- एक सर्जन के भरोसे जिला अस्पताल के सैकड़ों मरीज

- एसआईसी ने सर्जन के लिए सीएमओ को रिमांइडर

GORAKHPUR: चिकित्सकीय सुविधा और पेशेंट्स को बेहतर इलाज मुहैया कराने के लिए शासन द्वारा करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं, लेकिन डॉक्टर्स की कमी की वजह से स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई है। हालत यह है कि जिला अस्पताल में 12 दिनों से अति गंभीर ऑपरेशन के लिए आने वाले पेशेंट्स का कोई पुरसा हाल नहीं है। आपरेशन तो मौजूद हैं, लेकिन वहां के लिए डॉक्टर ही नहीं है। सिर्फ एक सर्जन के भरोसे पूरा जिला अस्पताल चल रहा है। हालांकि एसआईसी ने सर्जन के लिए शासन, सीएमओ, एडी हेल्थ को रिमाइंडर भेजा है।

मरीजों की बढ़ी मुश्किलें

गौरतलब है कि जिला अस्पताल का हाल काफी बेहाल है। यहां सर्जन डॉ। एचआर वर्मा के दिसंबर में रिटायर्ड होने के अब तक बारह दिन बीत चुके हैं। इसके बावजूद अब तक सर्जन की तैनाती नहीं हो सकी है। यहां सिर्फ एक सर्जन डॉ। एके श्रीवास्तव ही ऑपरेशन की सारी जिम्मेदारी उठाए हुए हैं। उस पर से उनके पास चिकित्सा अधीक्षक का भी प्रभार है, जिससे उनके ऊपर बोझ दोगुना हो गया है। वहीं ओपीडी में मरीजों को देखने की भी जिम्मेदारी होने की वजह से उनकी परेशानी और बढ़ गई है। पिछले दिनों डॉ। एके श्रीवास्तव के चार दिन के लिए अवकाश पर चले जाने के बाद ओपीडी और ऑपरेशन थिएटर पूरी तरह से ठप रहा। वहीं उनकी मौजूदगी में भी ओपीडी या ऑपरेशन प्रभावित रहता है। अगर वह ओपीडी देखते है तो ऑपरेशन प्रभावित होता है। वहीं अगर वह ऑपरेशन करने के लिए जाते हैं तो दूसरा विकल्प न होने की वजह से ओपीडी ठप पड़ जाती है।

सर्जन की कमी है। इसके लिए पिछले दिनों शासन और जिम्मेदारों को पत्र भेजा गया था। दोबारा रिमांइडर भेजा दिया गया है, जल्द ही प्रॉब्लम दूर हो जाएंगी।

डॉ। एचआर यादव, एसआईसी