- तीन मोटरबोट के लिए सिर्फ एक ऑपरेटर, दो की हालत खराब

- जुगाड़ की बोट पर गोरखपुराइट्स की सेफ्टी का जिम्मा, बजट के अभाव में दूसरी बोट खराब

GORAKHPUR: जरूरत की चीजें हों या फिर जरूरी सामान, उसकी हालत जो भी हो अगर उसका काम है तो गोरखपुराइट्स उसे चलाना बखूबी जानते हैं। छोटी-मोटी चीजों के लिए 'जुगाड़' करने की आदत अब जानलेवा होती जा रही है। पिछले दिनों शुरू हुई बरसात के बाद जहां घाघरा जहां कहर बरपाने लगी है, वहीं सिटी से होकर गुजरने वाली राप्ती भी उफान पर है। ऐसे में बाढ़ की चपेट में आने वाले लोगों के लिए प्रशासन की तैयारी 'डूबते को तिनके का सहारा' सी नजर आती है। जहां बाढ़ से निपटने के इंतजाम की रफ्तार मंद पड़ी हुई है, वहीं लोगों की सेफ्टी के लिए यूज की जाने वाली बोट भी भगवान भरोसे है। कहने को तो शासन के पास बाढ़ प्रभावित लोगों को बचाने के लिए तीन बोट्स हैं, लेकिन उनकी हालत ही ऐसी है कि उन्हें इस्तेमाल में लाना मुमकिन नहीं है। यही पर बात खत्म नहीं होती, इन तीन बोट्स को चलाने की जिम्मेदारी भी एक ही व्यक्ति के कंधे पर है। जिस तरह से बारिश का कहर और नदियों के तेवर तल्ख हो रहे हैं, उससे तो यह साफ जाहिर है कि अगर पानी में पहुंचे, तो बचना मुमकिन न हो पाएगा।

1982 में आई थी लकड़ी की मोटर बोट

जिले में बाढ़ से निपटने और डूबते को बचाने के लिए मौजूद 3 मोटर बोट की हालत ठीक नहीं है। यूज न होने से इनकी हालत दिन ब दिन और खराब होती जा रही है। मोटर बोट चलाने वालों का कहना है कि 1982 में पहली लकड़ी की बनी मोटर बोट आई थी। इसके बाद जिले के लिए 1995 में तीन और मोटर बोट मंगाई गई। वहीं 2008 में 2 और मोटर बोट मंगवाई गई। लकड़ी की मोटर बोट क्षतिग्रस्त होकर खराब हो गई। पांच मोटर में दो काफी पहले खराब हो गई। वर्तमान में तीन मोटर बोट के सहारे पूरे जिले की व्यवस्था चल रही थी। कुछ दिन पहले एक मोटर बोट को बड़हलगंज स्थित मुक्तिपथ धाम पर भेज दिया गया। दो बची हुई मोटर बोट एक बिल्कुल कंडम हो चुकी है। दूसरे को जुगाड़ से चलाना पड़ रहा है।

बैट्री की हालत खराब, रस्सी से हो रही स्टार्ट

राजघाट पुल पर राप्ती नदी में रहने वाली राजस्व विभाग की एक मोटर बोट की बैट्री खराब हो चुकी है। सोर्सेज की मानें तो पुरानी बैट्री होने से स्टार्टिंग ट्रबल होती है। स्टार्ट करने वाला वॉयर टूटने से रस्सी लगाकर स्टार्टर खींचना पड़ता है। नई बैट्री की डिमांड पर तहसील के अफसर ध्यान नहीं दे रहे हैं। रस्सी के सहारे स्टार्ट होने वाली मोटर बोट को ठीक करवाने को विभाग कभी सीरियस नहीं हुआ। महज सवा लाख रुपए के अभाव में दूसरी मोटर खराब पड़ी हुई है। शिकायत होने पर हैदराबाद की एक कंपनी का स्टीमेट बजट के लिए जिला प्रशासन को भेजा गया, लेकिन कर्मचारियों की लापरवाही से मोटर बोट की मरम्मत नहीं हो सकी।

एक ऑपरेटर के सहारे कैसे चलेगी बोट

सिटी में अवेलबल मोटर बोट्स ने पहले से ही परेशान कर रखा था, अब इस बीच चलाने वालों का संकट भी खड़ा हो गया है। पहले हर मोटर बोट के लिए एक ऑपरेटर का इंतजाम किया गया था। कर्मचारियों के रिटायर होने के बाद उनकी तैनाती नहीं हो सकी। वर्तमान में राजस्व विभाग के एक ऑपेरटर के सहारे तीनों मोटर बोट रह गई। बड़हलगंज में चलने वाली मोटर बोट एक एनजीओ की मदद से प्राइवेट कर्मचारी चला रहा है। राजघाट में मोटर बोट चलाने के लिए कमला प्रसाद की तैनाती की गई। 24 घंटे मोटर बोट की जिम्मेदारी कमला के कंधे पर होती है।

उपयोगिता के बावजूद लापरवाह बना विभाग

राजघाट पुल पर मोटर बोट की हर समय जरूरत पड़ती है। वह इसलिए कि यह राजघाट पुल सुसाइड प्वाइंट के तौर पर फेमस हो चुका है। पुल से किसी के कूदने पर पुलिस किसी तरह बोट ऑपरेटर को खोजकर लाती है। पुलिस की मदद से डीजल और पेट्रोल डालकर कमला पानी में डूबे लोगों की तलाश में निकलते हैं। इसके अलावा अंत्येष्टियों के दौरान लोगों की भीड़ जमा होती है। सभी त्योहारों में नदी घाट पर प्रेशर बना रहता है। सावन माह में कांवरियों की भीड़ जल भरने के लिए जुटती है। दीपावली, छठ और नहान सहित कई महत्वपूर्ण त्योहारों पर भारी भीड़ होती है। इस दौरान कोई घटना न हो और डूबने वालों को बचाया जा सके, इसके लिए मोटर बोट की जरूरत होती है। कर्मचारियों का कहना है कि मरम्मत के लिए एलॉट हुआ 46 हजार का बजट मार्च में वापस हो गया था।

पांच मंथ में 9 लोग लगा चुके हैं छलांग

कमला का कहना है कि उनको इस काम के लिए कोई बजट नहीं मिलता। तहसीलदार से अनुमति पर मोटर बोट चलाने का खर्च प्रशासन देता है, जबकि डूबे हुए व्यक्तियों को बचाने में लोगों से मदद लेनी पड़ती है। मोटर बोट का सामान सुरक्षित रखने के लिए कोई कमरा नहीं बनाया गया है। चोरों के डर से कमला रोजाना बैट्री और मोटर खोलकर घर ले जाते हैं। सैटर्डे को हरदिया की सरोज ने नदी में छलांग लगा दी। उसे तलाशने के लिए मोटर बोट की जरूरत पड़ी। हालांकि तेजी दिखाते हुए नाविकों ने महिला को बचा लिया। पुलिस का कहना है कि बीते पांच महीने के अंदर 9 लोग पुल से राप्ती में छलांग लगा चुके हैं। इनमें से ज्यादातर की जान बचाने में मोटर बोट की जरूरत पड़ी है।

इन्होंने लगाई है छलांग -

-रेखा गुप्ता पुत्री हरिनाथ असुरन

-अयोध्या साहनी पुत्र स्व। रामबचन, तिवारीपुर

-संगीता पुत्री स्व। बुधिराम, रुद्रपुर, देवरिया

-सूरत सिंह पुत्र आनंद सिंह, बेलीपार

-सतीश पुत्र जगदीश हावटज् बंधा, राजघाट

-प्रियंका पुत्री भोला, बांसगांव

-नूतन माथुर पत्‍‌नी स्व। सुरेन्द्र माथुर

-दुगाज्वती पुत्री संतू बनकटवा

-किशन निवासी अमरूद मंडी, महेवा