- मेडिकल कॉलेज का हाल
- पर्ची काउंटर से ओपीडी तक परेशानी
- भीड़ व लंबी लाइन, पेशेंट्स की बढ़ा रहा मुश्किलें
GORAKHPUR: बीआरडी मेडिकल कॉलेज में इलाज कराना किसी मुसीबत से कम नहीं है। पहले तो यहां लंबी लाइन से जूझिए। इसके बाद जब लगता है कि आपका नंबर आने वाला है, तभी कोई बिना लाइन वाला जुगाड़ के जरिए अंदर पहुंच जाता है। नतीजा यह होता है कि लंबी लाइन लगाकर इंतजार कर रहे मरीजों का इंतजार और लंबा हो जाता है। इससे उन मरीजों-परिजनों के लिए मुश्किल खड़ी हो जाती है, जो बहुत दूर से आए होते हैं। मंगलवार को आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने मेडिकल कॉलेज में पूरे हालात का रियलिटी चेक कर मरीजों और उनके तीमारदारों का दर्द महसूस किया
पर्ची काउंटर पर होता है खेल
सुबह के 9.30 बजे आई नेक्स्ट रिपोर्टर हकीकत जानने के लिए पर्ची काउंटर के पास पहुंचा। यहां पेशेंट्स की लंबी लाइन लगी थी। वहीं लाइन के इतर कुछ लोग आसानी से पर्ची लेकर जा रहे थे। यह सब देखकर लोगों को गुस्सा तो आ रहा था, लेकिन वह मजबूर थे। रिपोर्टर जब वापस लौटा तो मेन गेट के पास एक व्यक्ति पेशेंट्स से पर्ची लेकर बगल का हिस्सा फाड़ रहा था। पर्ची फाड़ने वाले शख्स के बारे में जब वहीं मौजूद एक छात्र से बात की गई तो उसने हैरान करने वाला सच बयां किया। छात्र ने बताया कि वह युवक पर्ची लेकर मरीजों को जल्दी दिखाने का झांसा देता है और उनसे पैसा वसूल करता है। यह खेल रोज ही होता है, लेकिन शिकायत करने पर जिम्मेदार बरस पड़ते हैं।
यूजर चार्जेज काउंटर
इसी तरह यूजर चार्जेज काउंटर पर महिला और पुरुषों की लंबी लाइन लगी थी। यहां पेशेंट्स के साथ आये तीमारदार विभिन्न टेस्ट के लिए पर्ची लेने के लिए लाइन में लगे थे। वहीं कुछ लोग बगल से ही पर्ची लेकर निकल रहे थे। जब इस बारे में जब उनसे पूछा गया तो उनका जवाब था कि अपनी व्यवस्था है, तभी तो जल्दी काम हो गया नहीं तो काफी समय लग जाता है।
आर्थो के बाहर मरीज बेहाल
पुरानी इमरजेंसी गैलरी में आर्थो ओपीडी का हाल यह है कि अगर गंभीर मरीज यहां इलाज के लिए लाया जाए तो रास्ते में ही मर जाएगा। यहां काफी भीड़ लगी थी। इलाज के लिए लोग एक दूसरे को धक्का दे रहे थे। कुछ लोग तो हेल्थकर्मी को पर्चा थमाकर बगल के फर्श पर बैठे नजर आए।
मेडिसिन, मानसिक रोग का हाल
मेडिसिन और मानसिक कक्ष के बाहर तकरीबन 100 की संख्या में लोग लाइन में खड़े थे। इसके अलावा कई लोग बगल में लगी टूटी कुर्सी पर किसी तरह से टेक लगाए हुए थे। हैरान करने वाली बात यह थी कि प्राइवेट कर्मचारियों को डॉक्टर कक्ष के बाहर लगाया गया था, जो मरीजों को सलाह देने में लगे थे। अपनी पर्ची के बारे में पूछने पर मरीजों को सिर्फ डांट मिल रही थी। इस बारे में जब सवाल किया गया तो प्राइवेट कर्मचारियों ने पहले तो कुछ बोलने से इंकार कर दिया। फिर जवाब दिया कि यदि इन लोगों से फायदा नहीं लिया जाए तो किससे लिया जाए? क्योंकि अपना भी तो पेट पर्दा है। यदि कमाई नहीं होगी तो क्या खाया जाएगा? इसके बाद रिपोर्टर चर्म रोग, नेत्र विभाग समेत अन्य विभागों का इंस्पेक्शन करके दवा काउंटर तक पहुंचा। सभी जगहों पर कमोबेश एक जैसा ही हाल देखना को मिला।
ट्रॉमा सेंटर
ट्रामा सेंटर के सेंट्रल जांच केंद्र के पास लोग हाथ में ब्लड सैंपल लेकर लाइन में खड़ थे। उन्हें पर्ची दी जा रही थी। कुछ के चेहरे पर तो मायूसी छाई हुई थी। कुशीनगर से आए रविन्द्र सिंह से जब सवाल किया गया तो उसका कहना था कि रात में अपने पेशेंट्स को एपिडेमिक इमरजेंसी में एडमिट कराया था। उसकी हालत काफी खराब है। डॉक्टर ने ब्लड टेस्ट कराने के लिए भेजा है। सुबह से ही लाइन में लगा हूं, लेकिन अभी तक नंबर नहीं आया है।
यह बातें जानकारी में है। पेशेंट्स की परेशानी को देखते हुए तैयारियां की जा रही हैं। जल्द ही मरीजों के लिए बेहतर सिस्टम लागू कर दिया जाएगा। इससे उनकी तमाम परेशानियां हल हो सकेंगी। यह मेरी प्राथमिकता है।
-डॉ.आरपी शर्मा, प्राचार्य, बीआरडी मेडिकल कॉलेज