गोरखपुर (ब्यूरो)। आरोप है कि परवेज ने तत्कालीन सांसद व वर्तमान में सीएम योगी आदित्यनाथ, तत्कालीन विधायक व वर्तमान में भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री डॉ। राधा मोहदन दास अग्रवाल, तत्कालीन पूर्व विधायक व वर्तमान में राज्यपाल शिवप्रताप शुक्ला सहित अन्य जनप्रतिनिधियों पर केस कराया था। फर्जी डीवीडी की पुष्टि होने पर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट आदर्श श्रीवास्तव ने बुधवार को सजा सुनाते हुए कूटरचित दस्तावेज देने पर सात साल की सजा व दस हजार का जुर्माना और बदनाम करने के मामले में पांच साल की सजा व दस हजार रुपए का जुर्माना लगाया। अर्थदंड न देने पर अभियुक्त को एक माह 15 दिन का कारावास अलग से भुगतना होगा।
पहले भी रेप में हो चुकी है सजा
दुष्कर्म के एक मामले में परवेज और उसके साथी जुम्मन को आजीवन करावास की सजा भी हो चुकी है। अभियोजन पक्ष की ओर से वरिष्ठ अभियोजन अधिकारी संदीप सिंह व अभियोजन अधिकारी प्रत्युष कुमार दुबे का कहना था कि वादी डॉ। वाईडी सिंह ने प्रार्थना पत्र देकर केस दर्ज कराया। जिसमे उनका कहना था कि वर्ष 2007 में इराक के तत्कालीन शासक सद्दाम हुसैन को फांसी दी गई थी। जिसके बाद अभियुक्त परवेज परवाज के उकसाने पर अल्पसंख्यक समाज के लोगों ने उत्तेजक भाषण देते हुए जुलूस निकाला और बहुसंख्यक वर्ग के व्यापारिक प्रतिष्ठान पर पथराव किया। इस दौरान विवेचना अभियुक्त परवेज परवाज ने एक उत्तेजक भाषण से संबंधित डीवीडी विवेचक को उपलब्ध कराया, जिसे नियमानुसार परीक्षण के लिए भेजा गया। परीक्षण में डीवीडी में टेंपरिंग व एडिटिंग किया हुआ पाया गया। इस आधार पर जनप्रतिनिधियों की छवि धूमिल करने के लिए फर्जी केस दर्ज कराया गया था।
पुलिस ऑपरेशन कनविक्शन के तहत इस केस की पैरवी कर रही थी। साक्ष्यों के साथ पुलिस की ओर से अभियोजन अधिकारी ने कोर्ट में पैरवी की। कोर्ट ने परवेज परवाज को सात साल की सजा व जुर्माना लगाया है। पुलिस का अभियान लगातार जारी रहेगा।
- कृष्ण कुमार बिश्नोई, एसपी सिटी