसरों को दी। आईजी ने मामले में केस दर्ज करते हुए जांच एसपी सिटी को सौंप दी है।

डर के मारे घर छोड़ा

पुलिस वालों का आतंक इतना कि सीआरपीएफ जवान हनुमान सिंह और भाई महेश रात में घर पर नहीं थे। हनुमान ने बताया कि उसे पहले से ही डर था कि पुलिस रात में घर आकर उसके और भाई के साथ कुछ गलत कर सकती है। इसलिए वह अपने परिवार वालों को बताकर छोटे भाई महेश के साथ अपने एक रिश्तेदार के वहां चला गया। रात में मोबाइल पर थाने से फोन कर समझौते के लिए दबाव बनाया जा रहा था। इसी बीच घर वालों से भी बात हुई। वे रात में पुलिस के धमकाने से घबराए हुए थे।

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डीजीपी के आदेश पर सिपाही सस्पेंड

मंगलवार को मामले में डीजीपी ने संज्ञान लिया। उनके निर्देश पर आरोपी सिपाही शिवजी सिंह और रणविजय सिंह को सस्पेंड कर दिया गया। इसके पहले घूस लेने का वीडियो वायरल होने पर एसपी सिटी ने आरोपी सिपाहियों को लाइन हाजिर कर दिया था।

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रात में मांगने गए थे तहरीर!

इस संबंध में सहजनवां पुलिस का कहना है कि वे लोग उसके घर इसलिए गए थे कि उसे मामले में कोई तहरीर देनी है तो दे दे। अब सवाल यह उठता है कि पुलिस को तहरीर ही लेनी थी तो वह आधी रात क्यों गई थी? पुलिस अपने ही खिलाफ तहरीर लेने के लिए इतनी उतावली क्यों थी?

वर्जन

पुलिस पीडि़त की मदद के लिए ही गई थी। गाली देने का आरोप झूठा है।

- बृजेश यादव, एसओ, सहजनवां

डीजीपी के आदेश पर दोनों आरोपी सिपाहियों को सस्पेंड कर दिया गया। उनके खिलाफ केस दर्ज करने के साथ ही मामले की जांच एसपी सिटी को दी गई है।

- मोहित अग्रवाल, आईजी जोन गोरखपुर