मेडिकल कॉलेज का हाल
- इंद्रा डायग्नोस्टिक सेंटर में एमआरआई चार माह से ठप, बीआरडी की एमआरआई मशीन भगवान भरोसे
- चार से पांच मरीजों को हर दिन दिखाया जा रहा बाहर का रास्ता
GORAKHPUR:
बीआरडी मेडिकल कॉलेज में एमआरआई जांच पर संकट गहरा गया है। कॉलेज के कैंपस में इंद्रा डायग्नोस्टिक सेंटर में एमआरआई की सुविधा है। लेकिन यहां चार माह से जांच नहीं हो पा रही है। वहीं मेडिकल कॉलेज में प्रदेश सरकार द्वारा लगाई गई एमआरआई मशीन कब शुरू हो पाएगी, इसके बारे में जिम्मेदारों को भी नहीं पता है। इन सबके बीच यहां आए मरीजों को एमआरआई की जरूरत होने पर डॉक्टर बाहर का रास्ता दिखा रहे हैं।
देनी थी बेहतर सुविधा
गौरतलब है कि मेडिकल कॉलेज में एमआरआई सुविधा नहीं थी। इसके लिए कैंपस में प्राइवेट इंद्रा डायग्नोस्टिक सेंटर खोला गया। इसमें एमआरआई के साथ अन्य जांचें भी शुरू कर दी गई। जांच के लिए निर्धारित शुल्क भी तय किए गए और बीपीएल कार्ड धारक की नि:शुल्क जांच होने लगी। लेकिन जब इसमें बेहतर सुविधा नहीं मिली तो मेडिकल कॉलेज में अपना एमआरआई सेंटर खोलने का फैसला लिया।
बजट आते ही शुरू हुआ काम
एमआरआई सेंटर के लिए पिछले साल साढ़े 8 करोड़ रुपये आने के बाद कार्यदायी संस्था द्वारा काम शुरू कर दिया गया। काम पूरा भी कर लिया गया लेकिन मैनपावर नहीं होने की वजह से आज तक इसे चालू नहीं किया जा सका। इसकी वजह से वह हाथी का दांत साबित हो रहा है। कुछ वक्त पहले इंजीनियरिंग कॉलेज के दीक्षांत समारोह में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के आगमन पर मेडिकल कॉलेज में एमआरआई सेंटर का उदघाटन करने के लिए बाकायदा फूल-मालाओं से सजाया गया। साथ ही जिम्मेदार अफसर इस दौरान मुस्तैद रहे लेकिन बाद में पता चला कि मुख्यमंत्री का कार्यक्रम टल गया। हैरानी की बात यह है कि उस दौरान किसी ने सूचना दी कि एमआरआई की जांच शुरू कर दी गई हैं। लेकिन बाद में पता चला कि अभी तक सेंटर का काम पूरा नहीं हो पाया है जिसकी वजह से वह बंद है।
जांच के लिए करनी पड़ रही जेब ढीली
एमआरआई की सुविधा नहीं मिलने की वजह से डॉक्टर मरीजों को मजबूरी में बाहर का रास्ता दिखा रहे हैं। मेडिकल कॉलेज में जहां 1000 रुपए में जांच होती है। वहीं मरीजों को बाहर के जांच सेंटर्स पर 5 से 8 हजार रुपए खर्च करने पड़ रहे हैं।
वर्जन
इसके बारे में पूरी जानकारी नहीं है। हालांकि एमआरआई शुरू कराने के लिए शासन से बात चल रही है। इसके लिए नियुक्तियां भी होनी है। लिहाजा जल्द से जल्द एमआरआई जांच शुरू कराने का प्रयास जारी है।
डॉ। एके श्रीवास्तव, कार्यवाहक एसआईसी