-जाम के साथ सड़कें भी कब्जा कर रही डग्गामार बसें, राजस्व को भी लग रहा चपत

-आरटीओ और पुलिस की लड़ाई में पिस रहा रोडवेज, हॉकर भर रहे सवारी

GORAKHPUR: डग्गामार बसों पर कार्रवाई की बात तो दूर, अब मामले में एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहराने का खेल चल रहा है। सिटी में तमाम कवायदों के बावजूद आरटीओ डग्गामारी पर लगाम तो नहीं लगा पाया, उलटे वह अन्य विभागों को इसके लिए जिम्मेदार ठहरा रहा है। आई नेक्स्ट ने अपने अभियान 'सब पर भारी डग्गामारी' के लिए जब मामले की तहकीकात शुरू की तो कुछ और ही कहानी निकलकर सामने आई। डग्गामार बस संचालकों से बातचीत में पता चला कि असल में आरटीओ खुद इनसे पैसे खाता है। ऐसे में वह उनके खिलाफ कार्रवाई भला कैसे करेगा।

नहीं पड़ा कोई असर

रोडवेज अधिकारियों के मुताबिक रोडवेज के किसी भी बस स्टैंड से एक किलोमीटर के अंदर प्राइवेट बसों का स्टैंड नहीं हो सकता। बावजूद इसके रोडवेज बस स्टेशन से महज कुछ कदमों की दूरी पर रेलवे स्टेशन और यूनिवर्सिटी चौक पर डग्गामार बसें खुलेआम सवारियां भरती नजर आती हैं। आई नेक्स्ट ने गुरुवार को इसका रियलिटी चेक किया था। लेकिन शुक्रवार को फिर यह सिलसिला जारी रहा। कचहरी बस स्टैंड से कुछ कदमों की दूरी पर कुलपति आवास और छात्रसंघ चौक पर भी डग्गामार बसें डंके की चोट पर सवारियां भरती रहीं। इस दौरान कुछ बस वालों ने तो सवारियों को बीच रास्ते से उतारकर बसों में बैठा लिया जा रहा था।

आरटीओ का फिक्स है महीना

आई नेक्स्ट ने अपने अभियान 'सब पर भारी डग्गामारी' के दौरान कई डग्गामार बसों के मालिकों से बातचीत की। इन बस मालिकों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि इसके लिए आरटीओ को बंधी-बंधाई रकम दी जाती है। अन्यथा आरटीओ बस स्टैंड के एक किलोमीटर के अंदर पकड़ ले तो 15 हजार रुपए से ऊपर का जुर्माना ठोंक देगा। वहीं आरटीओ अधिकारियों का कहना है कि रोडवेज कर्मचारी खुद डग्गामार बस वालों से पैसे लेते हैं। इसके एवज में डग्गामार बस वाले रोडवेज बसों के सामने से ही सवारियों को अपनी बसों में बैठा लेते हैं।

मुंह मोड़ रहा आरटीओ

रोडवेज एआरएम महेश चंद्र श्रीवास्तव के मुताबिक नवंबर महीने में रोडवेज की ओर से डग्गमार बसों के खिलाफ अभियान चलाया गया। इस दौरान कई डग्गामार बसों के हॉकरों को रोडवेज कर्मचारियों ने पकड़कर पुलिस के हवाले भी किया। इसके साथ से विभाग की ओर से कराए गए तीन दिनों के सर्वे के दौरान कुल 165 डग्गामार बसों को चिन्हित कर इसकी सूची आरटीओ को सौंपी गई, लेकिन इनमें से किसी एक पर भी अभी तक कार्यवाही नहीं की गई। मजे की बात यह है कि आरटीओ इन 165 डग्गामार बसों की सूची को पुलिस को सौंप दिए जाने की बात कर रहा है।

यह आरटीओ की नैतिक जिम्मेदारी है कि वह इन डग्गामार बसों के खिलाफ कार्रवाई करे। इसमें जो मदद पुलिस की तरफ से चाहिए वह लगातार दी जाती है। अगर आरटीओ को अभियान चलाकर कार्रवाई करना है तो आगे भी उन्हें मदद दी जाएगी। आरटीओ कार्रवाई करना चाहे तो पुलिस की एक्स्ट्रा फोर्स भी दी जाएगी।

-लव कुमार, एसएसपी

इसके लिए पूरी जिम्मेदारी आरटीओ की होती है कि वे इन डग्गामार बसों के खिलाफ कार्रवाई करे। डॉक्यूमेंट्स कंप्लीट होने की बात पूरी तरह गलत है। क्योंकि यह बसें कांट्रैक्ट कैरिज की होती हैं या फिर सिटी परमिट होता है। रोडवेज के किसी भी बस स्टैंड के एक किलोमीटर के अंदर बसें खड़ा करना ही अवैध है। बावजूद इसके आरटीओ कार्रवाई नहीं करता।

-सुग्रीव राय, आरएम-रोडवेज