- पांच व एक हजार के नोट बंद होने से कच्चा माल पर संकट
- मशरूम, पनीर, सब्जी व मछली का कारोबार प्रभावित
GORAKHPUR: पांच सौ व एक हजार के पुराने नोट बंद किए जाने का असर बाजार पर दिखने लगा है। खासकर कच्चे माल के कारोबारी परेशान हैं। बाहर से माल नहीं आ रहा और दुकान में पड़े सामान बेकार हो गए हैं। बाजार से खरीदार गायब हो चुके हैं। जिन बाजारों में भीड़ के कारण धक्कामुक्की होती थी, वहां भी इस समय सन्नाटा पसरा हुआ है। लोगों को लगा था कि नई करेंसी आने के बाद दिक्कत खत्म हो जाएगी लेकिन अभी बाजार में इसका असर नहीं दिख रहा है।
उधार पर ले रहे माल
बड़े नोट के प्रचलन से मशरूम की बिक्री 10 फीसदी रह गई है। पिछले दिनों का रेट 175 फुटकर और थोक रेट 150 रुपये था। वहीं सोमवार को थोक में 140 और फुटकर में 150 रुपये की विक्री रही। व्यापारी बताते हैं कि लगन में ऑर्डर मिल रहा है लेकिन पांच सौ व एक हजार की नोट की वजह से माल फंस जा रहा है। उधार पर माल मंगाया जा रहा है।
- मोहित अग्रवाल, मशरूम के थोक व्यापारी
सड़ रही मछलियां
नोट पर पाबंदी का असर फुटकर व थोक व्यापारियों पर ज्यादा पड़ा है। मछली का कारोबार इस समय सुस्त गति से चल रहा है। ज्यादातर मछलियां आंध्र प्रदेश से मंगाई जाती है। बिक्री न होने की वजह से यह सड़ रही है। बहुत से दुकानदार अपनी दुकानें बंद कर दिए हैं। पहले जहां रोज 50 लाख की मछली बिक जाती थी, वहीं अब यह 30 लाख पर आकर रुक गई है। कारोबारी बड़े नोट ले नहीं ले रहे हैं और फुटकर व्यापारी परेशान हैं। ऐसी स्थिति में माल को खपाना हम लोगों की मजबूरी बन गई है। अब तो थोक मंडी में आवक भी कम हो गई है।
गजेंद्र साहनी, अध्यक्ष मछली मंडी समिति
सब्जी नहीं बिकी तो खराब हो जाएगी
नोट पर प्रतिबंध लग जाने से थोक और फुटकर कारोबारियों पर असर पड़ा है। सब्जी, फल कच्चा सौदा है। यदि समय पर इसकी बिक्री नहीं होती है तो खराब होने का अंदेशा बना रहता है। मंडी में फुटकर कारोबारी के न आने की वजह से माल नहीं मंगाया जा रहा है। माल का आवक नहीं होगा तो फल और हरी सब्जियों का शॉर्टेज होगा और वह महंगी होंगी। 8 नवंबर के पहले आलू 1600 रुपये कुंतल बिक रहा था अब वह 1200 रुपये कुंतल पर आ गया है। फुटकर कारोबारी के न आने से मॉल सस्ते दर पर बेचा जा रहा है।
अवध गुप्ता, अध्यक्ष, सब्जी विक्रेता समिति
खोवा की बिक्री पर भी असर
नोट पर रोक ने बाजार को पूरी तरह से तोड़कर रख दिया है। इन पांच दिनों में असर दिखने लगा है। खोवा मंडी में ग्राहक नहीं आ रहे हैं। वहीं थोक कारोबारी भी माल भरपूर नहीं भेज रहे हैं। खोवा का कारोबार ज्यादातर कानपुर, गाजीपुर और बनारस से होता है लेकिन माल का आवक नहीं हो पा रहा है। जिसकी वजह से व्यापार को बड़ा छटका लगा है। खोवा 180 से 220 रुपये तक बिक रहा था लेकिन अब इसे लेने वाला कोई नहीं है। हालांकि इससे भारी असर पड़ा है। मजबूरी में फुटकर दुकानदारों को कॉल कर माल को खपाने में लगे हैं।
नंद किशोर यादव, खोवा व्यापारी
मॉल न मिलने से आ रही दिक्कत
दस रोज पहले पनीर और दूध की बिक्री अधिक थी। लेकिन इधर उसकी गति रुक सी गई है। कारोबारी मॉल नहीं दे रहे हैं। जिससे कमी आई है। कारोबार में दस फीसदी की गिरावट आई है। गोरखपुर में पनीर की खपत 40 कुंतल से 50 कुंतल की है लेकिन अब यह घट गया है। जबकि लगन की वजह से खपत ज्यादा है। वहीं पनीर व दूध देने वाले किसान बड़ा नोट नहीं ले रहे हैं और इसके चलते फुटकर व्यापारी परेशान है। यदि सरकार को पूरा टैक्स चुकता करते तो यह समस्या नहीं आती।
राजेंद्र प्रसाद चौरसिया, पनीर व दूध के व्यापारी