- तीसरे दिन भी जारी रही जूनियर डॉक्टर्स की हड़ताल
- सर्जरी वार्ड में एक मरीज ने तोड़ा दम
- आज भी बंद कराया ओपीडी, पर्ची, यूजर चार्ज काउंटर
- पुलिस के निगरानी में कुछ पेशेंट्स को मिली राहत
GORAKHPUR: बीआरडी मेडिकल कॉलेज में जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल के साथ मरीजों की परेशानी का सिलसिला जारी है। बुधवार को हड़ताल के चलते मरीजों का उपचार पूरी तरह से प्रभावित रहा। इसकी वजह से दोपहर सर्जरी वार्ड में एक मरीज ने दम तोड़ दिया। इस दर्दनाक घटना के बाद अब जान बचाने के लिए तीमारदार अपने मरीज को लेकर वहां से भाग निकलते नजर आए। वहीं दूसरी ओर करीब 9 बजे जूनियर डॉक्टर्स का दल ओपीडी, पर्ची, यूजर चार्ज काउंटर बंद करवा दिया और ट्रामा सेंटर के गेट पर टेंट लगाकर प्रदर्शन करने लगे। सूचना पर पहुंची पुलिस के निगरानी में पर्ची काउंटर खोलवाया गया।
ओपीडी बंद, भटकते रहे मरीज
मरीजों के बेहतर इलाज की हकीकत जानने के लिए आई नेक्स्ट रिपोर्टर तीसरे दिन करीब 10 बजे मेडिकल कॉलेज पहुंचा। जहां जूनियर डॉक्टर्स नियम को ताक पर रखकर ओपीडी, पर्ची व यूजर चार्ज बंद करा दिया। विरोध करने पर तीमारदारों के साथ हाथापाई भी की। बिहार के रहने वाले रमन यादव को स्ट्रेचर पर ले जाने वाला कोई नहीं मिला, जिसके बाद उनका भाई रमेश यादव उन्हें लेकर सर्जरी विभाग पहुंचा। एक घंटे से मरीज को लेकर एक विभाग से दूसरे विभाग भटक रहे थे। उनका कहना था कि मेरे भाई की हालत काफी खराब है, लेकिन यहां किसी से भी पूछे जाने पर कोई माकूल जवाब नहीं मिल रहा है।
फिर भी नहीं बची जान
मेडिकल कॉलेज के 9 नंबर मेडिसीन वार्ड की हकीकत जानने के लिए जब आई नेक्स्ट रिपोर्टर वहां पहुंचा। तो वहां की हालत आम दिनों से काफी अलग थी। भारी भरकम मरीज वाले वार्ड में सिर्फ दस से बारह पेशेंट्स का इलाज चल रहा था। वहीं बेड संख्या 13 पर राकेश कुमार मिश्रा की डेड बॉडी पड़ी थी। पिता सुमेश्वर मिश्रा उसे घर ले जाने की तैयारी कर रहे थे। बगल में उसकी मां की आखों से आंसू थमने का नाम नहीं ले रहा था। पिता सुमेश्वर से बात की गई तो उन्होंने बताया कि उसे इलाज के लिए 28 मई को मेडिकल कॉलेज के मेडिसीन वार्ड में एडमिट कराया। जहां इलाज तो शुरू हुआ, लेकिन इलाज में काफी लापरवाही बरती गई। यहां न तो डॉक्टर मरीजों को अच्छी तरह से डील करते हैं और न ही हेल्थ एंप्लाइज ही ध्यान देते हैं। कब ड्रिप चढ़ाना है और कब इंजेक्शन देना हैं, इसके लिए तीमारदारों को कई बार कहना पड़ता है। इस लापरवाही का खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ता है।
हड़ताल से अटक गई जान
सर्जरी वार्ड 8 में एक माह से मझगांवा के अखिलेश का इलाज चल रहा है। वह 13 मई से ही ऑक्सीजन पर है। उधर तीन दिन से जूनियर डॉक्टर की हड़ताल की वजह से उनकी जान अटक गई। पत्नी मंजू ने बताया कि पेट में पस भर गया था, जिसकी वजह से वह बीमार चल रहे थे। 13 मई को उनका ऑपरेशन हुआ लेकिन आज उनकी हालत काफी खराब है। सही ढंग से इलाज न होने की वह से उनकी स्थिति हर दिन गंभीर होती जा रही है।
पुलिस की निगरानी में हुआ इलाज
बीआरडी मेडिकल कॉलेज में हड़ताल होने की वजह से चिकित्सकीय व्यवस्था पटरी से उतरती नजर आ रही है। बुधवार की सुबह जैसे ही जानकारी मिली कि जूनियर डॉक्टर द्वारा पर्ची काउंटर और ओपीडी बंद कराया जा रहा है। इसकी सूचना पर पुलिस फौरन ही मौके पर पहुंच गई। उन्होंने ट्रामा सेंटर, ओपीडी, पर्ची काउंटर आदि स्थान पर टीम तैनात की दी, जिसके बाद मरीजों का इलाज शुरू हो सका। हालांकि 9 से 12 बजे तक ओपीडी बंद रही है, सिर्फ आधे घंटे के लिए ही ओपीडी में मरीजों का इलाज हो सका, इस बीच आधे से अधिक मरीज अपने घर लौट गए थे।
जिला अस्पताल हाउसफुल
मेडिकल कॉलेज में हड़ताल से जिला अस्पताल के वार्ड हाउसफुल हो गए। हालांकि इमरजेंसी के लिए अस्पताल प्रशासन की ओर से कुछ बेड आरक्षित किए गए हैं। बुधवार को सुबह से ही पुरानी ओपीडी और नई ओपीडी में मरीजों का तांता लगा रहा। इस दौरान मरीज आर्थो, मेडिसीन, नेत्र विभाग, दंत विभाग, नाक कान गला आदि डिपार्टमेंट में डॉक्टर्स ने मरीजों को देखा। भीड़ अधिक होने की वजह से मरीजों को लंबी लाइन में खड़े रह कर अपनी बारी का इंतजार करना पड़ा।
जूनियर डॉक्टर की मीटिंग बुलाई गई थी। उन्हें समझाने का प्रयास किया गया, लेकिन वह नहीं मान रहे हैं। इमरजेंसी व ओपीडी प्रभावित न हो इसके लिए सीनियर डॉक्टर्स को लगाया गया। उनके द्वारा करीब 67 से अधिक मरीजों को देखा गया है।
डॉ। राजीव मिश्रा, प्राचार्य, बीआरडी मेडिकल कॉलेज