- फुटेज में तो कैद होती रहती है हरकतें
- जेल में प्रतिबंधित सामान बरामद होने का मामला
GORAKHPUR: जेल में प्रतिबंधित सामान यूज करने के मामले में गाज गिरेगी। इसकी चर्चा दिन भर जेल कैंपस में होती रही। डीआईजी जेल दो दिन बाद अपनी रिपोर्ट शासन को भेज देंगे। रिपोर्ट मिलते ही बंदी रक्षकों को हटाने के साथ बंदियों को हटाया जाएगा। बंदी रक्षकों पर कार्रवाई करके जांच भले पूरी हो जाए। लेकिन कई सवाल अधूरे रह जाएंगे। जेल में लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज जांच में क्यों लापरवाही बरती गई। इसका जवाब किसी के पास नहीं है।
दो दिसंबर को हुई कार्रवाई में हुई बरामदगी
बाराबंकी में बंद शातिर चंदन सिंह सहित कई लोग जेल से मोबाइल यूज करते हैं। गोरखपुर जेल में ख्भ् से अधिक बंदी मोबाइल यूज करके घर का हालचाल लेते रहे। लेकिन इस बीच कुछ बंदियों ने अपने खर्चे पानी का इंतजाम करने के लिए बाहर इंतजाम शुरू कर दिया। इसकी जानकारी एसएसपी आरके भारद्वाज को हुई। उन्होंने इस मामले में डीएम रंजन कुमार से बात की। अफसरों ने बेहद ही गोपनीय तरीके से दो दिसंबर को जेल में छापेमारी की। इस दौरान मोबाइल फोन, सिमकार्ड, शराब की बोतले, सिगरेट, चाकू, कैची सहित कई सामान मिले। इसकी रिपोर्ट मिलने पर जेल से जुड़े अफसर सामने आए। डीआईजी जेल आरपी सिंह ने जांच पड़ताल शुरू की।
छुट्टियों से लौटने वाले बंदियों का दर्ज होगा बयान
अवकाश पर रहने की वजह से डीआईजी जेल तीन बंदी रक्षकों का बयान नहीं ले पाए। बंदी रक्षक चंद्रदेव चौधरी, चंद्रभान यादव और सुरेंद्रनाथ का बयान बाकी है। उनके छुट्टी से लौटने के बाद बयान दर्ज किया जाएगा। इसके साथ ही बंदियों के ओवरलोड होने की रिपोर्ट गवर्नमेंट को भेजी जाएगी। मंडलीय काराबार में एक से लेकर नौ बैरक तक 90 बंदियों की क्षमता है। लेकिन क्ब्7 बंदियों का भार प्रति बैरक हो गया है। ऐसे में निगरानी करने में प्रॉब्लम आ रही है।
आखिर सीसीटीवी कैमरे लगाने का क्या फायदा
जेल के भीतर कैंपस और बैरकों में निगरानी लिए सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। इनका मानीटरिंग जेल के अफसर अपने दफ्तर से करते हैं। मानीटर पर बंदियों की हरकतें साफ नजर आती है। ऐसे में बंदियों की मौज मस्ती पर नजर रखने में जब चूक हो रही तो सीसीटीवी कैमरे लगाने के क्या फायदे हैं। हालांकि रुटीन चेकअप में कोई आपत्तिजनक चीजें नहीं मिलती हैं।
इन सवालों का नहीं कोई जवाब
- सीसीटीवी कैमरों की मदद से बंदियों की हरकतों पर क्यों पाबंदी नहीं लगाई गई।
- दबंग बंदियों के आगे बेबस बंदी रक्षकों ने सीनियर अफसरों से शिकायत क्यों नहीं की।
- प्रधान बंदी रक्षक और बंदी रक्षकों से किसी ने टोकाटाकी क्यों नहीं की।
- रूटीन चेकअप में कोई चीज नहीं मिलती है। इसके बाद क्या कोई अफसर सीसीटीवी कैमरों की फुटेज देखता है।
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