- कभी भी गिर सकते हैं शहर में 12 हजार पोल, हालत बेहद जर्जर
- बदलने के लिए भेजा गया था एस्टीमेट, लेकिन हो गया खेल
GORAKHPUR: सिटी में यूं तो बिजली के पोल लगाए गए हैं रोशनी के लिए। लेकिन 12 हजार जर्जर पोल लोगों को डरा रहे हैं। अगर किसी दुर्घटना में यह पोल गिर गए तो न सिर्फ कई घरों में अंधेरा छा जाएगा, बल्कि कइयों की जान पर भी बन आएगी। हैरानी की बात ये है कि सिटी के कुल 75 हजार पोल में 32 हजार पोल एक साल पहले ही जर्जर हो चुके थे। इनको बदलने का इस्टीमेट तैयार कर एक साल पहले भेजा गया लेकिन इस्टीमेट में खेल हो गया। मात्र 20 हजार पोल्स बदलने की ही स्वीकृति मिली। इनके बदलने की कवायद शुरू भी हो गई है। लेकिन अभी भी 12 हजार पोल शहर की गलियों में आने-जाने वाले लोगों को डरा रहे हैं।
जुगाड़ से खड़े हैं पोल
इस बारे में एक जूनियर इंजीनियर का कहना है कि कोई भी पोल अगर जंग लगने के कारण नीचे से कमजोर हो जाता है तो उसको एक बार मरम्मत करके सपोर्टर लगाने का नियम है। लेकिन कई पोल ऐसे हैं जिनमें दो-तीन बार सपोर्टर लगाया गया है। इसके अलावा पोल लगाते समय चार फीट तक सीमेंटेड करना होता है। लेकिन यह काम केवल मुख्य सड़कों पर होता है अंदर की गलियों में चेंबर नहीं बनता है। जुगाड़ तकनीक से जैसे-तैसे पोल जमीन पर खड़े तो हैं। लेकिन यह बिजली के तारों का बोझ कब तक संभाल पाएंगे, कहना मुश्किल है।
तीन तरह के लगाए जाते हैं पोल
पोल उम्र
एसटीपी (स्टील टूब्ययलर पोल)- 15 से 20 साल
रेल पोल - 50 साल
ईसीसी पोल - 70 से 80 साल
(गोरखपुर में सबसे अधिक पोल एसटीपी वाले हैं.)
स्काडा योजना के तहत बड़ी संख्या में पोल बदले जा रहे हैं। कुछ पोल तकनीकी कारणों से इस योजना में शामिल नहीं हो पाए थे, उनको जल्द ही किसी दूसरी योजना में शामिल कर बदल दिया जाएगा।
- एके सिंह, एसई, महानगर विद्युत वितरण निगम