-अपनी बदहाली पर रो रही महेवा मंडी
-पानी जैसी मूलभूत सुविधा तक नहींहै महेवा मंडी में
- ध्वस्त हैंडपंप, वाटर कूलर खोल रहे मंडी समिति की पोल
GORAKHPUR: पूर्र्वाचल की सबसे बड़ी सब्जी महेवा मंडी बदहाल है। इसका कोई पुरसाहाल नहीं है। जबकि इस मंडी में हर महीने करोड़ों रुपए का कारोबार होता है, लेकिन करोड़ों का कारोबार करने वाले कारोबारी पीने के पानी को तरस रहे हैं। आखिर क्यों बदहाल है महेवा मंडी? इसे जानने के लिए आई नेक्स्ट रिपोर्टर मंडी पहुंचा। यहां पानी के हैंडपंप भी है, वाटर कूलर्स भी। लेकिन इनका इतना बुरा हाल है कि यहां पानी पीना भी किसी चुनौती से कम नहींहै। इसके अलावा दो हैंड पंप जो चालू हालत में हैं, उनसे भी पानी कम बालू ज्यादा निकलता है। जबकि व्यापारी एक करोड़ रुपए प्रति माह टैक्स मंडी समिति को देते हैं। फिर भी इनके लिए पीने के पानी की कोई व्यवस्था नहीं है।
महेवा मंडी एक नजर में
स्थापना-क्99ख् में
कुल व्यापारी - करीब एक हजार
आवागमन-रोजाना दस से पंद्रह हजार लोग आते हैं।
हैंडपंप -आठ इण्डिया मार्का
वाटर कूलर - चार
वर्तमान स्थिति- बंद हालत में
बाहर से मंगाते हैं पानी- ब्00 से भ्00 जार
मंडी का कारोबार - एक माह में भ्0 करोड़ रुपए का टर्नओवर
मंडी शुल्क - एक महीने में एक करोड़ रुपये शुल्क और ख्फ् लाख रुपए विकास शुल्क देते हैं व्यापारी।
व्यवसाय -फल-सब्जी, गल्ला और मछली कारोबार
दूषित पानी पीने से नुकसान- डायरिया, पेट की बीमारी आदि।
ध्वस्त हो चुके है हैंडपंप व वाटर कूलर
दो साल पहले महेवा मंडी में पीने के पानी के लिए आठ इंडियामार्का हैंडपंप और चार वाटर कूलर लगाए गए थे। आज की तारीख वे दम तोड़ चुके हैं। वहीं जहां सप्लाई का पानी आता है, वहां गंदगी की वजह से पानी पीना किसी चुनौती से कम नहींहै। मंडी की चरमराती व्यवस्था से व्यापारियों में आक्रोश है। व्यापारियों ने बताया कि वे यहां का पानी पीने से परहेज करते हैं। जहां तक संभव वे पानी मंगाकर पीते हैं। स्थिति यह है कि यहां बाहर से आने वाले व्यापारी आने से परहेज करते हैं। अगर गलती से कोई मंडी का पानी पी लेता है तो उसका बीमार पड़ना तय है।
रोजाना क्0, 000 से ज्यादा लोगों का आवागमन
पूर्वाचल की सबसे बड़ी मानी जाने वाली महेवा मंडी में थोक और फुटकर व्यापारियों को मिलाकर करीब क्भ् हजार कारोबारी हैं। वे रोजाना कारोबार के लिए यहां आते हैं, लेकिन प्यास लगती है तो वे बोतल बंद पानी से प्यास बुझाते हैं। यहां गंदगी और दूषित पानी की वजह से लोग कम ही आना चाहते हैं।
यहां के हैंडपंप टूट गए हैं, इसकी वजह से पीने के पानी की समस्या उत्पन्न हो गई है। जो चालू हालत में हैं उनसे गंदा पानी आता है।
दिनेश चंद गुप्ता, व्यापारी
पिछले दो साल से मंडी में न तो हैंडपंप हैं और न ही वाटर कूलर। बाहर से पीने का पानी मंगाया जाता है। जहां सप्लाई का पानी आता है, वहां इतनी गंदगी है कि वहां कोई जाना पसंद नहींकरता है।
महावीर चंद गुप्ता, व्यापारी
मंडी में पीने के पानी जैसी मूलभूत सुविधा नहींहै। सुविधा के लिए मंडी समिति केवल दावे करती हैं। एक करोड़ रुपए टैक्स देने के बाद भी हमें प्यासा रहना पड़ा रहा है।
सुरेश गुप्ता, व्यापारी
महेवा मंडी में गंदगी और दूषित पानी पीने की वजह से कई व्यापारी बीमार पड़ गए। इसकी वजह से जार वाला पीने का पानी मंगवाया जाता है।
महेंद्र, व्यापारी
जल्द शुरू होंगे काम
मंडी में शुद्ध पेयजल के लिए नये इंडिया मार्का हैंडपंप और वाटर कूलर लगाए जाने हैं। यह कार्य जल्द से जल्द शुरू कर दिया जाएगा।
सुभाष यादव, मंडी सचिव
साढ़े तीन लाख रुपए का पानी का कारोबार
मंडी में पीने के पानी की व्यवस्था नहीं होने की वजह से व्यापारी हर महीने फ्.भ् लाख रुपए पीने के पानी पर खर्च करते हैं। सोचने की बात है कि मंडी प्रशासन टैक्स और विकास शेष शुल्क लेने के बाद भी कारोबारियों के लिए शुद्ध पेयजल की व्यवस्था नहीं करा पा रही है।