- शहर के दो मंजिला सरकारी भवनों में नहीं है दिव्यांगों के लिए कोई सुविधा
- सरकारी भवनों में आने वाले दिव्यांग दूसरों के कंधों का लेना पड़ता है मदद
GORAKHPUR: सरकार की सोच तभी बदल सकती है, जब लोकल अफसरों की सोच बदले। आई नेक्स्ट पिछले तीन दिन से दिव्यांगों के लिए 'सोच बदलो' नाम से रिएलिटी चेक अभियान चला रहा है। इसी क्रम में सरकारी विभागों के रिएलिटी चेक में जो भी नजारे सामने आए, उससे यही लग रहा है कि इनके साथ यहां भी मजाक हो रहा है। आप भी पढि़ए सरकारी विभागों में दिव्यांगों के लिए कैसे हालात हैं
नगर निगम
समय- 10.00 बजे
गोरखपुर नगर निगम दो मंजिला ऑफिस है, इस आफिस में मेयर, नगर आयुक्त के अलावा सभी बड़े अधिकारी निचले तल पर बैठते हैं। लेकिन पब्लिक से जुड़े टैक्स विभाग, नकल विभाग, डूडा, निर्माण विभाग का टेंडर ऑफिस दूसरे तल पर है। इन विभागों में काम निकलने पर सामान्य लोगों को तो कोई प्रॉब्लम नहीं होती, लेकिन दिव्यांगों के लिए मुश्किल हो जाती है। नगर निगम में दूसरे तल पर जाने के लिए तीन सीढि़यां हैं, लेकिन एक भी रैंप नहीं है। व्हीलचेयर और अटेंडेंट की तो बात ही छोड़ दीजिए।
विकास भवन
समय- 12 बजे
तमाम विकास योजनाओं का संचालन विकास भवन से होता है। इस तीन मंजिला बिल्डिंग में एक दर्जन से अधिक विभाग हैं। इसमें कुछ भू-तल पर हैं तो कई विभाग द्वितीय व तृतीय तल पर हैं। आई नेक्स्ट रिपोर्टर दोपहर 12 बजे जब विकास भवन पहुंचा तो वहां 15 दिव्यांग विकलांग ऑफिस में अपने पेंशन के बारे में पता करने आए थे। वहीं कुछ ऐसे भी दिव्यांग थे जो सीडीओ या डीपीआरओ से मिलने भी पहुंचे थे। बड़हलगंज से आए अलगू प्रसाद भी किसी तरह से सीढि़यां से आ रहे थे। अलगू ने कहा कि क्या किया जाए, सीडीओ साहब से मिलने गया था, लेकिन वह नहीं मिले, सीढि़यां चढ़ने-उतरने में हालत खराब हो जा रही है।
ई-डिस्ट्रिक्ट
समय- 2 बजे
आई नेक्स्ट टीम दोपहर डीएम ऑफिस के सामने पहुंचा। वहां ई-डिस्ट्रिक्ट ऑफिस तो जमीन से कम से कम तीन से चार फीट ऊपर है। ट्राइसाइकिल से वहां पहुंचे एक दिव्यांग ऑफिस जाने के लिए सोचने लगे। तभी एक कर्मचारी आया, जिससे उन्होंने जाने के लिए पूछा तो उसने सीढ़ी के तरफ इशारा किया और आगे बढ़ गया। जिसके बाद दिव्यांग खुद किसी तरह ट्राई साइकिल से उतरे और चार सीढि़यां चढ़कर ऑफिस पहुंचे।
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डेली दो सौ से तीन सौ आते हैं दिव्यांग
जिले के सरकारी विभागों के आंकड़ों पर नजर डालें तो यहां सरकारी ऑफिसों में दो से तीन सौ दिव्यांग आते हैं। भू-तल वाले ऑफिस में अपना काम किसी तरह करा लेते हैं, लेकिन द्वितीय और तृतीय तल पर काम कराने के लिए उनको भारी मुश्किल झेलनी पड़ती है। नगर निगम में हर रोज 10 से 15, विकास भवन में करीब 100 और डीएम कार्यालय में भी 200 से अधिक दिव्यांग आते हैं।
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दिव्यांगों के लिए बने शौचालय में ताला
विकास भवन में विकलांग ऑफिस के पीछे दिव्यांगों के लिए ढाई साल पहले शौचालय बना। लेकिन अभी तक यह शौचालय विकास भवन को हैंडओवर नहीं हो पाई है। इस वजह से यहां अभी तक ताला लटका हुआ है। सीडीओ कुमार प्रशांत का कहना है कि शौचालय अभी हैंडओवर नहीं हो पाया है। इस वजह से यूज नहीं हो रहा है।
वर्जन
दिव्यांगों के लिए हम लोगों से जो बन पा रहा है, उतना किया जा रहा है। विकास भवन में जो लिफ्ट है वह बजट के अभाव के कारण आधी बन पाई है। शौचालय को जल्द खुलवाने का प्रयास किया जाएगा।
-कुमार प्रशांत, सीडीओ गोरखपुर