- बीआरडी, जिला अस्पताल से लेकर महिला अस्पताल तक अव्यवस्था
- एसी में साहब, वार्डो में पंखा तक नहीं, उबल रहे मरीज
GORAKHPUR: गर्मी शुरू हो गई है लेकिन इसको लेकर जिले के अस्पतालों में कोई इंतजाम नहीं है। पूर्वाचल का सबसे बड़ा अस्पताल- बीआरडी मेडिकल कॉलेज हो, जिला अस्पताल या फिर जिला महिला अस्पताल, सभी जगह मरीजों के लिए दुश्वारियां हैं। कहीं खिड़कियां टूटी होने से वार्ड में सीधे गर्म हवाएं आ रही हैं तो कहीं छत से लटक रहा पंखा घूम ही नहीं रहा। जिन्हें मरीज-तीमारदारों के लिए व्यवस्था करानी है, वे साहब एसी की ठंडी हवा ले रहे हैं और मरीज-तीमारदार उबल रहे हैं। दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने इसका रिएलिटी चेक किया तो मरीजों का दर्द छलक पड़ा। बोल पड़े कि प्लीज, साहब से कहकर ये खिड़कियां बनवा दीजिए, इनसे गर्म हवा आ रही हैं।
बीआरडी मेडिकल कॉलेज
बीआरडी के चिल्ड्रेन वार्ड का हाल काफी बुरा है। 54 बेड वाले वार्ड में कुल 22 बच्चे एडमिट हैं। यहां का आलम यह है कि वार्ड में लगे 17 एसी, 7 कूलर व पांच पंखे बंद पड़े हैं। जहां से बिजली की सप्लाई दी जाती है, बोर्ड से तार अलग कर दिया गया है। इस वार्ड में एडमिट बुखार के मरीजों को सबसे अधिक परेशानी हो रही है। देवरिया जिले के संजय का कहना है कि वार्ड में बेटी अंशिका भर्ती है। जिसे निमोनिया और बुखार हुआ है। कागज के सहारे टूटी खिड़कियों से आ रही हवा रोकने की कोशिश की जा रही है। वहीं कुशीनगर हाटा एरिया के रहने वाले ओम प्रकाश का चार वर्षीय बेटा अमित भर्ती है। इस गर्मी में यहां पर भर्ती मरीजों को बुरा हाल है।
वर्जन
चिल्ड्रेन वार्ड में एसी, कूलर और पंखों की मरम्मत का कार्य चल रहा है। एक-दो दिन के अंदर सबकुछ ठीक हो जाएगा।
- डॉ। एके श्रीवास्तव, एसआईसी, बीआरडी मेडिकल कॉलेज
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जिला अस्पताल
जिला अस्पताल की न्यू बिल्डिंग के वार्डो का भी बुरा हाल है। यहां खिड़कियों के शीशे टूटे हुए हैं। जिसके चलते गर्म हवाएं वार्ड में पहुंच रही हैं। वहीं जो एग्जास्ट फैन लगाए गए हैं, वे भी काम नहीं कर रहे हैं। सिर्फ पंखे ही चल रहे हैं। भीषण गर्मी में मरीज बेहाल हैं। बतातें चलें कि अस्पताल प्रशासन का दावा था कि खिड़कियों के टूटे शीशे बदल दिए गए हैं लेकिन हकीकत यह है कि अभी शीशे यूं ही टूटे पड़े हैं। इतना ही नहीं वार्ड में एक दो पंखे भी खराब हैं। जो ठीक हैं, उनमें अधिकतर की गति काफी कम है।
वर्जन
खिड़कियों के टूटे शीशे लगाए जा चुके हैं। यदि अब भी किसी खिड़की के शीशे टूटे हैं तो उन्हें दोबारा बदला जाएगा। जो पंखे ठीक नहीं हैं उसे भी जल्द से जल्द ठीक कराया जाएगा।
डॉ। अंबुज श्रीवास्तव, चिकित्सा अधीक्षक, जिला अस्पताल
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जिला महिला अस्पताल
जिला महिला अस्पताल के वार्ड में गर्मी से बचाने के लिए सिर्फ दो कूलर लगाए गए हैं लेकिन वह हाथी का दांत साबित हो रहा है। न वह चल रहा है और न ही उसमें पानी डालने वाला कोई है। वहीं वार्ड में लगे एग्जास्ट फैन भी नहीं चल रहे हैं। जिसके चलते प्रेग्नेट लेडीज व नवजातों की हालत खराब है। बताते चलें कि पिछले अस्पताल प्रशासन की तरफ से कोई इंतजाम नहीं होने से करीब पांच मासूमों की मौत हो गई थी। मौत के बाद अफसरों का दौरा शुरू हुआ और आनन-फानन में हर वार्ड में छह कूलर लगाए गए लेकिन इस समय सिर्फ दो ही कूलर दिखाई पड़ रहे हैं। बाकी का पता नहीं चल रहा कि क्या हो गए।
वर्जन
सभी वार्ड में पंखे लगाए गए हैं। यदि कूलर नहीं चल रहा है तो इस बारे में जानकारी ली जाएगी। उसे तत्काल ठीक कराया जाएगा।
डॉ। एके गुप्ता, एसआईसी, जिला महिला अस्पताल
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कॉलिंग
इस भीषण गर्मी में वार्ड के अंदर भारी उमस है। इसके चलते प्रेग्नेंट लेडीज और मासूम बच्चों को परेशानी हो रही है। मगर अस्पताल प्रशासन की ओर से कोई इंतजाम नहीं है।
विजय श्रीवास्तव, तीमारदार
हड़हवा फाटक की रहने वाली पुष्पा एनसी वार्ड में भर्ती है। बेड के सटे ही कूलर लगाया गया है जो चलता ही नहीं है। वहीं खिड़कियां खुली होने के चलते गर्म हवा वार्ड में पहुंच रहा है जिससे दिक्कत हो रही है।
विनय श्रीवास्तव, तीमारदार
दो रोज से मरीज के साथ भर्ती हूं। वार्ड में उमस काफी है इसकी वजह से मासूमों को परेशानी हो रही है। यहां जो व्यवस्था की गई है वह भी पूरी तरह से ध्वस्त है।
पुष्पा देवी, खजनी