- सिटी के रैंपस स्कूल में ऑर्गनाइज हुआ आई नेक्स्ट पेरेंटिंग टुडे सेमिनार
- साइकोलॉजिस्ट, सोश्योलॉजिस्ट, पिडियाट्रिशियन और डाइटिशियन ने दिए स्पेशल टिप्स
- एस्प्रा डायमंड है इस इवेंट में टाइटल स्पांसर
GORAKHPUR : 'खो न जाएं ये तारे जमीन पर' फिल्म तारे जमीन पर का यह थीम सांग सिर्फ एक गाना नहीं, बल्कि आज की एक कड़वी सच्चाई है। बच्चे कच्ची मिट्टी जैसे ही होते हैं, उन्हें जिस सूरत में ढालना चाहें, इसी वक्त आसानी के साथ ढाला जा सकता है। स्कूल में जाते ही पेरेंट्स को उनसे बेहिसाब अपेक्षाएं होती है। वह अपने पेरेंट्स, टीचर्स और समाज की उम्मीदों का बोझ लेकर आगे बढ़ते तो हैं, लेकिन एक निश्चित दूरी पर जाकर वह सरेंडर कर जाते हैं। इससे न तो उनका ही भला होता है और न ही पेरेंट्स की उम्मीदें ही पूरी हो पाती हैं। ऐसे बच्चे खुद को कमजोर समझने लग जाते हैं और उनका फ्यूचर शुरू होने से पहले ही खत्म हो जाता है। इसलिए जरूरी है कि बच्चों पर पहले से ही अपनी इच्छाओं का बोझ न लादकर उन्हें आजाद पंछी की तरह हवा में उड़ने दिया जाए। जिस भी फील्ड में उनका इंटरेस्ट हो, उन्हें उसमें अपना दम आजमाने दिया जाए। इससे न सिर्फ वह अपने पैरों पर दमदारी से खड़े होंगे, बल्कि पेरेंट्स को भी निराश नहीं होने देंगे। यह बातें सामने आई एस्प्रा प्रेजेंट आई नेक्स्ट पेरेंटिंग टुडे सेमिनार में, जहां एक्सपर्ट्स ने पेरेंट्स के मन में उमड़ रहे सवालों का न सिर्फ जवाब दिया, बल्कि उनके फ्यूचर को कैसे शेप दिया जाए और कैसे उन्हें हेल्दी-वेल्दी रखा जाए, उसके टिप्स दिए।
स्वागतम, स्वागतम
सिटी के रत्न मेमोरियल पब्लिक स्कूल में ऑर्गनाइज इस इवेंट की शुरुआत में स्कूल के स्टूडेंट्स ने वेलकम सांग पेश कर गेस्ट्स और पेरेंट्स का वेलकम किया। इसके बाद प्रो। पीएसएन तिवारी का वेलकम डिप्टी मैनेजर विवेक श्रीवास्तव ने, डॉ। भूपेंद्र को प्रिंसिपल अनुपम श्रीवास्तव, डॉ। वर्तिका को वाइस प्रिंसिपल राजकुमार श्रीवास्तव, डॉ। दीपक टुडी का एडिटोरियल हेड दीपक मिश्र और रैंपस डायरेक्टर आरसी श्रीवास्तव का मार्केटिंग हेड विनोद चौधरी ने बुके देकर वेलकम किया। प्रोग्राम का संचालन दीप्ति अनुराग ने किया। लास्ट में वोट्स ऑफ थैंक्स डायरेक्टर पीसी श्रीवास्तव ने किया। इस दौरान बड़ी तादाद में पेरेंट्स मौजूद रहे।
पेरेंटिंग एक पर्यावरण है। जैसा आप इसे क्रिएट करेंगे, बच्चे पर उसका वैसा ही असर पड़ेगा। बच्चा अपने घर में ही चाहे अपने बड़े भाई, चाहे बहन या मां-बाप में से किसी को अपना रोल मॉडल बना लेता है। इसके बाद वह उसी तरह खुद को ढालने लगता है। बच्चों पर सिर्फ फिजिकल ही नहीं बल्कि साइको-सोशल एनवायर्नमेंट का भी असर पड़ता है।
- प्रो। पीएसएन तिवारी, सोश्योलॉजिस्ट
बच्चों की पेरेंटिंग की शुरुआत घर से ही होती है। पेरेंट्स को चाहिए कि वह बच्चों को घर में ही ऐसा माहौल दें, जिससे कि उनको जमाने के साथ कदम से कदम मिलकर चलने में कोई परेशानी न हो। पेरेंट्स बच्चों पर अपनी चाहत को न थोपें। उन्हें जिस फील्ड में इंटरेस्ट है, उसमें उन्हें परफॉर्म करने दें, निश्चित ही उनका लाडला कामयाब होगा।
- डॉ। दीपक टुडी, सोश्योलॉजिस्ट
सभी बच्चे जन्म से एक जैसे ही होते हैं। मगर उन्हें जैसा परिवेश मिलता है, वह वैसे ही ढल जाते हैं। पेरेंट्स को चाहिए कि अपने बच्चे का इंटरेस्ट जहां है, उसमें उसे एप्रिशिएट करें। उसे और बेहतर करने में उसका सपोर्ट करें। इससे उसका मॉरल काफी बढ़ेगा और वह उस फील्ड में बेहतर परफॉर्मेस देगा।
- डॉ। भुपेंद्र, पिडियाट्रिशियन
छोटे बच्चों पर डाइट का काफी असर पड़ता है। आजकल वह सिर्फ बाहर की चीजें खाना पसंद करते हैं। उनकी डाइट में प्रोटीन के साथ ही फैट, कार्बोहाइड्रेट भरपूर मात्रा में हो इस बात का ध्यान देना चाहिए। वहीं उनके लंच बॉक्स में डेली मेन्यु चेंज करने के साथ ही प्रोटीन रिच डाइट देनी चाहिए, जिससे उसके स्वास्थ्य पर कोई असर न पड़े।
- डॉ। वर्तिका, डायटीशियन
मेरा बेटा शैतान बहुत है, लेकिन हद से ज्यादा शर्माता है। किसी के सामने नहीं आना चाहता। इसका समाधान बताएं?
- संगीता श्रीवास्तव
डॉ। भूपेंद्र - कोई भी बच्चा जन्म से एक जैसा ही होता है, लेकिन आसपास के परिवेश को देखकर खुद को चेंज करता है। आप अपने बच्चे के अंदर कॉन्फिडेंस बिल्डअप कीजिए। उसको अप्रीशिएट कीजिए।
डॉ। पीएसएन तिवारी - जिसे आप शैतानी कह रहे हैं, वह शैतानी नहीं बल्कि उस बच्चे की एनर्जी है। इसे चैनलाइज करने की जरूरत है। आप उसे बाहर भेजना शुरू कर दीजिए, अपने उम्र के बच्चों के साथ खेलेगा और बातचीत करेगा, तो खुद ब खुद उसका कॉन्फिडेंस लेवल बढ़ जाएगा और वह शर्माना छोड़ देगा।
मेरा बच्चा साढ़े तीन साल का है। वह जिस काम को पकड़ लेता है, तो उसके बाद कोई दूसरा काम नहीं करता। लाख कहते रह जाओ, कि यह कर लो या फिर कुछ खेल लो, लेकिन उसके ऊपर कुछ फर्क नहीं पड़ता। इसको हैंडिल करने का उपाय बताइए। वह हर वक्त मोबाइल पर गेम भी खेलता रहता है।
एम अंसारी
दीपक टुडी - वह जो काम कर रहा है, उसको करने दें। उसके साथ उसे कुछ ऑप्शनल चीजें भी दें, जिसमें उसका इंटरेस्ट हो। अक्सर ऐसा होता है कि हम अपने बच्चों पर अपनी इच्छाओं को लादना शुरू कर देते हैं, जिससे उनपर बोझ बढ़ जाता है और वह टेंशनाइज्ड रहते हैं। अगर उन्हें अपनी इच्छाओं के मुताबिक काम करने दिया जाए, तो निश्चित ही उनमें बदलाव आएगा।
मेरी बच्ची पढ़ने में अच्छी है। स्कूल से आने के बाद वह अपना स्कूल होमवर्क करती है। मगर शाम में वह जल्दी सो जाती है। उसके बाद उसे जितना भी उठाओ, नहीं उठती और न ही कुछ खाती-पीती है। इसके लिए कोई उपाय बताइए।
विजय सिंह
प्रो। पीएसएन तिवारी - आपकी बच्ची स्कूल से आने के बाद होमवर्क करती है, यह काफी अच्छी बात है। हां, जहां तक सोने की बात है, तो उसकी टाइमिंग आपको रीशेड्यूल्ड करनी होगी। उसको दिन में सोने के लिए कहें और रात में सोने का टाइम बढ़ाते जाएं, धीरे-धीरे उसकी आदत ठीक हो जाएगी।
डॉ। वर्तिका - आपकी बच्ची ज्यादा सो रही है, उससे कोई दिक्कत नहीं है। बस जरूरी यह है कि उसे डाइट प्रॉपर मिलती रहे, जिससे कि उसकी ग्रोथ पर इफेक्ट न पड़े।
मेरा बच्चा काफी अग्रेसिव हो जाता है। जरा सी बात पर उसको गुस्सा आ जाता है। यह डाइट की वजह से या फिर किसी और वजह से इसका समाधान करें।
राजेश
डॉ। वर्तिका - बच्चे को गुस्सा आने का सबसे बड़ा कारण खान-पान है। सिर्फ बच्चों ही नहीं बल्कि बड़ों ने भी अगर काफी देर तक कुछ न खाया हो तो उनमें भी चिड़चिड़ापन आ जाता है और वह बड़ी जल्दी गुस्सा होते हैं। ऐसा बच्चों के साथ भी होता है। उन्हें प्रॉपर न्यूट्रिशन नहीं मिल पा रहा होगा। यहां पेरेंट्स बच्चों को खाने में प्रोटीन कम और फैट ज्यादा देते हैं। बच्चों के खाने में प्रोटीनयुक्त डाइट ज्यादा से ज्यादा दें, अगर वह नहीं खाता, तो उसे दूसरे फॉर्म में दें। इससे उसके नेचर में बदलाव आएगा।
मेरा बच्चा टीवी देखकर तो याद कर लेता है, लेकिन ऐसे जब पढ़ाई करने के लिए बैठता है, तो उसे कुछ याद नहीं हो पाता। इसकी क्या वजह हो सकती है और इसे कैसे दूर करें?
- चंडी प्रसाद मिश्रा
डॉ। भूपेंद्र - बच्चों के पेरेंट्स उनके लिए रोल मॉडल होते हैं। पेरेंट्स बच्चों को गैजेट्स और टीवी से दूर रखना चाहते हैं, लेकिन वह खुद वहीं काम करते हैं। पेरेंट्स खुद तो मोबाइल यूज करते हैं, लेकिन बच्चों को इससे दूर रखना चाहते हैं। इसलिए पहले हमें इसे खुद छोड़ना होगा। तभी हम बच्चों से यह कहने के हकदार होंगे। जहां तक बात है पढ़ाई की तो उसे दूसरे तरीके से लालच देकर इनकरेज करें। जैसे कि अगर एक घंटे में यह होमवर्क कर लोगे या इसे याद कर लोगे तो इतनी देर टीवी देखने को मिल जाएगी। इससे निश्चित तौर पर फर्क आएगा।
मेरा बच्चा टीवी के सामने बैठकर खाना खा लेता है, लेकिन वैसे खाना नहीं खाता। इसके लिए क्या करूं?
भावना चौबे
डॉ। भूपेंद्र - जहां आदमी का मन लगता है, वहां सब काम आसानी से होते हैं। बच्चों का दूसरी चीजों में भी इंटरेस्ट जगाएं। इसके लिए उन्हें लालच दें। उन्हें समझाएं कि ऐसा करने से नुकसान है। पहले डाइनिंग टेबल पर बैठकर खाना खा लो, उसके बाद इतनी देर टीवी देखने दी जाएगी। हां, इस बात का ध्यान दें कि इसे फौरन उस पर लादने की कोशिश न करें, बल्कि इसमें थोड़ा समय लग सकता है।
मेरा बच्चा मोबाइल और टीवी में ही लगा रहता है। मगर वह पढ़ने में काफी कमजोर है, काफी कोशिशों के बाद भी कोई हल नहीं मिला।
- जितेंद्र चौहान
प्रो। पीएसएन तिवारी - पहले तो आप अपने बच्चों को डिस्करेज करना छोड़ दें। जिसमें उसका इंटरेस्ट है, उसे पढ़ाई के साथ जोड़ दें। बच्चों में टैलेंट की कमी नहीं होती है, बस उसे प्रॉपर वे में समझकर चैनलाइज करने की जरूरत है।
मेरा बच्चा ग्रोइंग स्टेज में है, उसे क्या डाइट दी जाए, जिससे कि उसकी ग्रोथ बेहतर हो सके।
रामपाल
डॉ। वर्तिका - ग्रोइंग स्टेज में बच्चों को प्रॉपर डाइट की जरूरत होती है। इसमें प्रोटीन के साथ प्रॉपर कैलोरी की जरूरत होती है। इसलिए लंच बॉक्स में उनकी पंसदीदा चीजों में वेजिटेबल और दाल, दूध की मात्रा ज्यादा कर लें, जिससे उनकी ग्रोथ प्रॉपर हो जाएगी।
मेरा बच्चा पहले स्कूल जाने में आना-कानी नहीं करता था। मगर इस बार वह कुछ ज्यादा ही बंक कर रहा है। ऐसा करने की क्या वजह हो सकती है?
स्कूल में बच्चों पर सोहबत का असर होता है। आपको यह मालूम करने की जरूरत है कि उसकी फ्रेंड सर्किल कैसी है। अगर उसे दोस्त ठीक नहीं हैं, तो उसे उनसे दूर रहने की सलाह देने के साथ ही स्कूल एडमिनिस्ट्रेशन को भी इसके बारे में जानकारी दें, जिससे उसमें सुधार हो जाएगा।
मेरा भाई घर में सभी काम कर लेता है, लेकिन स्कूल में उसको प्रॉब्लम होने लगती है।
- मधु मौर्या
डॉ। दीपक टुडी - एटमॉस्फियर चेंज होने पर अक्सर यह प्रॉब्लम होती है। आप अपने बच्चे को दूसरे बच्चों के साथ मिक्सअप होने दें। यह आदत धीरे-धीरे चली जाएगी।