- एक माह से शहर में खत्म हो चुका है मीटर

- दस दिन पहले आया 20 हजार मीटर दे दिया ठेकेदारों को

- अब पब्लिक मीटर बदलने और न्यू कनेक्शन के लिए लगा रही चक्कर

GORAKHPUR:

केस नंबर 1

शाहमारूफ के रहने वाले खिलौने के व्यापारी ने 15 दिन पहले नया कनेक्शन लिया। लेकिन अभी तक उनकी दुकान का केबल नहीं जोड़ा गया है। इसके लिए वह पिछले पांच दिन कनेक्शन जोड़ने के लिए बक्शीपुर का चक्कर लगाते रहे। बताया गया कि मीटर समाप्त हो गया और उसके बाद वह डेली फोन करके मीटर के बारे में जानकारी ले रहे हैं, लेकिन कनेक्शन नहीं जोड़ा जा रहा है।

केस नंबर 2

विकास नगर की रहने वाली रश्मि तिवारी का मीटर नो डिस्प्ले हो गया, उसको बदलवाने के लिए वह एक सप्ताह से चक्कर लगा रही हैं, लेकिन उनको मीटर होने की बात कह कर टाल रहे हैं। यही नहीं उनको इस बात का भी डर सता रहा है कि कहीं इस दौरान नो डिस्प्ले चार्ज के अनुसार बिल बना दिया तो पता चला कि कई गुना बिल आ जाएगा।

केस नंबर तीन

5 मई को कूड़ाघाट के रहने वाले राजेश यादव के घर का मीटर जल गया। मीटर बदलने के लिए कंप्लेन किए तो उनका कनेक्शन काट दिया गया। 24 घंटे तक मीटर न मिलने के कारण उनके यहां अंधेरा रहा और जब वह दूसरे दिन गए तो मीटर न होने का बहना किया गया, लेकिन जब राजेश हंगामा शुरू किया तो उनका बिल बिना मीटर के जोड़ा दिया गया, आज 6 मई से उनके यहां डायरेक्ट सप्लाई से घर में उजाला हो रहा है।

यह तीन केस से पब्लिक की परेशानी दिखाई जा रही है, लेकिन यह सच है। बिजली विभाग की कारस्तानी के कारण डेली 100 से 200 कंज्यूमर्स पिछले एक माह से परेशान हो रहे हैं। पब्लिक की यह परेशानी मीटर की कमी के कारण नहीं हुई है, बल्कि बिजली विभाग के बड़े अफसरों के बीच खेले जा रहे मीटर के खेल के कारण हो रहा है। एक माह पहले मीटर समाप्त हो गया, उसके बाद 15 दिन पहले 20 हजार मीटर आया, लेकिन अफसरों ने चायनीज और चकरी मीटर बदलने के लिए एक ठेकेदार को दे दिया गया। अफसरों का ठेकेदार के लिए प्यार पब्लिक पर भारी पड़ रहा है।

बदलने के लिए हुआ खेल

शहर में सबसे पहले मैनुअल मीटर लगाया गया। उसके बाद कुछ दिन चाइनीज मीटर का दौर आया और उसी के समय शहर में सेमीइलेक्ट्रिॉनिक मीटर लगाया गया। यह मीटर 2012 तक रहा। 2012 में शहर में बिजली विभाग द्वारा पूरे शहर में मीटर की जांच कराई गई और शहर में अभियान चलाकर मीटर बदला गया। इस अभियान में यह लक्ष्य निर्धारित है कि पूरे शहर में डिजिटल इलेक्ट्रिानिक मीटर लगा दिया जाए। यही नहीं अब जो भी मीटर बदले जा रहे हैं और नए लगाए जा रहे हैं। वहां डिजिटल इलेक्ट्रिानिक मीटर ही लगाए जा रहे हैं।

कहां गए 20 हजार मीटर

एक माह बाद जब शहर में मीटर समाप्त हो गया तो उसके बाद कुछ दिन बाद शहर में 20 हजार डिजिटल मीटर का खेप रेलवे स्टेशन के स्टोर में आया, लेकिन अभी शहर के मीटर विभाग के अधिकारी अपने यहां मीटर आने का इंतजार ही करते कि अचानक मीटर गायब हो गया, उसके बाद अफसर भी परेशान हुए और मीटर के लिए अफसरों से बाद में पता चला कि मीटर ठेकेदारों को दे दिया गया, लेकिन यह पूरा मामला उच्चाधिकारियों के अधीन में होने के कारण कोई भी अधिकारी बोलने का तैयार नहीं हो रहा है, लेकिन अंदरखाने चर्चा है कि गोरखपुर जोन के ही एक उच्चाधिकारी को लाभ पहुंचाने के लिए मीटर ठेकेदारों को दिया गया है।

पब्लिक के सामने यह होगी प्रॉब्लम

- खराब मीटर नहीं बदल पाएगा

- नया कनेक्शन नहीं मिलेगा

- खराब मीटर न बदलने से बिल नहीं बनेगा

- पब्लिक के यहां गलत बिल पहुंचेगा

- नो डिस्प्ले वाले मीटर का बिल नहीं बनेगा