- भगवान का डर दिखाकर ढोंगी मांगते हैं पैसा
- तरह-तरह के सब्जबाग दिखाकर फंसाते हैं जाल में
GORAKHPUR : पूरे ब्रहाण्ड की रचना व संरक्षण करने वाले ईश्वर को किसी अदने से मनुष्य के दान की क्या जरूरत? ईश्वर का कोई स्वरूप किसी भी स्थिति में हमारे पैसे का का इच्छुक नहीं होगा फिर क्यों धर्मस्थलों पर दान-पात्र रखे होते हैं, लोग भगवान का डर दिखाकर पैसा मांगते हैं? क्यों लोग इस उम्मीद से कि भगवान पैसे देखकर प्रसन्न होंगे और उनका काम कर देंगे, रिश्वत देते हैं? शहर के बाजारों और गलियों की खाक छानते पीके को धीरे-धीरे भगवान के नाम पर रचा गया ये खेल समझ आने लगा है। उसके साथ हजारों गोरखपुराइट्स भी अपनी आवाज बुलंद कर पीके का समर्थन कर रहे हैं।
भगवान को किसी के सपोर्ट की क्या जरूरत?
पीके को अपने इस मिशन के दौरान एक बड़ी अहम बात देर से समझ आई। भगवान के नाम का डर दिखाकर कुछ दुकानदार अपनी दुकान चला रहे हैं। आखिर पैसे चढ़ाने से भगवान को क्या लाभ होता है? उससे तो कुछ लोगो की झोलियां ही भरती हैं। जो खुद को भगवान के संपर्क में बताकर आपके दुख दूर करने का दावा करते हैं, उनसे सावधान रहने की जरूरत है। भगवान ने सबको बनाया है तो उनका ध्यान रखना भी उसे बेहतर आता है। उसे आपकी सुनने के लिए किसी और सहारे की जरूरत नहीं है। पीके को ये बात समझ में आ गई है।
सीन क्- पीके दोपहर करीब एक बजे गोरखनाथ रोड पहुंचा। यहां उसे सड़क पर एक कटोरे में भगवान की फोटो रखे देगी। इसे देख पीके ने सामने खड़े आदमी से पूछ लिया, क्यों भाई, भगवान को कटोरे में काहे रखे हो? उसने जवाब दिया, अपनी कमाई तो इन्हीं से होती है, लेकिन इससे आपको क्या दिक्कत है? पीके के मन में सवाल उठा, लेकिन वह बिना कुछ कहे वहां से चल दिया।
पीके का सवाल- भगवान तो खुद ही सबको पैसे देता है फिर उसको पैसों की क्या जरूरत? ई रांग नंबर है भाई।
सीन ख्- दो बजते-बजते पीके हुमायूंपुर रोड पहुंचा। एक दुकान के पास एक महिला भगवान की फोटो राह चलते लोगों को दिखाकर पैसे मांग रही थी। पीके चुप न रह सका, उसने पूछा क्या भगवान की फोटो दिखाकर पैसे मिल जाते हैं? महिला ने जवाब दिया कि इन्हीं की कृपा से हमारी गृहस्थी चलती है। पीके को ये बात बड़ी अजीब लगी।
पीके का सवाल- भगवान तो सबके दिलों में हैं फिर लोग फोटो देखकर क्यों पैसे देने लगते हैं? अपने मन में छिपी तस्वीर क्यों नहीं निहारते?
सीन फ् - असुरन चौराहा पहुंचते-पहुंचते पौने तीन बज चुके थे। यहां तो कई लोग जिनमें बच्चे, महिलाएं और पुरुष शामिल थे, कटोरा लेकर बैठे थे। कोई भगवान का नाम लेकर पैसे मांग रहा था, कोई भगवान की फोटो का इस्तेमाल कर रहा था। पीके का सिर चकरा गया.?उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि कटोरे में बैठे भगवान को रुपए क्यों चाहिए? उसने पूछा तो सबने यही कहा कि भगवान को दान दोगे तो आपकी तरक्की होगी।
पीके का सवाल- भगवान को दान की क्या जरूरत? वो तो सबको दान देता है और उसे दान देने से मेरी तरक्की कहां से होगी? बैठे-बैठे भगवान मुझे सब दे देंगे तो फिर लोग मेहनत क्यों करते हैं?