- वसूली के सौ फंडे, बचकर दिखाओ तो जानें

- अफसरों को चाहिए पक्का सबूत, शिकायत पर होगी कार्रवाई

GORAKHPUR : जिले के नए कप्तान ने कार्यभार संभालते ही कई वादे किए। आमजन के बीच पुलिस की मौजूदगी का अहसास कराने का भरोसा दिलाया। कहा कि अच्छी पुलिसिंग से पब्लिक का दिल जीतेंगे। पुलिसवालों की शिकायत नहीं मिलने पाएगी। थानों पर अच्छा व्यवहार किया जाएगा। कोई पुलिसवाला अवैध वसूली नहीं करेगा। कार्यभार के पहले दिन चेताया कि कहीं से शिकायत मिली तो कार्रवाई होगी। अफसोस, सभी निर्देश नक्कारखाने की तूती बनते जा रहे हैं। थानों और चौकियों पर इसका कोई असर नहीं नजर आ रहा। वसूली के सौ फंडे अपनाने वाली पुलिस से बच पाना मुश्किल नजर आ रहा है। थानों पर किसी काम से गए तो बिना खर्चा-पानी दिए काम नहीं चलेगा। डिमांड नहीं पूरी हुई तो दौड़ते रहिए। यदि किसी अफसर से शिकायत करेंगे तो इसके लिए पूरा सबूत देना पड़ेगा। बिना सबूत के कार्रवाई संभव नहीं है।

अरे, एसओ को पैसा देना पड़ता है

थाने से बाहर कदम निकालने पर पुलिसवाले कीमत वसूल ही लेते हैं। शिकायती प्रार्थना पत्र हो या फिर किसी मामले की जांच पड़ताल। बिना खर्चा पानी के व्हीकल का पहिया नहीं घूमता। मुहमांगी रकम देने पर पुलिस कर्मचारी फौरन निकल जाते हैं। दिन भर की भागदौड़ का खर्चा वसूलकर ही थाने लौटते हैं। यदि किसी ने पैरवी कर दी तो एसओ को बीच मे ले आते हैं। तपाक से बोलते हैं कि एसओ को पैसा देना पड़ता है। हमारा खर्चा मत दीजिए, लेकिन एसओ का हिसाब तो दे दीजिए। दौड़ने के बजाय रुपए देने में लोग अपनी भलाई समझते हैं।

सिपाही ने तो हद कर दी

वेंस्डे को गुलरिहा एरिया के सरहरी चौकी पर तैनात कांस्टेबल ने पासपोर्ट जांच के नाम पर युवक से क्भ् सौ रुपए मांगे।

कांस्टेबल- तुम्हारी जांच आई है पासपोर्ट की। क्भ् सौ दे दो, क्लियर करा देंगे.्र

युवक- साहब, आधा पैसा ले लीजिए।

कांस्टेबल- अरे यार। एसओ को एक हजार देना पड़ता है। ऐसे में साढे सात सौ का हम क्या करेंगे। पूरा पैसा दीजिए, काम हो जाएगा। नहीं देना है तो थाने जाकर साहब से खुद मिल लीजिए।

युवक ने अपने परिचितों से सिपाही को फोन भी कराया। ऐसे में सिपाही ने साफ कहा कि बिना एक हजार दिए काम नहीं चलेगा। करीब सवा घंटे तक मान मनौव्वल करने के बाद युवक क्ब् सौ रुपए देकर घर लौट गया।

हर मामले में फिक्स कमाई, शिकायती जांच की मारामारी

थानों और चौकियों पर हर मामले की कमाई फिक्स होती है। विशेष मामलों में रेट अलग से तय किया जाता है, लेकिन आमतौर पर जो प्रक्रिया अपनाई जाती है उसमें सभी पुलिस कर्मचारियों का हिस्सा होता है। पुलिस सूत्रों की मानें तो थाना, चौकी क्षेत्र में रहने वाली पब्लिक, उसकी इनकम के आधार पर आमदनी तय की जाती है। पुलिस कर्मचारी यह पता कर लेते हैं एरिया में रहने वाले लोगों की इनकम कितनी है। इसके आधार पर वे सामने वाले से जरूरत के अनुसार रुपए की डिमांड करते हैं। थानों और चौकियों के अगल-बगल से गुजरने वाले व्हीकल से सुविधा अनुसार वसूली होती है। थानों पर पड़ने वाले शिकायती प्रार्थना पत्रों की जांच के लिए भी मारामारी होती है। लोग बताते हैं कि जांच के दौरान पुलिसवालों को दोनों पक्षों से फायदा मिलता है।

कमाई के सौ फंडे, बचकर दिखाओ तो जानें

पुलिस के पास कमाई के सौ फंडे हैं। किसी मामले की शिकायत से लेकर जांच तक, सबका थानों और चौकियों पर रेट फिक्स है। मामले, समय और सामने वाले की हैसियत के अनुसार पुलिसवाले डिमांड करते हैं। ऐसे में न्यूनतम रेट तक आते-आते सौदा पट ही जाता है। पुलिस से जुड़े लोगों का कहना है कि देहात से लेकर शहर तक भू माफिया एक्टिव हैं। भू माफियाओं वाले एरिया में पोस्टिंग के लिए पुलिस कर्मचारी मारामारी कर रहे हैं। जिले में थानों और चौकियों पर फिक्स रेट चलता है, लेकिन अलग-अलग एरिया में यह बदलता रहता है। इस रेट को अफसर भी बखूबी जानते हैं। मामला बिगड़ने पर ही इसकी शिकायत होती है। थानों का चक्कर लगाने के फेर में पड़ने के बजाय लोग रुपए देकर काम निपटाने में भलाई समझते हैं। कुछ थानों पर मुकदमा दर्ज कराने के लिए आईपीसी और सीआरपीसी की धाराओं के अनुसार पीडि़त से रुपया लिया जाता है।

मोबाइल गुम होने पर मुहर लगवाई मिनिमम भ्0 रुपए प्रति एप्लीकेशन

शिकायती प्रार्थना पत्र की जांच मिनिमम पांच सौ रुपए प्रति प्रार्थना

पासपोर्ट की जांच मिनिमम क्भ् सौ से लेकर दो हजार प्रति

कैरेक्टर सर्टिफिकेट वेरीफिकेशन मिनिमम क्भ् सौ से लेकर दो हजार प्रति जांच

गन लाइसेंस की जांच पड़ताल मिनिमम क्भ्00 रुपए

भूसा लदी ट्रक-ट्रॉली के गुजरने पर मिनिमम भ्0 रुपए प्रति चक्कर

पिकप, माल वाहक से मिनिमम भ्0 रुपए प्रति चक्कर

पशु लदे व्हीकल मिनिमम क्00 रुपए प्रति चक्कर

कच्ची शराब प्रति भट्ठी मिनिमम पांच हजार रुपए प्रति माह

मिट्टी, बालू वाली ट्राली मिनिमम एक हजार प्रति माह

जंगल में पेड़ कटान मिनिमम पांच सौ रुपए प्रति पेड़

साइकिल पर अवैध लकड़ी मिनिमम सौ रुपए प्रति चक्कर

समझौते की लगती बोली, उठाने-छोड़ने का खेल निराला

थानों और चौकियों पर कमाई का एक अन्य जरिया भी है। दो पक्षों के बीच समझौता कराने के लिए भी बोली लगाई जाती है। ऐसे में दोनों पक्षों से पैसा वसूला जाता है। बात न बनने कोर्ट, कचहरी, वकील की फीस का खर्च जोड़कर बताया जाता है। ऐसे में कई बार पब्लिक समझौता कराने की फीस देना मुनासिब समझती हैं। इसके साथ ही शक के आधार पर उठाने और छोड़ने के मामले में वसूली की शिकायतें सामने आती है। इस तरह के दो दर्जन से अधिक मामलों की जांच चल रही है। जिसमें थाने से छोड़ने के बदले रुपए की मांग की गई। हाल ही में गुलरिहा एरिया में रेप के मामले में उठाए गए युवकों से 70 हजार की वसूली की गई। इसको लेकर सिपाही दो गुटों में बंट गए। दिसंबर मंथ में थाने वसूली को लेकर खोराबार में दो सिपाहियों की बीच जमकर मारपीट हुई। दो दिन पहले वसूली को लेकर एसएसपी ने बरगदवां चौकी की जांच की। जर्जर महेसरा पुल पार कराने के चक्कर में दो सिपाही नप गए। बताया जाता है कि प्रति ट्रक तीन सौ रुपए की वसूली चौकी पर की जाती है।

क्या कहते हैं एसएसपी

एसएसपी ने कहा कि वसूली के आरोप तो लगते हैं, लेकिन बिना किसी सबूत के कार्रवाई संभव नहीं है। यदि किसी के साथ पुलिस अवैध वसूली करती है तो उसकी शिकायत करें। आडियो, वीडियो किसी तरह कोई सबूत देना होगा जिससे आरोप की पुष्टि हो। झंगहा एरिया में पासपोर्ट जांच के नाम पर रुपए मांगने वाले सिपाहियों के खिलाफ कार्रवाई की गई थी। वसूली की शिकायतें सामने आने पर जांच कराई जाती है। दोषी पाए जाने पर संबंधित पुलिस कर्मचारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाती है।

अवैध वसूली का सबूत देने पर निश्चित रूप से कार्रवाई होगी। कोई भी पीडि़त व्यक्ति इस तरह के मामले की शिकायत कर सकता है।

दिलीप कुमार, एसएसपी