- सुरक्षा के अभव में उपचार में होती है देरी
- मुख्य सचिव ने सभी जेल अधीक्षकों को जारी किए निर्देश
GORAKHPUR: जेल में बंदियों के बीमार होने पर बाहर उपचार कराने में असुविधा नहीं होगा। जेल प्रशासन की तरफ से सुरक्षा मांगने पर पुलिस फोर्स दी जाएगी। बीमार बंदियों के उपचार में देरी से हो रही मौतों को रोकने के लिए गवर्नमेंट ने कदम उठाया है। मुख्य सचिव ने गोरखपुर सहित प्रदेश भर की सभी जेल अधीक्षकों को निर्देश जारी किया है। वरिष्ठ जेल अधीक्षक ने कहा कि इस संबंध में जारी गाइडलाइन का पालन किया जाएगा।
सुरक्षा के चक्कर में होती थी देरी
जेल के भीतर बंदी के बीमार होने प्राथमिक उपचार की सुविधा दी जाती है। हालत गंभीर होने पर बंदियों को अक्सर जिला अस्पताल या मेडिकल कालेज ले जाना पड़ता है। अचानक बंदियों को जेल से बाहर ले जाने पर तमाम तरह के खतरे होते हैं। इसलिए जेल प्रशासन समय रहते समुचित प्रबंध नहीं कर पाता है। बंदियों के समय से अस्पताल न पहुंचने से मौत हो जाती है। इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए गवर्नमेंट ने सख्त कदम उठाने का निर्देश दिया है।
पुलिस मुहैया कराएगी सुरक्षा गार्द
गोरखपुर सहित सभी जेल अधीक्षकों को जारी पत्र में मुख्य सचिव ने गार्द मुहैया कराने की जिम्मेदारी पुलिस को सौंपी है। उन्होंने कहा है कि किसी बंदी के बीमार होने पर सुरक्षा के बारे में पुलिस को सूचना दे जाए। जिला पुलिस प्रमुख बंदी की सुरक्षा के लिए गार्द मुहैया कराएंगे। इसमें किसी तरह की लापरवाही नहीं की जाएगी। कई बार बंदियों की मौत होने पर जेल प्रशासन की किरकिरी होती है। इसलिए बंदियों के स्वास्थ्य संबंधित डिटेल रखी जाएगी। किस बंदी को कौन सी बीमारी है। वह कितने दिनों से बीमार चल रहा है सहित कई डिटेल रहने से अचानक सुरक्षा मांगने में प्रॉब्लम नहीं होगी।
बंदियों को जेल से बाहर ले जाने में सुरक्षा को लेकर टेंशन रहती है। जेल के बंदी रक्षकों की ड्यूटी लगाई जाती है। पुलिस की गार्द मिलने पर बंदियों की सुरक्षा में कोताही नहीं होगी। बीमार पड़ने पर समय से हास्पिटल भेजा जा सकेगा।
एसके शर्मा, वरिष्ठ जेल अधीक्षक