- यूपी रोडवेज गोरखपुर डिपो में खड़ी होने वाली अनुबंधित बसों को देना होगा 100 रुपए पार्किग शुल्क
- पार्किग शुल्क न देने वाले अपनी बसों के संचालन के लिए आधे घंटे पहले लाए डिपो पर
GORAKHPUR: यूपी रोडवेज अनुबंधित बस ओनर्स अपनी जेब ढीली करने को तैयार हो जाए। अब बस स्टेशन परिसर में बस खड़ी करने के बजाय कहीं और खड़ी करने का जगह ढूंढ लें। वह इसलिए कि यूपी रोडवेज गोरखपुर डिपो के एआरएम ने अनुबंधित बसों के स्टेशन परिसर में खड़ी करने पर 100 रुपए का पार्किग शुल्क वसूलने का फरमान जारी किया है। इसके बाद अनुबंधित बस ओनर्स के बीच खलबली मच गई है।
जाम से निपटने की नई तरकीब
रेलवे स्टेशन स्थित गोरखपुर डिपो के सामने अक्सर जाम लगने के चलते जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन और यूपी रोडवेज प्रशासन काफी परेशान है। स्टेशन रोड को जाम से मुक्त करने के लिए कई अभियान भी चलाए गए, लेकिन लोगों को जाम से निजात नहीं मिल सकी। राहगीरों को जाम से निजात मिल सके, इसके लिए गोरखपुर डिपो के एआरएम महेश चंद्र श्रीवास्तव ने नोटिस जारी कर सभी अनुबंधित बस मालिकों को निर्देशित किया है कि वह अपनी बसें बस स्टेशन परिसर में खड़ी करने के बजाय कहीं और ले जाएं। यहीं नहीं बस स्टेशन परिसर में अगर बसें खड़ी पाई गई तो 100 रुपए पार्किग शुल्क वसूला जाएगा।
एआरएम ने बताया कि चूंकि स्टेशन परिसर छोटा है। ऐसे में अनुबंधित बसों की संख्या ज्यादा है। कमिश्नर पी। गुरू प्रसाद और डीएम ओएन सिंह के आदेश पर अमल करते हुए रोडवेज प्रशासन ने कदम उठाया है। एआरएम की ओर से जारी किए नोटिस में बताया है कि अनुबंधित बसों के खड़े रहने से रात के वक्त दो बसों के बीच अराजक तत्व गलत हरकत करते हैं। ऐसे में रोडवेज की छवि धूमिल हो रही है। लिहाजा अनुबंधित वाहन स्वामी निर्धारित संचालन समय से आधा घंटा पहले स्टेशन परिसर में आएंगे और अपने वाहन का संचालन करेंगे।
आदेश तुगलकी फरमान
वहीं इस नोटिस के चस्पा होने के बाद से अनुबंधित बस ओनर्स के बीच हड़कंप मचा हुआ है। अनुबंधित बस एसोसिएशन के क्षेत्रीय अध्यक्ष विनोद पांडेय ने बताया कि एआरएम द्वारा जारी किया गया आदेश तुगलकी फरमान है। पूरे प्रदेश भर के किसी भी डिपो में ऐसा नहीं है कि अनुबंधित बसें स्टेशन परिसर में न खड़ी होती हों। अनुबंधित बसों से जाम लगने की बात पर उन्होंने कहा कि पहले डग्गेमार बसों को स्टेशन रोड से खदेड़ा जाए। साथ ही साथ अनुबंधित बसों के लिए स्टॉपेज की व्यवस्था की जाए। ऐसे में आखिरकार बस ओनर्स अपनी बसें कहां खड़ी करेंगे?