- बीआरडी में लिक्विड ऑक्सीजन का एक हफ्ते का स्टॉक, फर्म का है 35 लाख रुपए बकाया
GORAKHPUR: नोट बंदी के बाद सभी विभागों में बकाए का भुगतान बड़ी तेज गति से हो रहा है लेकिन बीआरडी में बकाए के चक्कर में मरीजों की सांस अटक सकती है। बीआरडी को लिक्विड ऑक्सीजन की आपूर्ति करने वाली फर्म ने 35 लाख रुपए बकाए का भुगतान नहीं होने पर सप्लाई रोकने की नोटिस दे दी है। इधर, अस्पताल प्रशासन के पास सिर्फ एक हफ्ते का ही स्टॉक है। बीआरडी ने भुगतान नहीं किया तो भर्ती मरीजों को दिक्कत हो सकती है।
डेढ़ साल पहले लगा था प्लांट
बीआरडी में डेढ़ वर्ष पूर्व लिक्विड ऑक्सीजन का प्लांट लगाया गया। इसके जरिए वार्ड छह, 10, 12, 14 और 100 बेड वाले वार्ड में ऑक्सीजन सप्लाई की जाती है। कुल करीब 300 बेड पर पाइप के जरिए ऑक्सीजन दी जाती है। जिसकी सप्लाई पुष्पा सेल्स करती है। कंपनी के संचालकों ने प्रिंसिपल को पत्र लिखकर बताया है कि बीते तीन महीनों से गैस आपूर्ति के मद में कोई भुगतान नहीं मिला है। कॉलेज पर 35 लाख बकाया हो गया है। बार-बार रिमाइन्डर देने पर भी कॉलेज प्रशासन भुगतान नहीं कर रहा। अब भुगतान नहीं किए जाने की स्थिति में आपूर्ति संभव नहीं है। कंपनी ने इसकी जानकारी महानिदेशक चिकित्सा-शिक्षा, बालरोग के विभागाध्यक्ष और कॉलेज के एसआईसी को भी दी है।
सस्ता है लिक्विड ऑक्सीजन
सिलेंडर ऑक्सीजन की तुलना में पाइप से सप्लाई दी जाने वाली लिक्विड ऑक्सीजन ज्यादा बेहतर होती है। यह अधिक परिष्कृत होती है। इतना ही नहीं सिलेंडर वाले ऑक्सीजन की तुलना में इसकी लागत भी आधी आती है। इसके बाद भी बीआरडी प्रशासन समय से इसका भुगतान नहीं कर रहा है। भुगतान नहीं किए जाने की स्थिति में ऑक्सीजन पर चल रही जिंदगियों को खतरा है।
वर्जन
बीआरडी मेडिकल कॉलेज से हुए करार के मुताबिक हम सिर्फ दस लाख रुपये तक ही उधार दे सकते हैं। बकाया लिमिट से चार गुना तक पहुंच गया है। भुगतान नहीं होने की स्थिति में सप्लाई देना संभव नहीं होगा।
अमन, संचालक, पुष्पा सेल्स
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बीआरडी ने तीन को दी नोटिस
लिक्विड ऑक्सीजन प्लांट से प्रेशर की समय से जानकारी नहीं देने पर कॉलेज प्रशासन ने तीन एंप्लाइज को नोटिस जारी की है। एनेस्थिसिया के एचओडी डॉ। सतीश कुमार ने बालरोग के विभागाध्यक्ष को पत्र लिख कर बताया है कि विभाग के बलवंत गुप्ता, कमलेश तिवारी और कृष्ण कुमार की जिम्मेदारी लिक्विड ऑक्सीजन प्लांट में गैस की उपलब्धता व पाइप लाइन में प्रेशर पर नजर रखने की है लेकिन तीनों एंप्लाई अपने दायित्व के प्रति लापरवाह हैं। वह न तो रोज रिपोर्ट दे रहें हैं और न ही किसी अधिकारी की कॉल ही रिसीव कर रहे हैं। कॉलेज प्रशासन ने एंप्लाइज से जवाब मांगा है।