- गोरखपुर रेलवे स्टेशन पर तो पता भी नहीं कि पेश हो रहा रेल बजट
- कुलियों को तो विश्वास ही नहीं हुआ कि बदल गई उनकी पहचान
- महिलाओं व सीनियर सिटीजन ने की रेल बजट की तारीफ
GORAKHPUR: रेल बजट 2016 भले ही रेलवे के विकास व भविष्य को सोच कर पेश किया गया, लेकिन इसे लेकर इस बार लोगों में कोई खास उत्साह नहीं देखा गया। गुरुवार दिन में 12 बजे एक ओर जब रेल मंत्री सुरेश प्रभाकर प्रभु दिल्ली के संसद भवन में रेल बजट पेश कर रहे थे, वहीं दूसरी ओर एनई रेलवे के हेडक्वार्टर गोरखपुर जंक्शन पर सन्नाटा पसरा रहा। हैरानी वाली बात तो यह है कि यहां ज्यादातर लोगों को तो यह पता भी नहीं रहा कि रेल बजट पेश हो रहा है और किसे क्या सुविधाएं मिली हैं? वहीं बाहर से आने वाले पैसेंजर्स के साथ ऐसा नहीं रहा। कई लोगों ने इस बजट की सराहना की तो कई ने इसे बेमतलब का बजट करार दिया।
दिखी सिर्फ अपनी उम्मीद
बजट को लेकर एनई रेलवे हेड क्र्वाटर गोरखपुर में सभी सिर्फ अपनी ख्वाहिश पूरी होने की आस लगाए बैठे थे। उन्हें बस यही जानने की चाह थी कि किसे क्या मिला? हालांकि रेलवे के सीनियर ऑफिसर्स व रेलवे के जानकार इस बजट को काफी अच्छा मान रहे हैं। जानकारों का मानना है कि इस साल के बजट में सभी वर्गो को कुछ न कुछ जरूर मिला है। जहां महिलाओं का आरक्षण 30 प्रतिशत से बढ़ाकर 33 प्रतिशत किया गया, वहीं सीनियर सिटीजन को लोवर बर्थ में 50 प्रतिशत की हिस्सेदारी दी गई। सबसे ज्यादा खुशी तो कुली में देखने को मिली। जब कुलियों को यह पता चला कि उन्हें अब कुली कहकर नहीं बल्कि सहायक कहकर बुलाया जाएगा तो उन्हें इस बात का विश्वास ही नहीं हो रहा था कि ऐसा सच में हो चुका है।
बजट पर नहीं हुई बहस
ऐसे तो आम तौर पर चाहे वह कोई भी प्रकरण हो, चौराहों से लेकर दुकानों आदि पर बहस होती देखी जाती है। लेकिन इस बार रेल बजट पेश होने के दौरान सिटी में तो दूर रेलवे स्टेशन पर भी ऐसा नहीं दिखा। ऐसे काफी कम लोग ही रहे जिन्हें बजट के बारे में कोई जानकारी रही। कई लोगों का तो यहां तक कहना था कि सबकुछ होते हुए भी जब पैसेंजर्स को टिकट ही नहीं मिलेगा तो फिर बाकी अन्य सुविधाओं का क्या फायदा? गौरतलब है कि इस बार का रेल बजट में सभी वर्गो को ध्यान में रखकर पेश किया गया है। भले ही एनईआर की झोली में कोई ट्रेन नहीं आई, लेकिन इस बार फंड पहले की बजट की तुलना में करीब 50 प्रतिशत बढ़ा है। इससे अब एनई रेलवे के सभी स्टेशनों की सूरत तो बदलेगी ही, साथ ही कई बड़े प्रोजेक्ट्स को भी जल्द ही हरी झंडी मिल जाएगी।
बजट में सीनियर सिटीजन को 50 प्रतिशत लोवर बर्थ देने की सुविधा वाकई तारीफ के काबिल है। सफर के दौरान अगर बुजुर्ग लोगों को उपर की सीट मिल जाती है तो इससे काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इस बार के बजट में सीनियर सिटीजन पर प्रभु की मेहरबानी का स्वागत है।
मंनन ओझा, सीनियर सिटीजन
ट्रेंस में बढ़ती भीड़ को देखकर तो अब सीनियर सिटीजन को सफर करने में भी डर लगता है। ऐसे में हम लोगों के बारे में सोचकर नीचे की बर्थ देने से काफी सहूलियत मिलेगी। इससे सफर के दौरान बुजुर्ग लोगों को उतरने-चढ़ने से छुटकारा मिल जएगा।
राममूर्ति, सीनियर सिटीजन
महिलाओं के लिए आरक्षण बढ़ाने की तो हमें खुशी है, लेकिन इसके साथ ही सफर के दौरान महिलाओं की सुरक्षा पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। लगातार सफर के दौरान महिलाएं ही अपराधियों का शिकार हो रही हैं। ऐसे में महिला सुरक्षा पर भी ध्यान देना होगा।
सुनीता, पैसेंजर
रेल मंत्री ने महिलाओं के लिए जो काम किया उसके लिए हम उन्हें बधाई देते हैं। क्योंकि सफर के दौरान पुरुष लोग तो कैसे भी कहीं बैठकर सफर कर सकते हैं, लेकिन इसमें सबसे ज्यादा परेशानी महिलाओं को झेलना पड़ता है। महिला आरक्षण बढ़ जाने से काफी फायदा मिलेगा।
वीरो छाती, पैसेंजर
मुझे तो विश्वास ही नहीं हो रहा कि अब लोग हमे कुली नहीं बल्कि सहायक कहकर बुलाएंगे। कभी सोचा भी नहीं था कि हम लोगों को भी इतनी इज्जत मिल सकेगी। प्रभु सच में महान हैं, जो कुली पर भी मेहरबान हो सकते हैं।
मो। अयूब, कुली
हम लोग चाहे जितना मेहनत करें, कभी किसी ने कोई इज्जत नहीं दी। हमारा तो नाम लेने वाला भी कोई नहीं होता। कुली सुनते-सुनते लगता है कि यही हमारा नाम है। ऐसा लगता था कि गरीबों की कोई इज्जत नहीं होती, लेकिन रेल मंत्री की हम कुलियों के प्रति यह फैसला लेने से ही हमारी इज्जत बढ़ गई।
नसीर, कुली