बीआरडी मेडिकल कॉलेज का मामला
- पचास लाख बकाए ने खड़ा कर दिया संकट
- ऑक्सीजन सिलेंडर के सहारे मरीजों का हो रहा इलाज
GORAKHPUR: बीआरडी मेडिकल कॉलेज में लिक्विड ऑक्सीजन सप्लाई का बकाया होने की वजह से कंपनी ने आपूर्ति ठप कर दी है। इसकी वजह से गुरुवार को मरीजों की सांसें ही रुक गई। बुधवार की रात से ऑक्सीजन खत्म होने की जानकारी होने पर डॉक्टर्स के हाथ पांव फूलने लगे। करीब साढ़े नौ बजे खत्म हुई आक्सीजन के बाद रात दो बजे दूसरी कंपनी से सौ से अधिक ऑक्सीजन सिलेंडर मंगवा लिए गए। इस बीच करीब चाढ़े चार घंटे इमरजेंसी में रखे ऑक्सीजन सिलेंडर से किसी तरह काम चलाया गया।
मरीजों की जान पर बन आई
मेडिकल कॉलेज में बुधवार की रात करीब 9.30 बजे लिक्विड आक्सीजन खत्म हो गई। कंपनी ने भी और ऑक्सीजन देने से हाथ खड़े कर लिए। इसकी वजह से इमरजेंसी, 100 नंबर बेड, आईसीयू, टीबी आईसीयू व विभिन्न वार्डो में ऑक्सीजन पर रखे गए मरीजों की जान पर बन आई। आनन-फानन में एक्स्ट्रा में रखे गए ऑक्सीजन सिलेंडर लगाए गए। साथ ही ऑक्सीजन सप्लाई देने वाली दूसरी कंपनी को कॉल कर रात में ही 150 सिलेंडर मंगवाया गया। गुरुवार की सुबह भी 120 सिलेंडर और मंगाए गए, जिससे फौरी तौर पर राहत मिल गई है।
2 बजे बहाल हुई आपूर्ति
लिक्विड आक्सीजन आपूर्ति ठप होने के बाद सभी के होश उड़ गए। हालांकि आपात कालीन के लिए रिजर्व में रखे गए ऑक्सीजन सिलेंडर को तुरंत ट्राजेंक्शन स्टोर में लगाया गया। इसके बाद करीब 2 बजे आपूर्ति बहाल हो सकी। इस दरमियान ऑक्सीजन पर रखे गए मरीजों की पल-पल की खबर लेने में डॉक्टर्स लगे थे। उधर मरीज के साथ आए तीमारदारों की भी हालत खराब रही। आक्सीजन सप्लाई शुरू होने के बाद सभी ने राहत की सांस ली।
50 लाख है बकाया
ऑक्सीजन प्लांट से पाइप लाइन के जरिए मेडिकल कॉलेज में लिक्विड ऑक्सीजन की आपूर्ति होती है। यह आपूर्ति पुष्पा सेल्स कंपनी किया जाता हैं। सूत्रों की माने तो 25 अप्रैल को सप्लाई करने वाली कंपनी ने 16 हजार लिक्विड ऑक्सीजन की सप्लाई की थी। इससे दो दिन का ऑक्सीजन खर्च हुआ, शेष साढ़े 12 हजार किलो लिक्विड ऑक्सीजन अभी भी बचा है। मगर 50 लाख रुपये भुगतान न होने की वजह से पुष्पा सेल्स कंपनी ने आपूर्ति ठप कर दी।
ऑक्सीजन की खपत -
-ट्रांजेक्शन प्लांट प्रथम से ढाई घंटे में 6 ऑक्सीजन सिलेंडर की खपत होती है। जहां से वार्ड नंबर 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10 में ऑक्सीजन सिलेंडर से सप्लाई होती है।
-ट्रांजेक्शन प्लांट द्वितीय से 6 ऑक्सीजन सिलेंडर ढाई घंटे में खर्च होती है। जहां से इमरजेंसी 12 व 14 नंबर वार्ड में सप्लाई की जाती है।
-ट्रांजेक्शन प्लांट तृतीय में 32 ऑक्सीजन सिलेंडर लगाए गए है, जो 4 घंटे में खर्च होता है। यहां से 100 बेड वाले वार्ड में सप्लाई होती है।
- ट्रांजेक्शन प्लांट चतुर्थ में एक ऑक्सीजन सिलेंडर लगाया गया है, जो एक घंटे में खर्च होता है। यहां से आसीयू, टीवी आईसीयू में सप्लाई होती है।
कैम्पियरगंज के मछलीगांव के रहने वाले शिवशंकर का तीन रोज पहले एक्सीडेंट हुआ। इसके बाद ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया गया है। रात में ऑक्सीजन खत्म होने के बाद फौरन ही ऑक्सीजन सिलेंडर लगाया गया।
शिवशंकर के पिता राममूरत
गगहा के दीहा निवासी संजय की बुधवार को रोड दुर्घटना में गंभीर चोट आई। मेडिकल कॉलेज में उपचार किया जा रहा है। पाइप लाइन से लिक्विड ऑक्सीजन की सप्लाई की जा रही थी, लेकिन खत्म होते ही ऑक्सीजन सिलेंडर लगा दिया गया।
संजय के पिता कल्पनाथ
भुगतान पर शासन स्तर से रोक लगाई गई है। इस संबंध में बात कर ली गई है दो दिन के अंदर लिक्विड ऑक्सीजन देने वाली कंपनी का भुगतान कर दिया जाएगा। साथ ही संकट से निपटने के लिए रात में ही ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था कर ली गई है। मरीज के इलाज में कोई भी समस्या आड़े हाथ नहीं आने दी जाएगी।
डॉ। राजीव मिश्रा, प्राचार्य, मेडिकल कॉलेज