- डीडीयूजीयू में एक एसोसिएट प्रोफेसर के भरोसे चल रहा है उर्दू डिपार्टमेंट
- 13 साल से खाली पड़े हैं पद, नहीं हुई नए टीचर्स की भर्ती
GORAKHPUR : डीडीयूजीयू का उर्दू डिपार्टमेंट पिछले म् साल से सिर्फ एक एसोसिएट प्रोफेसर के भरोसे चल रहा है। चाहे यूजी की क्लासेज हों या फिर पीजी की, करीब ब्ख्0 स्टूडेंट्स को पढ़ाने का जिम्मा सिर्फ एक टीचर के कंधे पर है। हालांकि यूनिवर्सिटी ने टीचर्स की रिक्रूटमेंट के लिए प्रोसेस शुरू किया है, लेकिन वो भी खटाई में पड़ता नजर आ रहा है।
टीचर एक, स्टूडेंट ब्00 से ज्यादा
डीडीयूजीयू के उर्दू डिपार्टमेंट में स्टूडेंट्स की तादाद अच्छी खासी है। यूजी कोर्सेज में जहां फ्00 से ज्यादा स्टूडेंट्स पढ़ते हैं, वहीं पीजी में क्ख्0 से ज्यादा। इन सभी को पढ़ाने के लिए सिर्फ एक एसोसिएट प्रोफेसर डॉ। रजिउर्रहमान हैं। एक टीचर कैसे इतने सारे स्टूडेंट्स को पढ़ा सकता है, आप समझ सकते हैं, लेकिन फिर भी पिछले क्फ् साल से उर्दू डिपार्टमेंट में टीचर्स का अभाव रहा है।
बढ़ा है उर्दू पढ़ने का क्रेज
डॉ। रजिउर्रहमान सुबह क्0 बजे से दोपहर ख् बजे तक यूनिवर्सिटी में पढ़ाते हैं। क्लास से निकलने के बाद एचओडी की भूमिका अदा करते हैं। इसी बीच म् जेआरएफ और ख् नेट क्वालिफाइड स्टूडेंट्स को गाइड करते हैं। डॉ। रजिउर्रहमान बताते हैं कि उर्दू पढ़ने वाले स्टूडेंट्स की संख्या में खासा इजाफा हुआ है। उर्दू डिपार्टमेंट में डॉ। रजिउर्रहमान के अंडर में स्टडी कर रहे म् जेआरएफ उनकी हेल्प करते हैं। सलीम, शरीफ, मोईन, हेमलता, नगमा और सईदा ये सभी बच्चों के सिलेबस कंप्लीट कराने में एसोसिएट प्रोफेसर की हेल्प करते हैं।
अब तो तबीयत भी खराब रहती है
उर्दू पढ़ाते-पढ़ाते उम्र ढल गई। यूनिवर्सिटी की तरफ से नये-नये नियम भी आ गए, लेकिन टीचर्स नहीं आए। अब तो स्वास्थ्य भी खराब रहता है। क्यों क्लास में स्टूडेंट्स को पढ़ाने के लिए बोलना जरूरी है। ऐसे में तकलीफ थोड़ी बढ़ जाती हैं, लेकिन डाक्टरी इलाज के साथ-साथ यूनिवर्सिटी जाना भी बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। वे बताते हैं कि पहले जब एनुअल एग्जाम होते थे, तब 9 पेपर पढ़ाने पड़ते थे, लेकिन जब से सेमेस्टर सिस्टम शुरू हुआ है तब से क्8 पेपर पढ़ाने पड़ते हैं।
कानूनी पेंच में उलझी भर्ती
यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन की मानें तो यूनिवर्सिटी में टीचर्स की वैकेंसी भरने के लिए प्रोसेस शुरू कर दिया गया है। कई कानूनी पेंच फंसे होने की वजह से भर्ती प्रक्रिया पर विराम लगता नजर आ रहा है। उर्दू डिपार्टमेंट की बात करें तो करीब ब्ख्0 स्टूडेंट्स वाले डिपार्टमेंट में क्फ् साल से दो असिस्टेंट प्रोफसर्स के पद खाली पड़े हैं। वहीं ख्008 से प्रोफेसर का एक पद खाली पड़ा है।
जब से इस डिपार्टमेंट में नियुक्ति हुई, तब से लेकर आज तक टीचर्स का अभाव है। इसके बावजूद कोशिश रहती है कि बच्चों का सिलेबस समय से कंप्लीट करा दिया जाए। टीचर्स की कमी दूर करने के लिए वीसी साहब से ही उम्मीद है।
डॉ। रजिउर्रहमान, उर्दू डिपार्टमेंट, डीडीयूजीयू