- केंद्र सरकार कर रही है स्पेशल एंबुलेंस खरीदने की तैयारी

- एक वक्त में 4 पेशेंट्स को ले जा सकेगी एंबुलेंस, सेलाइन से लेकर ईसीजी तक की सुविधा रहेगी मौजूद

- सड़क, परिवहन, राजमार्ग व पोत परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान दी जानकारी

GORAKHPUR : नेशनल हाइवेज पर होने वाले हादसे पर लगाम लगाने के लिए नई पहल की जा रही है। इसके तहत केंद्र सरकार नई एंबुलेंस को लाने की तैयारी में है, जिसमें एक ही समय में चार पेशेंट्स को ले जाने की सुविधा होगी। साथ ही सीरियस पेशेंट्स को सेलाइन टेस्ट के साथ ही ईसीजी की सुविधा भी उसी एंबुलेंस में मुहैया कराई जाएगी। यह जानकारी सड़क, परिवहन, राजमार्ग व पोत परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने दी। उन्होंने बताया कि बड़े एक्सीडेंट में कई लोग एक साथ गंभीर रूप से घायल होते हैं। वह समय से अस्पताल नहीं पहुंच पाते और रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं। इसको ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने इसका प्रस्ताव तैयार किया है।

एक्सीडेंट प्रोन एरियाज में होगी तैनात

केंद्रीय मंत्री ने बताया कि एंबुलेंस में जहां चार पेशेंट्स को एक साथ ले जाने की सुविधा होगी, वहीं दूसरी ओर इसमें और भी कई बेहतर सुविधाएं मौजूद रहेंगी। एक्सीडेंट के दौरान सीरियस पेशेंट्स को वेंटिलेटर के साथ ही सेलाइन, ईसीजी की भी व्यवस्था मुहैया कराई जाएगी। इतना ही नहीं इस एंबुलेंस की एक और खास बात यह है कि इसमें बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हुए गए वाहन में फंसे लोगों को बाहर निकालने के लिए भी सामान मौजूद रहेंगे। इसमें गाड़ी को काटने के सामान भी रहेंगे। इससे एक्सीडेंट के केसेज में फौरन ही रेस्क्यू प्रॉसेस शुरू की जा सकेगी। नितिन गडकरी ने बताया कि इन एंबुलेंस के लिए एक्सीडेंट प्रोन एरियाज को प्वाइंट आउट किया जाएगा और वहां उनकी तैनाती की जाएगी। इससे दुर्घटना के समय लोगों को तत्काल चिकित्सा सुविधा मुहैया कराई जा सकेगी।

व्यापारियों को 'फ्लाइंग बोट' की सौगात

गडकरी ने बताया कि अब तक इंपोर्ट और एक्सपोर्ट के लिए अब तक रोड ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल किया जाता रहा है। इससे सामान भेजने या मंगवाने में व्यापारियों को काफी पैसे खर्च करने पड़ते हैं। इसका असर जनता की जेब पर भी पड़ता है। उन्हें सस्ते सामान की भी ज्यादा कीमत चुकानी पड़ती है। इसको देखते हुए केंद्र सरकार ने हवा और पानी दोनों में ही चलने वाली बोट का प्रस्ताव बनाया है। इसका नाम फ्लाइंग बोट दिया है। इसका फायदा यह है कि इससे लोगों का सामान पानी के जरिए आसानी से एक जगह से दूसरी जगह भेजा जा सकेगा, जिसकी लागत रोड ट्रांसपोर्ट से कई गुना कम होगी।

एयरपोर्ट अथॉरिटी बना रही प्रस्ताव

उन्होंने बताया कि इसके लिए एयरपोर्ट अथॉरिटी को प्रस्ताव बनाकर भेजा गया है। अभी तक देश में एयरबोट का कोई कॉन्सेप्ट नहीं है, इस वजह से यहां इसके लिए कोई रूल्स एंड रेग्युलेशन भी नहीं है। देश में भी यह सुविधा शुरू हो सके इसलिए इसके नॉ‌र्म्स तैयार करने की जिम्मेदारी एयरपोर्ट अथॉरिटी को सौंपी गई है। पानी के अंदर चलने के लिए रूल्स एयरपोर्ट अथॉरिटी तय करेगी, जबकि ट्रांसपोर्ट मिनिस्ट्री हवा में चलने के लिए प्रस्ताव तैयार करेगी। प्रस्ताव बनने के बाद देश के हर कोने में इस सुविधा का लाभ उठाया जा सकेगा।

टोल लेना है मजबूरी

हाईवे पर जगह-जगह टोल प्लाजा खोले जाने के सवाल पर केंद्रीय मंत्री ने बताया कि टोल लेना केंद्र सरकार की मजबूरी है। उन्होंने बताया कि सरकार के पास इतना पैसा नहीं है कि वह देश की सभी रोड बना सके। इसलिए टोल प्लाजा से होने वाली आय से देश में सड़क और नेशनल हाईवे बनाने का काम काफी तेजी से किया जा रहा है। अगर टोल प्लाजा कम कर दिए जाएं या टोल लेना बंद कर दिया जाए, तो फिर लोगों को वहीं पुरानी जर्जर सड़कों से होकर गुजरना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि अगर सुविधा का लाभ लेना है तो टोल टैक्स तो देना ही पड़ेगा।

ई-टोल स्टीकर का करें इस्तेमाल

केंद्रीय मंत्री ने बताया कि टोल के झंझट से लोगों को छुटकारा नहीं मिल सकता है। मगर उन्हें टोल जमा करने में आसानी हो सकती है। इसके लिए सरकार ने ई-टोल स्टीकर की व्यवस्था की है। इसे लगाने के बाद आपकी गाड़ी टोल प्लाजा पर बगैर रुके ही पास हो जाएगी। इसके लिए देश के 280 टोल प्लाजा पर सेंसर भी लगाया जा चुका है और बाकी पर भी इसको लगाने का काम चल रहा है। बीच में कुछ टेक्निकल प्रॉब्लम्स आ गई थी, लेकिन इसे सॉर्ट आउट कर लिया गया है। आने वाले तीन महीनों में देश के करीब सभी टोल प्लाजा पर यह सेंसर लगा दिया जाएगा।

बॉक्स में हाईलाइट करें

जल्द शुरू हो जाएगा गोरखपुर-वाराणसी हाइवे पर काम

गोरखपुर-वाराणसी एनएच 29 के बारे में पूछे गए एक सवाल पर नितिन गडकरी ने बताया कि भूमि अधिग्रहण की प्रॉसेस तेजी से चल रही है। 15 से 20 दिनों में इसका काम शुरू होगा। वहीं रामजानकी मार्ग को महामार्ग बनाने के सवाल पर उन्होंने बताया कि यह सरकार के अहम प्रोजेक्ट्स में से एक है। अयोध्या से जनकपुर (नेपाल) तक 262 किमी रास्ते को महामार्ग बनाना है, इसमें कुछ जगह काम शुरू हो गया है, लेकिन कुछ जगह प्रदेश सरकार से एनओसी नहीं मिली है, जैसे ही यह प्रॉसेस पूरी होती है, इसका काम शुरू हो जाएगा। गोरखपुर से कालेसर बाईपास के बारे में उन्होंने बताया कि इसका टेंडर अवार्ड हो चुका है, एक-दो महीने में इसका काम शुरू हो जाएगा।

प्रोजेक्ट्स हाईलाइट्स -

- एनएच 29 वाराणसी-गाजीपुर-मऊ-गोरखपुर के फोरलेन चौड़ीकरण का काम प्रस्तावित

- पैकेज - 1, 2, 3 और 4 में होना है इसका काम।

- पैकेज 3 और 4 में गोरखपुर के अंडर वर्क होगा।

- इसमें गाजीपुर के 25, मऊ के 58 और गोरखपुर के 92 गांव का होगा अधिग्रहण

- विरनो, मऊ-कोपागंज, घोषी और दोहरी घाट-बड़हलगंज बाइपास का होगा निर्माण

- 2 रेल उपगामी पुल, 3 फ्लाई ओवर, 2 अंडर पास

- गोरखपुर के 92 में से 6 गांव पीहा मोहम्मदपुर, देउरवीर, मिश्रौली, वस्तुपार, आनंदीपुर और अर्नी का थ्रीजी अवार्ड घोषित हो चुका है।