गोरखपुर (अनुराग पांडेय)। शाहपुर घोषीपुरवा निवासी आफताब के दो बच्चे 6 साल का तौसिफ और 8 साल का तौहिद 27 सितंबर 2019 को गायब हो गए। जो आज तक नहीं मिले। पिता आफताब और उनकी पत्नी आज भी बच्चों के इंतजार में टकटकी लगाए हुए हैं। आफताब का कहना है कि तौसिफ और तौहिद दोनों साथ में स्कूल जाते थे। उनकी तलाश मंडल और प्रदेश भर के जिलों में कर ली, लेकिन उनका कहीं पता नहीं चला। हां एक दिन गोड़धोइया नाले में एक बच्चे का शव मिला। जिसकी पहचान करना मुश्किल था। पुलिस ने बच्चे का कुछ अंग डीएनए जांच के लिए भेजा था, जिसकी रिपोर्ट दो साल बाद भी नहीं आई। लेकिन मेरा बच्चा मर नहीं सकता, मुझे ऊपर वाले पर यकीन है वह लौटकर आएगा।

पारिवारिक कारणों से भी घर छोड़ देते हैं लोग

जिले में आए दिन किसी न किसी वजह से कोई घर छोड़कर चला जाता है। इसमें बच्चे, युवा और बुजुर्ग शामिल होते हैं। कुछ की मानसिक स्थिति ठीक नहीं होती तो कुछ परिवारिक कारणों से कहीं चले जाते हैं। ऐसे लोगों के गायब होने पर परिजन उनकी गुमशुदगी दर्ज कराते हैं। लेकिन कई बार उनकी तलाश पूरी नहीं हो पाती। इसके बाद भी लोग उम्मीद नहीं खोते। उनको लगता है कि कहीं न कहीं खोया हुआ व्यक्ति जरूर मिल जाएगा। लेकिन अधिकांश मामलों में पुलिस बाद में दिलचस्पी नहीं दिखाती। लापता हुए लोगों की तलाश में पोस्टर जारी करने, उनकी सूचना जिला अपराध अभिलेख ब्यूरो और प्रदेश अपराध अभिलेख ब्यूरो को भेज दी जाती है। इसके माध्यम से सभी थानों में पोस्टर चस्पा कराए जाते हैं। विशेष मामलों को छोड़कर अधिकांश भगवान भरोसे ही रहते हैं।

ज्यादा गायब हुईं महिलाएं

नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2022 जिले के भीतर से कुल 272 लोग गायब हुए थे। इनमें 110 पुरुष, 162 महिलाएं शामिल हैं। 12 साल से कम उम्र के तीन, 12 से 16 साल के बीच के 11, 16 से 18 साल के तीन और 18 साल से अधिक उम्र के 255 लोग शामिल हैं। गुमशुदा वयस्कों में 151 महिलाएं और 104 पुरुष शामिल हैं।

गुमशुदगी की सूचना पर थानों में तत्काल केस दर्ज करके कार्रवाई की जाती है। इसकी सूचना विभिन्न माध्यमों से प्रसारित करके खोजबीन की जाती है। अधिकांश लोगों को पुलिस ने तलाश करके उनके घर पहुंचाया दिया है।

इंदुप्रभा सिंह, एसपी क्राइम