गोरखपुर (ब्यूरो)। घूसखोरी, साइबर पुलिस की हीलाहवाली और तिरस्कार करने तक की बात पब्लिक ने ट्विटर पर सार्वजनिक कर दी। ऐसी शिकायतें ही पुलिस की साख पर सवाल खड़ा करती हैं। दरअसल, एडीजी जोन गोरखपुर की तरफ से कराई गई पब्लिक अप्रूवल रेटिंग के क्रम में गोरखपुर पुलिस की कार्यप्रणाली एवं पब्लिक के प्रति व्यवहार कैसा रहा ? इसको लेकर 1 अगस्त से 7 अगस्त तक ट्विटर पर वोटिंग कराई गई और सुझाव मांगे। लोगों ने वोटिंग के साथ अपनी शिकायतें भी साझा कर दीं। ट्विटर पर 54 परसेंट लोगों ने गोरखपुर पुलिस की कार्यप्रणाली को अति उत्तम बताया। 33 परसेंट ने खराब कहा। 7 परसेंट लोगों ने उत्तम कहा। 6 परसेंट ने साधारण विकल्प चुना।

आखिरकार किस प्रकार से होती पब्लिक अप्रूवल रेटिंग

पुलिस की अच्छी छवि हो, अच्छा कार्य हो, थाने पर आने वाले हर एक फरियादियों के साथ अच्छा बर्ताव हो, उनकी हर एक समस्या का निष्पक्ष ढंग से समाधान हो, इसके लिए एडीजी गोरखपुर जोन द्वारा पब्लिक अप्रूवल रेटिंग सिस्टम (पीएआर) बनाया गया है। इस व्यवस्था के तहत पब्लिक व पुलिस के बीच सीधे इंट्रैक्टेशन हो, इसके लिए पांच पिलर्स ऐसे बनाए गए हैैं। जिनके आधार पर प्रत्येक महीने की 1-7 तारीख के बीच दो पिलर्स यानी सोशल मीडिया व अदर डिजिटल प्लेटफार्म के लिए ट्विटर पोल व डायरेक्ट पोल कराकर सीधे पब्लिक से उनका मत-सुझाव लिया जाता है। बाकी के तीन पिलर्स आईजीआरएस, एफआईआर-एनसीआर और यूपी-112 पर एडीजी गोरखपुर जोन द्वारा पूर्व में परिक्षेत्रीय कार्यालयों मेें गठित कराई गई फीडबैक टीम से जिला वाइज फीडबैक लेने के बाद उस आंकड़ों को प्राप्त करते हुए ट्विटर पोल व डायरेक्ट पोल के परिणाम के साथ सम्मिलित कर 10 तारीख को मूल्यांकन विधि के लिए निर्धारित प्रक्रिया एवं सांख्यिकी का प्रयोग करते हुए पब्लिक अप्रूवल रेटिंग जारी की जाती है। वहीं, 5वें पिलर्स में यूपी-112 को छोड़कर बाकी के चार पिलर्स पर प्रत्येक महीने की 11 तारीख से 20 तारीख तक निर्धारित प्रक्रिया का पालन कर थानों का मूल्यांकन करते हुए रेटिंग्स जारी की जाती है। यह पब्लिक अप्रूवल रेटिंग सिस्टम व्यवस्था की समीक्षा कर समय-समय पर जोन के सभी आईजी-डीजाईजी एवं एसएसपी-एसपी को निर्देश दिए जाते हैैं।

गोरखपुर की पब्लिक अप्रूवल रेटिंग

मार्च - 63.95 परसेंट

अप्रैल - 54.88 परसेंट

मई - 54.95 परसेंट

जून - 64.52 परसेंट

ट््िवटर पर कुछ ऐसी प्रतिक्रिया

जयहिंद मौर्य लिखते हैं कि एकदम गलत कार्य हो रहा है। गोरखपुर के पुलिस थानों मेें घूसखोरी चल रही है। खासकर के खोराबार के थाने में, इसमें अपराधी से पैसा लेकर, जिसके ऊपर एनसीआर एफआईआर दर्ज है। ऐसे लोगों से घूस लेकर उसका कैरेक्टर सर्टिफिकेट 100 प्रतिशत अच्छा बना कर देती है।

सुमित लिखते हैं कि 24 जून को साइबर सेल निकट काली मंदिर गोरखपुर में एक साइबर फ्रॉड से संबंधित आवेदन दिया था। लेकिन आज तक इस प्रकरण को संज्ञान में नहीं लिया गया। जबकि नियमानुसार 24 घंटे के अंदर ही आवेदन दिया गया। पॉजिटिव रिजल्ट आ सकता था, अगर पुलिस अपना काम सही ढंग से करती।

पीके गुप्ता लिखते हैं कि पीपीगंज थाने का रवैया तो बहुत बेकार है, महोदय, मैंने अपनी रिपोर्ट की क्रमांक संख्या मांगा तो वहां के एक श्रीमान जी जिनका नाम मुकेश है, उन्होंने मुझे बहुत शर्मिंदा कर दिया। थानाध्यक्ष के कहने पर मैंने आधे घंटे तक इंतजार किया।

इस बेस पर होता है मूल्यांकन

1. आजीआरएस पोर्टल

2. ट्विटर-फेसबुक पोल

3. डिजिटल प्लेटफार्म के अन्य माध्यम

4. पंजीबद्ध एफआईआर व एनसीआर पर फीडबैक

5. 112 पीआरवी का रिस्पांस

6. पासपोर्ट व चरित्र सत्यापन