गोरखपुर (ब्यूरो)। फिटनेस जारी करने में भी खानापूर्ति की बात सामने आई है। एम वाहन एप के माध्यम से वाहनों का फोटो कैप्चर होता है और 23 बिंदुओं की जांच दो से पांच मिनट में कर दी जाती है। ऐसे में फिटनेस प्रक्रिया भी सवालों में है। हालांकि, जिम्मेदार अफसरों का दावा है, छोटे वाहनों की में 15 मिनट और बड़े वाहन की फिटनेस में 20 मिनट लगता है।
एप पर कैप्चर होता डाटा
परिवहन विभाग के नियमों के अनुसार स्कूली, कामर्शियल और यात्री वाहनों का फिटनेस जरूरी है। गीडा आरटीओ कार्यालय में वाहनों का फिटनेस होता है। एम वाहन एप के जरिए वाहनों का फोटो होता है। इसके बाद आरआई मैनुअल फिटनेस जांच करते हैं। एप पर डेटा कैप्चर कर लेते हैं। इसके बाद वाहन की बाडी जांची जाती है। जरूरत पडऩे पर वाहन को चालू कराते हैं। इसके बाद वाहन को फिटनेस प्रमाण पत्र दे दिया जाता है।
रिमोल्ड टायर पर चलते वाहन
रिमोल्ट टायर पर फिटनेस प्रमाणपत्र नहीं जारी होता। रिमोल्ड टायर की कीमत आधी होती है। उनमें कुछ वाहन स्वामी रिमोल्ट टायर लगवा लेते हैं, लेकिन सुरक्षा की दृष्टि से ठीक नहीं होता है। स्कूली बस हो या यात्री बसें, कई बस संचालक इनका उपयोग करते हैं। फिटनेस के समय अगर रिमोल्ड टायर दिख जाते हैं तो फिटनेस प्रमाण पत्र नहीं दिया जाना चाहिए। लेकिन इस नियम की अंदेखी भी अक्सर होती है।
इन बिंदुओं पर होती जांच
वाहन इंजन
बाइपर
लाइट
ब्रेक
टायर
पॉल्युशन
पेंट
अग्निशमन यंत्र
सीट बेल्ट
सीसी टीवी कैमरा
स्पीड मीटर
हार्न
क्लच
वाहन की आवाज
खिड़कियां
इमरजेंसी विण्डो
इमेंशन
रिफ्लेक्टर
फैक्ट एंड फीगर
2378 स्कूल वाहन हैं रजिस्टर्ड
225 अनफिट स्कूल बसें सड़कों पर
180018001148 हेल्पलाइन नंबर परिवहन विभाग ने जारी किया
8005441148 नंबर पर कर सकेंगे कंप्लेन
वाहन की फिटनेस नियमानुसार की जाती है। हर श्रेणी के वाहनों के लिए जो तय व्यवस्था है। उसके अनुसार फिटनेस प्रमाणपत्र जारी किए जाते हैं। वाहन चालकों को फिटनेस की आवश्यकता और उपयोगिता को लेकर लगातार जागरूक भी किया जा रहा है।
राघव कुशवाहा, आरआई
इन नियमों का पालन जरूरी
- बस की रफ्तार 40 किमी प्रति घंटा से अधिक नहीं होनी चाहिए।
- रांग साइड में बस नहीं रोकी जानी चाहिए।
- वाहनों में क्षमता से अधिक बच्चों को नहीं बैठाना चाहिए।
- बस पर स्कूल का नाम और फोन नंबर जरूर लिखा होना चाहिए।
- स्कूल वैन या बसों आदि के चालक का पुलिस सत्यापन जरूर होना चाहिए।
- छात्राओं को ले जाने वाली बसों में महिला सहायक होनी चाहिए।
- बच्चों को ले जाने वाले वाहन में स्पीड गवर्नर अनिवार्य रूप से लगा हो।
- स्कूल बसों में फस्र्ट एड बाक्स और अग्निशमन यंत्र अनिवार्य रूप से मौजूद हों।