-पीके खड़ा बाजार में

-भगवान सबका मालिक है, मंदिर में दानपात्र रांग नंबर है

-भगवान के सब बच्चे हैं तो पिता और बच्चे के बीच दानपात्र क्यों

GORAKHPUR : भगवान। जिसने पूरी दुनिया बनाई। जिसके बिना पत्ता तक नहीं हिलता। जो नाराज हो जाए तो कयामत आ जाए। जिस पर खुश हो जाए, वह रातोंरात बादशाह बन जाए। मन में इच्छा भी उसी की मर्जी से आती है तो पूरी भी उसी की मर्जी से होती है। इनकी मर्जी के खिलाफ न तो जिंदगी मिलती है और न ही जाती है। जिस पर इनका हाथ हो, उसका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता। भगवान ऐसे ही होते हैं। पीके भी ऐसे ही भगवान को जानता था। थर्सडे को पीके शहर के विभिन्न धार्मिक स्थलों पर घूमने निकला। उसने जो भी देखा, चौंकाने वाला था। क्या दूसरों की हर ख्वाहिश पूरी करने वाला भगवान या गॉड दान के सहारे अपनी जिंदगी गुजर-बसर कर रहे है। पीके की यह बात सुनकर हंसी आ रही होगी या फिर गुस्सा भी। मगर गॉड के कुछ मैसेंजर ने ऐसा ही बना दिया है। शहर में बने विभिन्न मंदिर, जिसे भगवान का घर कहा जाता है, वहां बड़े-बड़े दानपात्र लगे हैं। अब बताओ जब भगवान खुद दूसरों की इच्छा पूरी करते हैं तो इन दानपात्र का क्या काम? आखिर दानपात्र में आने वाले पैसे का यूज क्या भगवान करते हैं? अगर नहीं तो क्या भगवान ने कहा है दानपात्र लगाने को? नहीं तो फिर ये दानपात्र किसने लगाया। लगता है ये रांग नंबर है।

प्लेस - हनुमान जी का मंदिर, गीता प्रेस

गीता प्रेस के पास एक गली में हनुमान जी का एक बड़ा सा मंदिर है। मंदिर के ठीक बाहर पुराने पेड़ को भी घेर कर मंदिर का रूप दिया गया है। इस मंदिर में भी हनुमान जी विराजमान है। मगर उनसे पहले एक दानपात्र लगा हुआ है। मतलब क्या भगवान अपने दर्शन देने से पहले दानपात्र में कुछ दान करने को कहते हैं। अगर नहीं तो ये दानपात्र क्यों लगे हैं? इनका यूज कौन करता है?

प्लेस - अलहदादपुर, दुर्गा मंदिर

बेतियाहाता से ट्रांसपोर्ट नगर की ओर जा रही रोड के किनारे अलहदादपुर के पास एक मंदिर है। बहुत छोटा सा। मंदिर के अंदर बाबा भोलेनाथ की मूर्ति और दूध चढ़ाने के लिए शिवलिंग विराजमान है। मंदिर छोटा होने से उसके अंदर जगह नहीं है। इसके बावजूद एक कोने में बड़ा सा दानपात्र रखा हुआ है। मतलब पूरे मंदिर भगवान, भक्त और दानपात्र के अलावा कोई नहीं जा सकता। जब भगवान हर इच्छा पूरी करते हैं तो दानपात्र का क्या काम।

प्लेस - खुर्रमपुर स्थित दुर्गा मंदिर

डायट के सामने खुर्रमपुर में एक बड़ा सा दुर्गा मंदिर है। जहां मां दुर्गा की तेजस्वी मूर्ति स्थापित है। मगर मंदिर में एक दानपात्र भी रखा है। वहां मां के दर्शन करने आने वाला हर भक्त दानपात्र में कुछ न कुछ डाल कर जाता है। कभी किसी के इशारे पर तो कभी खुद की मर्जी से। अगर भगवान सर्वव्यापी है और सभी की इच्छा पूरी करते हैं तो इस दानपात्र का क्या काम।

प्लेस - कूड़ाघाट स्थित काली मंदिर

कूड़ाघाट के पास काली जी का एक विशाल मंदिर है। मंदिर में मां काली के अलावा अन्य कई भगवान की भी मूर्ति स्थापित है। जहां भक्तों का तांता लगा रहता है। इन सभी भगवानों के बीच एक बड़ा सा दानपात्र भी रखा है। मंदिर में आ रहे अधिकांश भक्त दानपात्र में दान कर रहे हैं। क्या भगवान दान लेकर मन्नत और इच्छाएं पूरी करते हैं। अगर नहीं तो इस दानपात्र का क्या यूज है।

प्लेस - यूनिवर्सिटी-मोहद्दीपुर रोड स्थित मंदिर

यूनिवर्सिटी चौराहा से मोहद्दीपुर की ओर जाने वाली रोड पर रेल म्यूजियम पार्क के पास एक बड़ा सा मंदिर है। कहा जाता है कि भगवान के द्वार हमेशा खुले रहते हैं। मगर मंदिर में रखे दानपात्र पर बड़ा सा ताला लटका मिला। भगवान के मंदिर में दानपात्र का क्या काम है। जब भगवान सबके मालिक है, इसके बावजूद उन्हें दान की जरूरत क्यों पड़ रही है। ये दान लेने वाले भगवान के मैसेंजर कौन है।

वाट्सएप कोट्स

इन ढोगियों ने जीना हराम कर दिया है। गोरखपुर वाले इनके जाल में बड़ी आसानी से फंस जाते हैं। इन्हें सुधारने में मैं पीके के साथ हूं।

हरिकेश शुक्ला, तारामंडल

जितना हम लोग मंदिर और चर्च में पैसा दान पात्र में डालते हैं, उतना किसी गरीब को दे दें तो उसका भला हो जाए और शायद इंडिया में कोई गरीब भी ना हो। ऊपरवाला क्या करेगा उस पैसे का।

अमन मसीह, बशारतपुर

हमारे देश में रांग नंबर की कमी नहीं। सो राइट नंबर पर जाने के लिए देश के हर इंसान को जागरूक होना पड़ेगा।

चंदन मुखर्जी, बीटेक स्टूडेंट

पीके के स्टाइल में कहे तो, इ गोला पे लोगन का एक ही बात के ब्-ब् मतलब होते हैं। जैसे की रिंग ही कोई अपनी मर्जी से पहनता है तो कोई किस्मत बदलने के लिए। लेकिन अगर ऐसे ही हर गलत चीज को सही करने निकले, तो पूरी जिदंगी लग जाएगी, क्योंकि ऐसे क्-ख् नहीं बहुत सी चीजें गलत हो रही हैं। जो देखते तो सब हैं, लेकिन क्वेश्चन किया पीके ने। जो सही है। अब लोगों को इसे समझना होगा और गलत सोच को बदलना होगा। ताकि कोई कह न सके कि कौन फिरकी ले रहा है। इ रांग नंबर है।

रोजी, पैडलेगंज

हमका लागत है इ गोला पर खाली कुछ देसवा में इ अंधविश्वास होत है। अमेरिका में ऐसा नई होत है। तभी तो ऊ तरक्की करत है ना। अरे भाई भगवान के पास कपड़ा की कौनों कमी है का, जौन तू उनका कपड़ा चढ़ावत हो। दूध चढ़ावत हो और दूध तो ऊ पीते ही नही हैं, सब नाली में बहवा देत ह। अरे कौनों गरीब को दो, तब राइट नंबर लगेगा। नाई तो ऊ लूल हो जाएगा।

इमरान, इलाहीबाग