द्दह्रक्त्रन्य॥क्कक्त्र : प्राइवेट से अच्छी होंगी सरकारी सुविधाएं। अब छोटी क्या बड़ी बीमारी के लिए भी मरीजों को नर्सिगहोम के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे और न ही लाखों रुपए खर्च करने पड़ेंगे। सरकार के ऐसे कई दावों की पोल की हकीकत थर्सडे को डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में खुलती दिखी। जहां गंभीर बीमारी का इलाज तो दूर मरीज को ले जाने के लिए स्ट्रेचर तक नहीं मिला। तीमारदार मरीज को ठेले पर लेकर आए और चेकअप कराने के बाद ठेले से ही वापस ले गए। इस पूरे वाकये से हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन अनजान बना रहा। डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल के लिए यह नजारा कोई नया नहीं था। कुछ दिन पहले स्ट्रेचर न मिलने के अभाव में तीमारदार मरीज को ठेले पर लेकर इमरजेंसी भी पहुंचे थे। दोपहर डेढ़ बजे जब मरीज को लेकर तीमारदार पहुंचे तो वहां हॉस्पिटल के डॉक्टर के साथ कई कर्मचारी भी मौजूद थे, मगर किसी ने स्ट्रेचर देने की जेहमत नहीं उठाई। सिर्फ खड़े तमाशा देखते रहे। इस बाबत जब हॉस्पिटल के एसआईसी डॉ। एचआर यादव से बात की गई तो उनका वही पुराना जवाब कि ऐसा नहीं हो सकता। किसी तीमारदार ने स्ट्रेचर नहीं मांगा होगा फिर भी जांच कराई जाएगी।