- दुकान के बाहर नींबू-मिर्च लटकाने से कैसे बरसेगी कृपा
- पीके के सवालों से झुंझला गए बाबा, सामने आने को नहीं हुए तैयार
GORAKHPUR : विश्वास जब अंधा हो जाता है तब दिलो-दिमाग पर अंधविश्वास हावी हो जाता है। सच और झूठ की समझ से परे होता है अंधविश्वास, फिर चाहे पढ़ा-लिखा व्यक्ति हो या अनपढ़। पीके को अब तक ये बात समझ में आ चुकी है, लेकिन दुकानों के बाहर लटके नींबू-मिर्च और लोगों की उंगलियों में चमचमाती अगूंठियां उसे अचंभित करती हैं। उसे समझ नहीं आता है कि आखिर कोई पत्थर कैसे किसी इंसान की किस्मत पलट सकता है? घोड़े की नाल कैसे नजर लगने से बचा सकती है? क्या होता है ये बुरा साया? इन सवालों के जवाब ढूंढने पीके निकल पड़ा और फिर क्या हुआ पढि़ए इस रिपोर्ट में।
प्लेस - असुरन चौराहा
सीन - दोपहर दो बजे असुरन मार्केट स्थित एक बेकरी शॉप पर पीके पहुंचा। शॉप के बाहर ही राक्षस जैसी शक्ल का मुखौटा व घोड़े की नाल टंगी हुई थी। पीके अंदर चला गया। दुकानदार ने पूछा, भाई क्या चाहिए तो पीके बोला कि ये दुकान के बाहर इतना गंदा चेहरा क्यों लटकाया हुआ है? इसे देखकर तो ग्राहक वैसे भी डर जाएगा और दुकान में नहीं आएगा। दुकानदार बोला कि ये बुरे साए व बुरी नजरों से बचाता है। पीके इससे पहले कुछ बोलता, उसे दुकान से बाहर कर दिया गया।
पीके का सवाल - बुरी नजर होती क्या है। आंखों से तो देखा जाता है और कोई गंदा सा मुखौटा भला बुरी नजर से कैसे बचा सकता है?
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प्लेस - गिरधरगंज बाजार
सीन - मिठाई की दुकान पर भीड़ लगी थी। दुकान पर एक दो नहीं तीन-तीन नींबू-मिर्च टंगे थे। पीके को देखते ही दुकानदार ने पूछा, कौन सी मिठाई पैक कर दूं भाई साहब? पीके मिठाई की जगह दुकान में टंगे नीबू-मिर्च को ही देखता रहा। दुकानदार बोला, भाई, मिठाई वहां नहीं नीचे है। पीके बोल पड़ा, तो सब्जी ऊपर काहे लटकाए हो? दुकानदार झुंझलाया और मतलब पूछा। पीके बोला कि नीबू-मिर्चियां काहे टांगे हो? दुकानदार बोला, बुरी नजर और बाधाओं से बचने के लिए। पीके बोला, ढाबे पर तो लोग खाने के साथ सलाद के तौर पर रखे नींबू मिर्च?को खा रहे थे, आप ऊपर लटका रखे हो। अजब तमाशा है ई गोला पर।
पीके का सवाल - अगर नींबू मिर्चा लटकाने से तरक्की होती या बुरी नजर से बचाव होता तो फिर सब्जी बेचने वाला क्यों गरीब है? उसे तो दुनिया के अमीर लोगों में से एक होना चाहिए।
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प्लेस - सिविल लाइंस
सीन - मंदिर में खूब खजाना बांटा जाता है। ये सुनकर जब यहां पीके पहुंचा तो आसपास के लोगों ने बताया कि खजाना अपने पास रखने से खूब बरकत होती है। पीके ने लोगों से पूछा कि खजाने में क्या मिलता है तो उत्तर मिला, चवन्नी-अठन्नी के सिक्के जो कि लाल कपड़े में बंधे होते हैं।
पीके का सवाल- अगर चवन्नी-अठन्नी के सिक्के रखने से वैभव आता तो फिर दुनिया में कोई गरीब क्यों होता? अगर मंदिर से मिलने वाले खजाने में कुछ स्पेशल है तो फिर खजाना बांटने वालों के घर में तो इतना पैसा आता कि व रख ही नहीं पाते।
प्लेस- सिविल लाइंस
सीन - खैर, पीके ये सोच ही रहा था कि तभी मंदिर के बाहर एक दुकान पर उसकी नजर गई। यहां शॉप के बाहर लिखा था कि सिद्ध करके रत्न बेचे जाते हैं जो आपकी किस्मत बदल देंगे। पीके ने रत्न बेचने वाले पंडित से कहा कि आप हमारी किस्मत बदल दो और अपनी भी बदल दो ताकि आपको कुछ बेचना न पड़े। इस पर वे बोले, अरे सामान बेचने वाला खुद थोड़ी खाता है, दूसरों को खिलाता है।
पीके का सवाल- अगर रत्न पहनने से किस्मत बदलती है तो फिर क्यों लोग किस्मत खराब होने का रोना रोते हैं? दुनिया भर के रत्न लाद लो और बन जाओ किस्मती।
आई स्टिंग -
ये रही इन बाबाओं की असलियत
पीके ने पल भर में इच्छापूर्ति का दावा करने वाले बाबाओं की सच्चाई सामने लाने के लिए उनसे फोन पर संपर्क किया। रुपए वसूलने के लिए तो उन्होंने पूरा जोर लगाया, लेकिन पीके की लाख कोशिशों के बावजूद अपनी पहचान नहीं खोली। पीके और बाबाओं के बीच हुआ कनवर्सेशन इस प्रकार है।
बाबा नंबर - क्
नाम - फकीर बाबा (वशीकरण स्पेशलिस्ट)
रिपोर्टर - बाबा मैं पीके बोल रहा हूं। एक लड़की को अपने वश में करना है। कैसे होगा?
बाबा- लड़की तुम्हारी हो जाएगी। उसका नाम बता दो। उसके माता-पिता का नाम बता दो और वह कहां रहती है। यह भी बता दो।
रिपोर्टर - बाबा कितने दिनों में लड़की मेरी हो जाएगी?
बाबा- यह तो तुम्हारी मर्जी पर है। जितने रूपए खर्च करोंगे उतनी जल्दी लड़की तुम्हारे वश में होगी। एक दिन में इच्छापूर्ति करवानी है तो इसके लिए दस हजार और अगर एक सप्ताह तक इंतजार कर सकते हो तो पांच हजार रुपए खर्च करने होंगे।
रिपोर्टर - बाबा कुछ कम नहीं हो जाएगा? पैसे की थोड़ी तंगी है। अगर एडजस्ट हो जाए तो बड़ी कृपा होगी।
बाबा- ठीक है। दो हजार कम दे देना। मेरा एकाउंट नंबर लेकर रुपए उसमें डाल दो।
रिपोर्टर- नहीं, मैं तो आपके हाथ में ही रुपए दूंगा। बताइए कहां आना है?
(पीके के इतना कहते ही बाबा ने फोन काट दिया)
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बाबा नंबर - ख्
नाम - जगदीश्वर महाराज (नौकरी दिलाने और मुकदमों से मुक्ति दिलाने के तथाकथित महारथी)
रिपोर्टर- बाबा मैं पीके बोल रहा हूं। नौकरी के लिए परेशान हूं।
बाबा - कैसी नौकरी चाहिए?
रिपोर्टर - क्या आप हर तरह की नौकरी दिला सकते हैं?
बाबा- हां, बिल्कुल, क्लास वन से लेकर हर स्तर तक की नौकरी दिला सकता हूं।
रिपोर्टर - बाबा मैं आईएस बनना चाहता हूं।
बाबा - पांच लाख रुपए खर्च होंगे। क्या दे पाओगे?
रिपोर्टर - कुछ कम हो सकता है क्या?
बाबा - तुम्हारे लिए तीन लाख में काम कर दूंगा। मेरा एकाउंट नंबर लेकर इसमें रुपए डाल दो।
रिपोर्टर - बाबा मैं आपके पास आकर अपनी मार्कशीट आदि दिखाकर रुपए देना चाहता हूं।
बाबा - मैं साधना में लीन रहता हूं। किसी से मिलता नहीं।
रिपोर्टर - नहीं, मैं तो आपके हाथ में ही रूपए दूंगा ताकि बाद में कोई परेशानी नहीं हो।
(इतना कहते ही इन महाशय ने भी फोन कट कर दिया और फोन स्विच ऑफ कर लिया.)