- पैसेंजर्स की भूख मिटाने के लिए गोरखपुर जंक्शन पर नहीं है बेहतर फैसिलिटी
- फूड कोर्ट के नाम पर सिर्फ जन आहार, लेकिन वहां भी नहीं भूख मिटाने के प्रॉपर इंतजाम
GORAKHPUR : गोरखपुर जंक्शन को वर्ल्ड के लांगेस्ट प्लेटफॉर्म का दर्जा तो मिल गया है, लेकिन यहां पर फैसिलिटी की बात की जाए तो यह किसी छोटे स्टेशन से भी गई गुजरी है। पैसेंजर्स को बेहतर फैसिलिटी का दावा करने वाला रेलवेज बुनियादी जरूरतों को भी पूरा करने में नाकाम साबित हो रहा है। वर्ल्ड के लांगेस्ट प्लेटफॉर्म पर भूख मिटाने के नाम पर सिर्फ वही चीजें मौजूद हैं, जो हर छोटे स्टेशन पर भी आसानी से मिल जाती हैं। वर्ल्ड क्लास स्टेशन होने के बाद भी यहां पैसेंजर्स भूख मिटाने के लिए उट-पटांग चीजें ही खानी पड़ती है। जिससे उनकी भूख तो मिट जाती है, लेकिन इसकी वजह से फ्यूचर में उन्हें कई प्रॉब्लम से भी दो-चार होना पड़ता है।
लंच और डिनर की कोई फैसिलिटी नहीं
गोरखपुर जंक्शन पर भूख मिटाने की बात करें तो यहां पर सुबह हो, दोपहर या फिर रात, हर वक्त 'ब्रेक फास्ट' ही मिलेगा। न तो यहां पर भूख मिटाने के लिए खाने की थाली ही मिल पाती है और न ही कोई स्पेशल डिश। अगर भूख मिटानी है तो या तो पैसेंजर्स को समोसा, पेटीज जैसी चीजों का सहारा लेना पड़ता है, या फिर थोड़ा हेवी के नाम पर 'जनता खाना' और छोले-चावल मौजूद है। यह भी हर वक्त मिल जाए, इसकी भी कोई गारंटी नहीं है। लंच और डिनर सभी वक्त पैसेंजर्स को इन्हीं चीजों का सहारा लेना पड़ता है।
घर से लाना पड़ता है खाना
इसे वर्ल्ड क्लास स्टेशन की तौहीन ही कहेंगे कि यहां पर पैसेंजर्स को खाना अपने घर से ही लेकर चलना पड़ता है। मगर इसे पैसेंजर्स की मजबूरी ही कहेंगे कि उन्हें ऐसा करना पड़ता है। इलाहीबाग के रहने वाले शम्स तनवीर ने बताया कि गोरखपुर रेलवे स्टेशन पर भूख मिटाने की सोचने वाले को अपना सफर भूखे ही गुजारना पड़ेगा। उन्होंने बताया कि कुछ दिन पहले ही वह गोरखधाम से दिल्ली गए थे। उन्होंने यह सोचकर घर से खाने का कोई सामान नहीं लिया कि रेलवे स्टेशन पर ले लेंगे। मगर जब वह स्टेशन पहुंचे, तो वहां पर उन्हें सिवाए जनता खाना और समोसे-पेटीज के कोई दूसरा ऑप्शन नहीं मिला। इसकी वजह से उन्होंने कुछ नहीं लिया और केक खाकर ही अपना सफर पूरा करना पड़ा।
क्वालिटी फूड मिले तो क्यों न लें?
ऐसा नहीं कि रेलवे स्टेशन पर बेहतर फूड की फैसिलिटी होने के बाद रेलवे को इसका फायदा नहीं मिलेगा। बेतियाहाता के रहने वाले संदीप की मानें तो अगर रेलवे उन्हें क्वालिटी फूड मुहैया कराए, तो पैसेंजर्स को इसे लेने में कोई प्रॉब्लम नहीं होगी। मगर रेलवे जिस तरह के फूड मुहैया कराता है, उससे बेहतर लोग भूखा रहना ही पसंद करते हैं। वहीं लखनऊ, कानपुर, दिल्ली जैसे बड़े स्टेशनों पर फूड प्लाजा में आखिर पैसेंजर्स की भीड़ लगी ही रहती है, वहीं उन्हें अपना खाना लेने के लिए लाइन तक लगानी पड़ती है।
इन दिनों काफी जरूरत भी
यूं तो डेली हजारों पैसेंजर्स रेलवे स्टेशन से गुजरते हैं, मगर फूड कोर्ट की सबसे ज्यादा जरूरत इन जाड़े के दिनों में ही होती है। वह इसलिए कि पैसेंजर्स ट्रेन की टाइमिंग के हिसाब से अपनी जर्नी प्लान कर चलते हैं। मगर इन दिनों ट्रेंस की लेटलतीफी काफी ज्यादा बढ़ गई है। इसकी वजह से पैसेंजर्स को कहीं न कहीं तो अपनी भूख मिटानी पड़ती है। अब जब खाने की कोई बेहतर फैसिलिटी मौजूद नहीं होगी तो आखिर यह कैसे पॉसिबल है। रेलवे को इस ओर काफी ध्यान देने की जरूरत है, जिससे कि पैसेंजर्स को बेहतर फैसिलिटी मुहैया कराई जा सके।
रेलवे ने इसका जिम्मा आईआरसीटीसी को दे दिया है। उन्होंने टेंडर कर इसका वर्क भी फर्म को सौंप दिया है। अतिशीघ्र ही गोरखपुर रेलवे स्टेशन पर फूड प्लाजा की फैसिलिटी मुहैया हो जाएगी।
- आलोक कुमार सिंह, सीपीआरओ, एनईआर