- प्लास्टर और सामान के नाम पर लाखों गए डकार

- जांच कमेटी ने की घोटाले की पुष्टि, शासन को जाएगी रिपोर्ट

GORAKHPUR: जिला अस्पताल में प्लास्टर के नाम पर लाखों का घोटाला सामने आया है। अस्पताल में एक चीफ फार्मासिस्ट पर शक होने पर उसकी जगह दूसरे की ड्यूटी लगाने पर घोटाले की हकीकत सामने आई है। हर महीने मरीजों से लिए जाने वाले न्यूनतम शुल्क में 50 हजार रुपये का घपला हुआ है। आर्थो विभाग में इंस्ट्रुमेंट्स की खरीद में भी भारी डिफरेंस सामने आया है। मामला पकड़ में आने के बाद एसआईसी ने जांच कमेठी गठित की थी। रिपोर्ट में घपले की पुष्टि हो गई है। अस्पताल प्रशासन चीफ फार्मासिस्ट से स्पष्टीकरण मांगने के साथ रिपोर्ट शासन को भेजने की तैयारी में है।

फार्मासिस्ट बदला तो खुली पोल

जिला अस्पताल में प्लास्टर करने की जिम्मेदारी जनवरी 2013 से 30 जनवरी 2015 तक चीफ फार्मासिस्ट रमाशंकर विश्वकर्मा के पास थी। इनके कार्यकाल में मंगाए गए सामान का एक महीने का औसत और मरीजों को किए गए प्लास्टर का औसत निकाला गया। उन्होंने जो सामान मंगाया, उसमें महज 95 मरीजों का ही प्लास्टर किया गया। सामने आया कि कुछ ही मरीज को रसीद दी जाती है, बाकी का रुपया कर्मचारी गोल कर देते हैं। मामला उजागर होने के बाद एसआईसी ने शक के आधार पर रमाशंकर को हटाकर यह जिम्मेदारी दूसरे कर्मचारी को दे दी। इसके बाद एक फिर एक महीने के सामान और मरीज का औसत निकाला गया, जो बिल्कुल उलट आया। नया कर्मचारी आने के बाद कम सामान में दोगुने से भी ज्यादा लोगों का प्लास्टर हो गया। जांच कमेटी ने रिपोर्ट एसआईसी को सौंपी तो उनके होश उड़ गए।

95 प्लास्टर में लगा सामान

सामान क्वांटिटी

प्लास्टर ऑफ पेरिस 238 किलो

कॉटन 27 पाउंड

बैंडेज 8 थान

6 इंच रोल 11 दर्जन

4 इंच रोल 99 दर्जन

277 प्लास्टर में लगा सामान

सामान क्वांटिटी

प्लास्टर ऑफ पेरिस 151 किलो

कॉटन 23 पाउंड

बैंडेज 9 थान

6 इंच रोल 10 दर्जन

4 इंच रोल 80 दर्जन

प्लास्टर में घपले की शिकायत मिलने पर जांच कराई गई थी तो हकीकत सामने आ गई है। सरकारी आमदनी का भी घपला हुआ है। स्पष्टीकरण मांगा गया है। शासन को रिपोर्ट भेजी जाएगी।

डॉ। एचआर यादव, एसआईसी