- सही खान-पान व गलत दिनचर्या के कारण सिटी में बढ़ रही ऑस्टियोपोरोसिस के मरीजों की संख्या

- हर तीन में एक महिला को यह रोग, वहीं प्रत्येक पांच में एक पुरुष है पीडि़त

- बीआरडी से लेकर जिला अस्पताल तक और प्राइवेट क्लीनिक में पहुंच रहे पेशेंट्स

GORAKHPUR:

केस-1

पिछले एक साल से पीठ में दर्द की शिकायत थी। सेकाई व मालिश से आराम हो जाता था लेकिन फिर बाद में दर्द होने लगता था। दर्द बढ़ने पर डॉक्टर को दिखाया। यहां एक्स-रे व बीएमडी डेक्सा स्कैन से पता चला कि रीढ़ की हड्डी बेहद कमजोर हो चुकी है। कई जगह अपने आप फ्रैक्चर हो गया है। हड्डियों के बीच के डिस्क पतले हो गए हैं। इससे लंबाई में भी पांच सेमी की कमी आ गई।

- सरिता, उम्र 55, रुस्तमपुर

मेरी पीठ की हड्डी में दर्द रहता था। पेनकीलर लेकर काम चला रही थी लेकिन जब बढ़ने लगा तब बीआरडी गई। वहां डॉक्टर ने बीएमडी चेक कराने को कहा। रिपोर्ट में विटामिन डी, कैल्सियम और प्रोटीन की कमी बताई गई। डॉक्टर ने बताया कि आपको ऑस्टियोपोरोसिस हो गया है। इसके बाद से दवाओं के साथ पौष्टिक आहार भी ले रही हूं।

शालिनी गुप्ता, उम्र 45 साल, राप्तीनगर

ऑस्टियोपोरोसिस से सिर्फ शालिनी और सरिता ही नहीं, बल्कि इस उम्र की अधिकतर महिलाएं व पुरुष पीडि़त हैं। उम्र के साथ हड्डियों का कमजोर होना आम समस्या है लेकिन लापरवाही सिटी में रोगियों की संख्या बढ़ा रही है। खान-पान में लापरवाही व खराब जीवनशैली के चलते 50 वर्ष के बाद होने वाली बीमारी अब युवाओं को भी चपेट में ले रही है। डॉक्टर का कहना है कि 50 साल की उम्र के बाद हर तीन में से एक महिला को यह समस्या होती है। वहीं हर पांच में एक पुरुष को इसकी दिक्कत होती है। हड्डियों के कमजोर होने से फ्रैक्चर होने का जोखिम बना रहता है। ऑस्टियोपोरोसिस से बचाव के लिए इसके बारे में जानकारी होना बहुत जरूरी है। ऑस्टियोपोरोसिस डे पर आई नेक्स्ट ने इस रोग से संबंधित जानकारी आपसे शेयर कर रहा है ताकि आप अपना बचाव कर सकें।

पहचानें शुरुआती लक्षण

ऑर्थोसर्जन डा। संजय तिवारी बताते हैं कि यदि शुरुआती दौर में ही इस रोग की पहचान हो जाए तो इससे निपटना आसान होगा। अक्सर देखा जाता है कि जब रीढ़, कलाई या कूल्हे की हड्डी में फ्रैक्चर हो जाता है तब लोगों को पता चलता है कि उन्हें ऑस्टियोपोरोसिस था। बीमारी बढ़ने की बड़ी वजह यह है कि जानकारी के अभाव में लोग इस रोग के शुरुआती लक्षणों को समझ नहीं पाते। यह बीमारी धीरे-धीरे हड्डियों को पतला, कमजोर व खोखला कर देती है। इस कारण कई बार हल्की चोट से ही हड्डी टूट जाती है। ऐसी हालत में कोई भारी सामान उठाते समय और यहां तक कि सामान्य दिनचर्या वाले कार्य के दौरान भी रीढ़ की हड्डी में फ्रैक्चर हो जाता है।

सही जीवनशैली अपनाइए

होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ। रूप कुमार बनर्जी बताते हैं कि ऑस्टियोपोरोसिस का शाब्दिक अर्थ पोरस बोन्स है। यह ऐसी बीमारी है जिसमें हड्डियों की गुणवत्ता और घनत्व कम होता जाता है। इसके लक्षण सामान्यत: जल्दी दिखाई नहीं देते। डॉ। बनर्जी बताते हैं कि हमारी हड्डियां कैल्शियम, फॉस्फोरस और प्रोटीन के अलावा कई प्रकार के मिनरल्स से बनी होती हैं। अनियमित जीवनशैली और बढ़ती उम्र के साथ ये मिनरल नष्ट होने लगते हैं, जिस वजह से हड्डियों का घनत्व कम होने लगता है और वे कमजोर हो जाती हैं। यदि सही जीवनशैली अपनाई जाए तो बहुत हद तक इससे बचाव किया जा सकता है।

बॉक्स

कभी भी टूट सकती है हड्डी

ऑस्टियोपोरोसिस के कारण हड्डियां पतली और कमजोर हो जाती हैं। यह इतनी कमजोर हो जाती हैं कि कई बार हल्की चोट से ही फ्रैक्चर हो जाता है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक ऑस्टियोपोरोसिस के चलते महिलाओं में हिप फ्रैक्चर (कूल्हे की हड्डी का टूट जाना) की आशंका स्तन कैंसर, यूटेराइन कैंसर और ओवरियन कैंसर जितनी ही है।

यह है कारण

- अनुवांशिक, प्रोटीन की कमी, विटामिन डी और कैल्शियम की कमी, व्यायाम ना करना, बढ़ती उम्र, धूम्रपान, डायबिटीज, थाइरॉयड और शराब का सेवन आदि।

- दौरा पड़ने की दवा और स्टेरॉयड आदि के सेवन से भी कभी-कभी यह समस्या हो सकती है।

- बहुत ज्यादा सॉफ्ट ड्रिंक्स पीने, ज्यादा नमक खाने और महिलाओं में जल्दी पीरियड्स खत्म होने से भी इस बीमारी को पांव पसारने का मौका मिल सकता है।

रोग को पहचानिए और बचिए

- अक्सर मामूली सी चोट लग जाने पर भी फ्रैक्चर होने लगे तो यह ऑस्टियोपोरोसिस का बड़ा संकेत होता है।

- इस बीमारी में शरीर के जोड़ों में जैसे रीढ़, कलाई और हाथ की हड्डी में जल्दी फ्रैक्चर हो जाता है।

- बहुत जल्दी थक जाना, शरीर में बार-बार दर्द होना भी इस रोग के लक्षण हैं।

- खासकर सुबह के वक्त कमर में दर्द होता है, फिर धीरे-धीरे दर्द बढ़ता जाता है।

यह तरीका अपनाएं

- वॉक, एरोबिक्स, डांस और लाइट स्ट्रेचिंग करें।

- योग भी ऑस्टियोपोरोसिस में आराम पहुंचाता है।

- जीवनशैली में भी सकारात्मक बदलाव लाएं।

- पौष्टिक आहार लें, जिनमें कैल्शियम और विटामिन डी भरपूर मात्रा में हो। दूध से बने उत्पाद कैल्शियम के अच्छे स्त्रोत हैं, इनका सेवन करें।

- ऑस्टियोपोरोसिस की जांच के लिए बीएमडी टेस्ट यानी बोन मिनरल डेंसिटी टेस्ट कराइए।

कोट्स

यहां ऑस्टियोपोरोसिस के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। महिलाओं को इसकी शिकायत अधिक है। पांच में एक पुरुष को वहीं तीन में एक महिला को इसकी शिकायत हो रही है।

- डॉ। इमरान अख्तर, पूर्व चिकित्सक हड्डी विभाग, बीआरडी

ऑस्टियोपोरोसिस के पेशेंट्स की संख्या तेजी से बढ़ रही है। जिला अस्पताल में भी इसके रोगी आ रहे हैं। महिलाएं खान-पान में ज्यादा लापरवाह होती हैं इसलिए भी महिला रोगियों की संख्या अधिक है। सावधानी जरूरी है।

- डॉ। अंबुज श्रीवास्तव, हड्डी रोग चिकित्सक, जिला अस्पताल