गोरखपुर (ब्यूरो)।बस चलने के साथ कंडक्टर ने जब उनसे टिकट लेने के लिए कहा तो उन्होंने दिव्यांगता प्रमाण पत्र आगे बढ़ा दिया। कंडक्टर ने दिव्यांगता प्रमाण पत्र को खारिज कर दिया। कंडक्टर का कहना था कि, एक्सप्रेस सेवा में रियायत नहीं मिलती। दिव्यांग यात्री के कान खड़े हो गए। उन्हें समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें। गोरखपुर पहुंचना जरूरी था। मजबूरी में उन्हें 445 रुपए किराया देना पड़ा। सामान्य पैसेंजर को भी दिव्यांग का पूरा किराया देना अच्छा नहीं लगा। वे परिवहन निगम की इस व्यवस्था पर सवाल उठाने लगे। उनका कहना था कि आखिर यह भी तो साधारण बस ही है। दिव्यांग ही नहीं मासिक सीजन टिकट (एमएसटी) पर यात्रा करने वाले पैसेंजर को भी एक्सप्रेस बस सेवा में कोई छूट नहीं मिल रही।
10 प्रतिशत अधिक किराया
पैसेंजर्स की सुविधा के लिए परिवहन निगम ने राजधानी एक्सप्रेस बस सेवा शुरू की है। जो प्रदेश के प्रमुख शहरों और कस्बों को लखनऊ व दिल्ली राजधानी को सीधे जोड़ रही हैं। इन साधारण बसों का ठहराव अन्य की तुलना में कम है, इसके चलते लखनऊ और दिल्ली पहुंचने में सिर्फ एक घंटे का कम समय ले रहीं हैं। बदले में पैसेंजर को 10 प्रतिशत अधिक किराया देना पड़ रहा है। गोरखपुर से लखनऊ तक की यात्रा में 444 रुपए के सापेक्ष 487 रुपए तथा दिल्ली तक की यात्रा में 1262 की जगह 1388 रुपए किराया देना पड़ रहा है। गोरखपुर डिपो सहित गोरखपुर रीजन से लखनऊ और दिल्ली के लिए 16 नई राजधानी एक्सप्रेस बस सेवा चल रही हैं।