- मेडिकल कॉलेज का हाल
- डॉक्टर्स की कौन सुने फरियाद, जिम्मेदार दफ्तर से रहते हैं नदारद
GORAKHPUR: बीआरडी मेडिकल कॉलेज में फ्री इलाज के चक्कर में एसआईसी दफ्तर का चक्कर लगाना पड़ रहा है। वहीं डॉक्टर्स की भी सुनने वाला कोई नहीं है। नेहरू चिकित्सालय के जिम्मेदारों के पास समय ही नहीं है। ओपीडी और ऑपरेशन से ही फुर्सत नहीं है। हालांकि प्रशासनिक कार्य भी पूरी तरह से प्रभावित हो गई है।
नहीं मिल रहे जिम्मेदार
मेडिकल कॉलेज के नेहरू चिकित्सालय का प्रशासनिक कार्य भगवान भरोसे चल रहा है। सूत्रों की मानें तो आये दिन एसआईसी दफ्तर में पेशेंट्स बीपीएल कार्ड पर इलाज मुफ्त कराने के लिए पहुंच रहे हैं, लेकिन दफ्तर से जिम्मेदार के नदारद रहने की वजह से उन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। वह कार्ड लेकर इधर-उधर घंटों कार्यालय का चक्कर लगा रहे हैं लेकिन उनकी फरियाद सुनने वाला कोई नहीं है। इसके अलावा डॉक्टर्स और नर्स का भी काम पेंडिंग पड़ा है।
एक साल में तीन एसआईसी
मेडिकल कॉलेज के नेहरू चिकित्सालय में इस वर्ष तीन एसआईसी इधर से उधर कर दिए गए। फिर भी अस्पताल की चिकित्सकीय व्यवस्था जस की तस बनी रही। हालांकि मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने तमाम दावे किए, लेकिन स्थितियां पुराने ढर्रे पर ही है। आये दिन मरीज समस्या लेकर एसआईसी दफ्तर पहुंचते हैं, लेकिन उनकी सुनावाई नहीं होती है।
केस - 1
कुशीनगर जिले के रहने वाले राजाराम के पेशाब की नली में दिक्कत थी। वह ओपीडी में डॉक्टर को दिखाने के बाद दवा के लिए काउंटर पर पहुंचे लेकिन उन्हें दवा नहीं मिली। वह सीधे एसआईसी दफ्तर पहुंचे। दरवाजे के बाहर घंटों खड़े रहने के बाद वह मायूस होकर लौट गए।
केस - 2
बड़हलगंज की रहने वाली सरस्वती अपने पति विनोद के साथ ओपीडी में पहुंची। उनके पेट में तकलीफ थी। डॉक्टर ने अल्ट्रासाउंड कराने की सलाह दी। वह पर्ची पर फ्री कराने के लिए एसआईसी कक्ष के बाहर कुर्सी पर बैठी रही। एक घंटे बाद मायूस होकर बाहर चली गई।
आई विभाग का एचओडी होने के नाते जिम्मेदारियां अधिक है। ओपीडी और ओटी देखना होता है। इसकी वजह से देर हो जाती है। इसके अलावा दो लोगों को भी जिम्मेदारी दी गई है। वह भी काम देख रहे हैं।
डॉ। राम कुमार जायसवाल, एसआईसी