- अचानक जागी पुलिस, शुरू हुई कार्रवाई
- देसी शराब का कारोबार रोकने को चला अभियान
GORAKHPUR: जिले में गली-गली में मौत की कच्ची बिकती है। लखनऊ में हुई घटना के बाद जिले में ट्यूज्डे को अभियान चलाया गया। डीएम, एसएसपी के आदेश पर सैकड़ों कच्ची शराब की भट्ठियां तोड़ी गई। कच्ची शराब के बनने और बिकने से इंकार करने वाली पुलिस ठंड में खूब दौड़ी। पुलिस और आबकारी विभाग की कार्रवाई से हड़कंप मच गया।
दिन भर दौड़ी पुलिस, म्म् जगहों पर पड़ी दबिश
सिटी से लेकर देहात तक कच्ची का कारोबार फैला हुआ है। ट्यूज्डे को एक आदेश जारी हुआ जिसके बाद सभी जगहों पर टीम बनाकर कार्रवाई शुरू हो गई। सिटी से लेकर देहात तक पुलिस टीम कच्ची की भट्ठियों पर दौड़ पड़ी। जिले के विभिन्न थाना क्षेत्रों में कुल म्म् जगहों पर दबिश दी गई। इस दौरान पुलिस ने क्0ख्भ् लीटर अवैध कच्ची शराब बरामद की। क्क्0 कुंतल लहन नष्ट किया गया। फ्क् लोगों को पुलिस ने अरेस्ट किया। उधर जिला आबकारी टीम ने रजहीं नर्सरी और हार्बट बंधे पर कार्रवाई की। इस दौरान अवैध शराब बनाने वाली क्ख् भट्ठियों को तोड़ा गया। ब्भ् क्िवटल महुआ लहन नष्ट किया गया। ब्00 लीटर शराब भी बरामद हुई।
शराब नहीं बनती तो अड्डे पर कैसी पहुंची पुलिस
डीएम ने जब कार्रवाई को कहा तो पुलिस अड्डों पर पहुंच गई। खेतों की पगडडियों होकर सीधे भट्ठियों पर पुलिस पहुंची। पुलिस की कार्रवाई को लेकर खूब चर्चा रही। लोगों ने कहा कि शिकायत करने पर पुलिस शराब बनने से इंकार करती है। कार्रवाई का आदेश आने पर पुलिस बिना जाने कैसे फैक्ट्रियों पर पहुंच गई। तीन चार जगहों पर शराब बंद रखने की हिदायत भी दी गई।
ईट भट्ठों पर चलती है कच्ची की फैक्ट्री
जिले में कच्ची शराब का कारोबार ईट भट्ठों पर भी होता है। ईट भट्ठों पर काम करने वाले मजदूर शराब बनाकर बेचते हैं। यहां से होने वाली कमाई का हिस्सा भट्ठा मालिकों को भी मिलता है। खजनी, गगहा, चौरीचौरा, पीपीगंज, सहजनवां, हरपुर बुदहट सहित कई थाना क्षेत्रों में ईट भट्ठों पर कच्ची की बिक्री पकड़ी जा चुकी है। दो साल पहले शराब बिकता पाए जाने पर भट्ठा मालिकों के खिलाफ गैंगेस्टर की कार्रवाई का निर्देश पुलिस ने जारी किया था।
क्0 रुपए में नशा फुल, मस्ती झमाझम
जिले में दो तरह से कच्ची शराब बनाई जाती है। एक तरफ महुआ के इस्तेमाल से शराब बनती है। तो दूसरी तरफ स्प्रिट का यूज करके। स्प्रिट, मिथाइल एल्कोहल से शराब बनाने में एक लीटर में ख्0 लीटर दारू बन जाती है।
महुआ हुआ महंगा, बढ़ गया दवाओं का यूज
कच्ची शराब बनाने का तरीका पारंपरिक है। महुआ का इस्तेमाल करके कच्ची बनाई जाती है। महुआ को गुड़ के साथ मिक्स करके भिगो कर रख दिया जाता है। इस प्रक्रिया को पॉश बनाना कहते हैं। इसे लहन के नाम से भी जाना जाता है। महुआ का उत्पादन कम होने से कच्ची शराब बनाने से इस्तेमाल होने लगा। शराब का नशा बढ़ाने के लिए कारोबारियों ने यूरिया, नौसादर, मेडेक्स की गोलियों का इस्तेमाल किया जाने लगा। मेडेक्स के अभाव में उसकी जगह कुनैन की गोलियां डाली जा रही हैं। नशा बढ़ाने के चक्कर में अधिक डोज लेने से लोगों की मौत हो जाती है। दवाओं के प्रभाव से शराब जहरीली हो जाती है।
पहले भी चल चुका है अभियान
जिले में फैले कच्ची के कारोबार को खत्म कराने की कई बार कोशिश हुई। वर्ष ख्0क्0 में तत्कालीन डीआईजी असीम अरुण ने अंडर ट्रेनिंग दरोगाओं की टीम बनाई। पिपराइच के तिनकोनिया नर्सरी में शराब के अवैध कारोबार को खत्म करने के लिए काफी प्रयास हुए। अन्य थाना क्षेत्रों में भी इस अभियान को जारी रखा गया लेकिन कारोबार बंद नहीं हो सका। पुलिस विभाग के लोगों का कहना है कि अभियान के बाद भट्ठियों का रेट बढ़ गया। एक हजार से दो हजार देने वालों से डीआईजी की सख्ती का डर बताकर पांच हजार रुपए प्रतिमाह की वसूली शुरू हो गई। हाल ही में नौसढ़ में कच्ची शराब बंद कराने के लिए महिलाओं ने एसएसपी आफिस पर प्रदर्शन किया था।
इन जगहों पर बिकती है शराब
जिले में राजघाट, गोरखनाथ, चिलुआताल, गुलरिहा, खोराबार, कैंट और तिवारीपुर एरिया में कच्ची का कारोबार होता है। शाहपुर एरिया में कुछ जगहों पर शराब का कारोबार होता है। देहात में कैंपियरगंज, पीपीगंज, सहजनचां, पिपराइच, चौरीचौरा, झंगहा, बेलीपार, गगहा, बेलघाट, हरपुर बुदहट, बड़हलगंज, बांसगांव, सिकरीगंज, गोला और उरुवा बाजार में कच्ची का कारोबार होता है। जांच के दौरान इसकी पुष्टि भी हो चुकी है। ईट भट्ठों, नदी, ताल और नालों के किनारे, खेतों और जंगल के किनारे कच्ची की भट्ठियां चलती है।
कच्ची शराब के कारोबार को बंद कराने के लिए अभियान शुरू किया गया है। यह अभियान आगे भी चलता रहेगा। इसमें किसी तरह की लापरवाही पाए जाने पर कार्रवाई की जाएगी।
दिलीप कुमार, एसएसपी
जहरीली शराब से मौतें
-उत्तर प्रदेश में सितम्बर ख्009 में फ्0 लोगों की जान गई थी।
-अक्टूबर ख्0क्फ् में आजममढ़ में जहरीली शराब पीने से ख्ख् की मौत।
-दिसंबर ख्0क्क् में पश्चिम बंगाल में जहरीले शराब पीने से क्म्0 की मौत।
-जनवरी ख्0क्ख् में आंध्र प्रदेश में जहरीली शराब पीने से क्8 की मौत।
-फरवरी ख्0क्ख् में ओडि़शा में जहरीली शराब पीने से फ्ख् की मौत
-क्99ख् में कटक में जहरीली शराब पीने से लगभग ख्00 की मौत।
- फरवरी ख्0क्0 में तमिलनाडु में कम से कम क्0 लोग मारे गए।
-जुलाई ख्009 में गुजरात में लगभग क्07 लोग मिलावटी शराब पीने की वजह से मारे गए थे।
यूपी में फल-फूल रहा जहरीली शराब का कारोबार
प्रदेश के जिलों के ग्रामीण इलाकों और कस्बों में बन रही कच्ची शराब में महुआ के लहन के साथ यूरिया, नींद की गोली, जानवरों वाले इंजेक्शन और स्प्रिट मिलाई जाताी है। सरकारी दामों से काफी सस्ती और आसानी से उपलब्धता के कारण गरीब तबका इस जहर की जकड़ में है। कच्ची शराब में मिथाइल अल्कोहल की मात्र अधिक होने पर यह जहरीली हो जाती है। इसको बनाने के लिए पानी की अधिक जरूरत पड़ती है, यही वजह है कि नदी के किनारे वाले इलाकों या तालाबों के पास इनकी भट्ठियां होती हैं
क्या है मिथाइल एल्कोहल?
मिथाइल एल्कोहल का यूज तमाम दुकानों में प्लाईवुड, पेंट की फैक्ट्रियो में किया जाता है। इन्हीं डिस्टिलरियों से जब यह कैमिकल भरे टैंकर निकलते हैं तो रास्ते में इन्ही टैंकरो से कच्ची शराब के कारोबारी इस केमिकल को खरीदते हैं और स्प्रिट मिलाकर इसको बतौर कच्ची शराब धड़ल्ले से बेचते हैं। एक अनुमान के मुताबिक उत्तर प्रदेश में भ् हजार करोड़ का है अवैध शराब का धंधा, पुलिस और आबकारी विभाग की कमाई का एक बड़ा स्त्रोत है। उत्तर प्रदेश में हरियाणा और मध्य प्रदेश के रास्ते से अवैध शराब लाई जाती है। बता दें कि भारत में गुजरात, मिजोरम और नागालैंड तीन ऐसे राज्य हैं जहां शराब पर पूरी तरह प्रतिबंध है।