- राजघाट एरिया में गीता प्रेस के पास कटरे में हुआ हादसा
- घंटों की मशक्कत के बाद दमकल की नौ गाडि़यों ने किया काबू
- शार्ट सर्किट बना वजह, ढाई करोड़ से ज्यादा का नुकसान
GORAKHPUR:
राजघाट एरिया के गीता प्रेस के पास दुर्गा कटरा में शुक्रवार को तड़के करीब साढ़े तीन बजे भीषण आग ने हड़कम्प मचा दिया। आग लगने की सूचना पर फायर ब्रिगेड की नौ गाडि़यों पर काबू पाने में सफलता हासिल की। इस घटना में कटरे के अंदर स्थित करीब नौ दुकान और उनमें रखा माल स्वाहा हो गया। हादसे में ढाई करोड़ से ज्यादा के नुकसान का अनुमान है। अगलगी में कटरा मालिक के परिवार के लोग भी फंस गए थे जिन्हें फायर ब्रिगेड के कर्मचारियों ने साहसिक ढंग से बचाया।
धुंआ-बदबू से खुली नींद
गीता प्रेस के पास राकेश चंद श्रीवास्तव का दुर्गा कटरा है। पहली मंजिल पर राकेश और उनके छोटे भाई अनुराग का परिवार रहता है। नीचे की 15 दुकानों को विभिन्न लोगों ने किराए पर ले रखा है। बेतियाहाता मोहल्ले के रामदेव तुलस्यान की पीआर टेक्स्टाइल और रायगंज निवासी मनीष सर्राफ की सर्राफ टेक्सटाइल नाम से शॉप है। दोनों ही थोक एवं फुटकर कारोबारी है। इसके अलावा 20 अन्य दुकानें भी है। गुरुवार की रात रोज की तरह दुकानें बंद हो गई। रात में करीब साढ़े तीन बजे बिजली कटने पर राकेश के भाई अनुराग की नींद खुली। उन्हें बदबू और धुंआ महसूस हुआ तो वह कमरे से बाहर निकले। मेन के पास आग की लपटें देखकर उन्होंने शोर मचाना।
बेकाबू हो गई आग
शोर-शराबा सुन आसपास मोहल्ले के लोग भी आग बुझाने की कोशिश में शामिल हो गए। कटरे में ही प्रभुदयाल रामदेव टेक्सटाइल का गोदाम है। उसी में से धुंआ निकल रहा था जो देखते ही देखते बेकाबू होने लगा। राकेश और उनके भाई अनुराग का परिवार ऊपर की मंजिल में ही फंसा हुआ था।
परिवार वाले हुए घायल
करीब चार बजे फायर बिग्रेड की पहली गाड़ी पहुंची। पहली मंजिल पर फंसे लोगों को बाहर निकालने की कोशिश शुरू हुई। इस दौरान राकेश चंद, उनकी पत्नी आभा श्रीवास्तव और 12 साल का बेटे तरुण ने पीछे की ओर से कूद कर भागने की कोशिश की। सीढि़यों से गिरने की वजह से तीनों घायल हो गए। दिव्यांग अनुराग, उनकी बुजुर्ग मां सुधा देवी और परिवार के सदस्यों को फायर ब्रिगेड के कर्मचारियों ने सुरक्षित बाहर निकाला।
पानी के साथ भड़की आग
फायर ब्रिगेड की गाडि़यों से आग बुझाने की कोशिश शुरू हुई। अंधेरे में शुरू हुई इस कोशिश में पानी के रूप में आग को आक्सीजन मिल गया। जैसे-जैसे आग को बुझाने की कोशिश हुई उसने आस-पास की दुकानों को अपने चपेट में ले लिया। सर्राफ सिंथेटिक और अन्य आठ दुकान के अंदर भी आग फैल गई। मामला बिगड़ता देख फायर कर्मियों ने सारी गाडि़यां मौके पर बुला लीं। पुलिस और प्रशासन के अफसर भी मौके पर पहुंच गए।
आठ घंटे बाद शांत हुई आग
बेकाबू आग को शांत करने में पानी के नौ टैंकर खाली हो गए। सुबह करीब नौ बजे आग को रोका जा सका। इस दौरान माया सिनेप्लेक्स और गीता प्रेस में मौजूद वाटर हाइड्रेंट की मदद भी लेनी पड़ी तब जाकर स्थिति कंट्रोल में आ सकी। फायर कर्मियों का कहना था कि ज्यादा दुकानें कपड़ें की थी जिससे आग को तेजी से फैलने का मौका मिला और स्थिति बेकाबू होती गई।
बाल-बाल बचा गीता प्रेस भवन
गीता प्रेस भवन के पास लगी आग से हर किसी को खतरा महसूस हो रहा था। आसपास के लोगों ने आशंका जताई कि आग की लपटें गीता प्रेस को नुकसान पहुंचा सकती थी। हालांकि समय रहते आग काबू होने से लोगों ने राहत की सांस ली। व्यापारियों ने पुलिस को बताया कि अगलगी में करीब ढाई करोड़ का नुकसान पहुंचा है। शुक्रवार की देर रात तक व्यापारी बचा-खुचा सामान समेटने में लगे रहे।