- नई राजस्व संहिता में पुराने जटिल राजस्व कानूनों को आसान बनाकर प्रदेश के लोगों सरकार ने दी राहत
- प्रारूप समिति के अध्यक्ष व अपर महाधिवक्ता राज बहादुर सिंह यादव ने दी जानकारी
- गांव स्तर पर मामलों के निपटारे के लिए बनी ग्राम राजस्व समिति, नाम करेक्शन, रकबा संबंधित विवाद, छोटे-मोटे कब्जे का होगा तुरंत निपटारा
GORAKHPUR: अब किसी भी किसान या कमजोर की जमीन पर कोई दबंग कब्जा नहीं कर सकेगा। जमीन के मालिक को उसकी जमीन का एक-एक टुकड़ा मिलेगा और बाकायदा उसका रिकॉर्ड सरकार के पास दर्ज होगा। यह बातें प्रारूप समिति के अध्यक्ष व अपर महाधिवक्ता राज बहादुर सिंह यादव ने शेयर कीं। वह सर्किट हाउस में प्रेस से रूबरू थे। उन्होंने बताया कि इसके लिए प्रदेश ने नई राजस्व संहिता 2016 को हरी झंडी दे दी है। अब प्रदेश की सारी आबादी का सर्वे कराने के साथ उसका अभिलेखीकरण कराया जाएगा। जिसमें उनकी एक-एक इंच जमीन का हिसाब रखने के साथ ही वह इसे कैसे इस्तेमाल कर रहा है, इसका भी ब्यौरा दर्ज होगा।
व्यथा निवारण कमेटी की जिम्मेदारी
उन्होंने बताया कि अब तक ऐसा होता है कि सिर्फ आदमी और उसकी जमीन की डीटेल का रिकॉर्ड दर्ज किया जाता है। इसमें यह कतई मेंशन नहीं होता कि इस जमीन में कितना रास्ता है? कहां नाली है? कहां नाद रखा जाता है? कहां और कितनी बड़ी दीवार है। मगर अब यह सभी आंकड़े कागजों में दर्ज होंगे। इसके लिए व्यथा निवारण कमेटी फॉर्म की गई है। जो हर जमीन पर जाकर उसका फिजिकल वेरिफिकेशन करेगी और सब चीजों की पैमाइश कर इसका रिकॉर्ड पेपर पर दर्ज करेगी। इसके बाद इसे खतौनी की तरह ही ऑनलाइन कर दिया जाएगा। जिसकी नकल की कॉपी जमीन का मालिक कभी भी डाउनलोड कर सकता है। वहीं विवाद की स्थिति में इनवेस्टिगेशन करने वाले अफसर भी जमीन की स्थिति का आसानी से पता लगा सकेंगे।
ग्राम राजस्व कमेटी निपटाएगी मामले
ग्राम में होने वाले छोटे-मोटे मामले जो न्यायालयों की भीड़ बढ़ाते हैं, उनको मौके पर ही निपटारे की व्यवस्था की गई है। इसके लिए ग्राम लेवल पर ग्राम राजस्व कमेटी का गठन किया जाएगा। इसमें लेखपाल, कानूनगो, प्रधान के साथ, प्रधानी चुनाव में सेकेंड नंबर का प्रत्याशी, एक महिला, एक एससी और एक ओबीसी मेंबर रहेगा। यह कमेटी हर माह एक निर्धारित स्थान पर कैंप करेगी और उस ग्राम में होने वाले अन डिस्प्यूटेड मामलों के साथ ही नेम करेक्शन, रकबा संबंधित विवाद, छोटे-मोटे पैमाइश संबंधी विवाद और मेढ़ आदि से संबंधित विवादों का तत्काल निस्तारण करेगी।
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न्यायालय का बोझ घटाएंगे राजस्व अधिकारी
अपरमहाधिवक्ता ने बताया कि न्यायालय पर लगातार बढ़ रहे मुकदमों के बोझ को कम करने के लिए तहसीलवार राजस्व अधिकारी की नियुक्ति की जा रही है। यह अधिकारी सिर्फ मुकदमें की सुनवाई करेंगे और बाकी किसी काम में इनका कोई योगदान नहीं होगा। मानदेय के तौर पर उन्हें वेतन का दस प्रतिशत न्यायिक भत्ता भी दिया जाएगा। साथ ही इन्हें स्थलीय निरीक्षण के लिए गाड़ी उपलब्ध कराने के साथ ही साथ ज्यूडिशियल प्रोटेक्शन भी दिया जाएगा। इस तरह करीब 340 न्यायिक तहसीलदारों की नियुक्ति की जानी है।
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सर्किल रेट पर ही जमीन की नीलामी
उन्होंने बताया कि अक्सर ऐसा देखने और सुनने में आता है कि किसी व्यक्ति ने कोई जमीन गिरवी ले रखी थी, मगर उसका पैसा नहीं चुका पाया। तो इस स्थिति में बैंक या अधिकारी उस जमीन को अपने कर्ज के बराबर धनराशि में नीलाम कर देते थे। ऐसे में उनकी वसूली तो हो जाती थी, लेकिन मालिक को दोहरा नुकसान उठाना पड़ता था। मगर अब ऐसा नहीं होगा। नए नियम के तहत अब कोई भी जमीन सर्किल रेट से कम दाम पर नहीं बेची जा सकेगी। इसके साथ ही यह भी व्यवस्था है कि जितना कर्ज है, उस हिसाब से जमीन बेचकर बाकी मालिक को वापस कर दी जाएगी। इससे बैंक का कर्ज भी उतर जाएगा और उसको ज्यादा नुकसान भी नहीं होगा।
कुछ और अहम फैसले
- खतौनी में प्रत्येक खातेदारों के हिस्से का उल्लेख
- आवंटित भूमि में पत्नी को बराबर का हिस्सा
- अविवाहित पुत्री को प्रथम श्रेणी का उत्तराधिकार
- एससी के भूमिधर द्वारा गैर अनुसूचित जाति के व्यक्तियों को कलेक्टर की आज्ञा से अंतरण का सशर्त प्रावधान
- शपथ-पत्र के आधार पर सरसरी न्यायिक कार्यवाही का निस्तारण
- आसामी को असंक्रमणीय भूमिधर का अधिकार
- कृषि कार्य करने में अक्षम व्यक्ति अपनी भूमि को कृषि कार्य के लिए पट्टे पर उठा सकेगा
- भूमि की श्रेणी बदलने के लिए राज्य सरकार को शक्ति
- 50 हजार तक के बकाएदारों की गिरफ्तारी अब नहीं