- नाइजीरियाई स्टूडेंट दिल्ली में रहकर चला रहा था इंटरनेशनल रैकेट

- इनाम निकलने का झांसा देकर बनाता था शिकार

- पुलिस ने नाइजीरियन व उसके पार्टनर गोरखपुर निवासी प्रशांत को दिल्ली से किया अरेस्ट

GORAKHPUR: मोबाइल या ई-मेल के इनबॉक्स में आपको भी लाखों रुपए जीतने की बात बताई गई होगी। यदि आपने क्लेम नहीं किया और बात को आई-गई समझकर छोड़ दिया है तो अनजाने में ही आपने बड़ी समझदारी कर डाली है और इंटरनेशनल रैकेट का शिकार होने से बच गए हैं। लेकिन, सब ऐसे ही भाग्यशाली नहीं हैं। मैसेज के जरिए इनाम का लालच देकर प्रोसेसिंग फीस के नाम पर नाइजीरिया के गैंग ने अब तक हजारों लोगों से करोड़ों रुपए ठगे हैं। इसमें देश के भी कुछ शातिर जुड़े हैं। 16 सितंबर को गोरखपुर पुलिस ने 2012 से स्टूडेंट विजा पर दिल्ली में रहने वाले एक नाइजीरियन और उसके पार्टनर गोरखपुर जिले के गुलरिहा थाना क्षेत्र के भटहट निवासी प्रशांत सिंह को अरेस्ट कर लिया। वहां से कई सामान भी बरामद किए है। रविवार को पुलिस दोनों को ट्रांजिंट रिमांड पर लेकर गोरखपुर पहुंची। गैंग के अन्य मेंबर्स की तलाश पुलिस कर रही है।

ब्रांच मैनेजर ने दिखाई समझदारी

जिले के खजनी कस्बे के टेकवार एसबीआई ब्रांच में पांच लोगों के नाम से एकाउंट्स खोले गए थे। उन सभी एकाउंट्स में कुछ ही दिनों में करीब 23 लाख रुपए का ट्रांजेक्शन हुआ। ब्रांच मैनेजर मुकेश कुमार का माथा ठनका। अपने सूत्रों से पता किया तो गोवा में जालसाजी करके रुपयों की हेराफेरी करने की जानकारी हुई। ब्रांच मैनेजर ने रुपए की निकासी पर रोक लगाते हुए तत्काल पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने 10 सितंबर को उन पांच युवकों को गिरफ्तार कर लिया, जिनके नाम पर एकाउंट खोले गए थे।

फर्जी नाम-पते से एकाउंट

पूछताछ में युवकों ने बताया कि उन्हें एक-एक हजार रुपए देकर फर्जी नाम-पते से एकाउंट खुलवाए गए थे। एकाउंट खुलवाने वाले ने केवल अपना मोबाइल नंबर दिया था। खाता खुलने के बाद उसने सभी से एटीएम कार्ड, बैंक पासबुक, चेकबुक आदि सबकुछ अपने कब्जे में ले लिया। इसके बाद से उस एकाउंट में पैसे आते रहे और वह निकालता रहा। क्राइम ब्रांच ने मामले में जांच शुरू कर दी। पड़ताल में गुलरिहा के भटहट निवासी प्रशांत सिंह का नाम सामने आया। प्रशांत का बैकग्राउंड चेक किया तो पता चला कि वह लखनऊ में रहकर जालसाजी करता है और ऐसे कई मामलों में जेल जा चुका है। पुलिस प्रशांत की तलाश में लग गई।

मेट्रो स्टेशन से उठाया

क्राइम ब्रांच लगातार प्रशांत के पीछे लगी रही। इस बीच उसके दिल्ली में होने का पता चला। पुलिस दिल्ली पहुंच गई। 16 सितंबर को दिल्ली के जनकपुरी ईस्ट मेट्रो स्टेशन से उसे और एक नाइजीरियन को अरेस्ट किया। पूछताछ में पता चला कि नाइजीरियन युवक नाइजीरिया के उमिहा, गली नंबर 10 निवासी विक्टर चिनोमोसे उर्फ वोयेला है जो दिल्ली के जनकपुरी में रहकर पूरे देश में ठगी का रैकेट चलाता है। पुलिस दोनों को ट्रांजिट रिमांड पर लेकर रविवार को गोरखपुर पहुंची।

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कई शहरों में गैंग एक्टिव

वोयेला और प्रशांत से पूछताछ में पुलिस को कई जानकारियां मिली हैं। पुलिस को पता चला है कि प्रशांत तो बस एक एरिया का काम देखता है। नाइजीरियाई गैंग में ऐसे कई लड़के हैं जो अलग-अलग शहरों में रहकर खाते खुलवाते हैं। वोयेला के रैकेट के जाल में जब कोई फंस जाता था तो उसके कहने पर प्रशांत सिंह गोरखपुर और आसपास के इलाकों में फर्जी नाम-पते से बैंक खाते खुलवाता था। एकाउंट खुलते ही एटीएम कार्ड, चेकबुक, पासबुक सहित अन्य दस्तावेजों को वोयेला अपने पास मंगा लेता था। इसके बाद वह नेट के जरिए कई लोगों के मोबाइल नंबर ट्रैक कर लेता था। उन सभी मोबाइल नंबर्स पर लाखों रुपए की लॉटरी निकलने का मैसेज भेजकर लालच बढ़ाता था। लॉटरी की रकम देने के बदले टैक्स के रूप में उनसे हजारों-लाखों रुपए नकदी जमा कराने को कहता था। फिर उन रुपयों को निकाल लेता था। इसके बाद वोयेला फिर से नए एकाउंट खुलवाने के लिए गैंग के लड़कों को नए एरिया में भेजता था।

80 हजार रुपए मिलता वेतन

वोयेला प्रशांत जैसे कई लड़कों से काम लेता है। एक एकाउंट खुलवाने पर प्रशांत को कम से कम तीन हजार रुपए मिलते थे। इस तरह वह करीब 80 हजार रुपए प्रतिमाह के वेतन पर नाइजीरियन युवक से जुड़कर जालसाजी का साझीदार बना था। इसी तरह अन्य कितने ही लड़के इसी तरह की सैलरी पर वोयेला के साथ जुड़े हैं। पुलिस का मानना है कि यह गैंग काफी बड़ा है और इसमें ऐसे बहुत लड़के हो सकते हैं।

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फ्लाइंग अफसर का बेटा, बी कॉम तक पढ़ाई, जालसाजी के 10 केस

भटहट निवासी प्रशांत सिंह जालसाजी के एक दर्जन से अधिक मामलों में जेल जा चुका है। उसके खिलाफ कैंट थाने में ही 10 से अधिक जालसाजी के मामले दर्ज हैं। गोरखपुर शहर में आस्टर बीपीओ नाम से एजेंसी खोलकर उसने लाखों रुपए की ठगी की थी। वर्ष 2010 में एजेंसी बंद होने पर ग्राहकों ने जमकर बवाल काटा था। मुकदमा दर्ज होने पर कंपनी से जुड़े कर्मचारी गायब हो गए थे। फ्लाइंग अफसर का बेटा प्रशांत बीकॉम तक पढ़ा है। जालसाजी में माहिर प्रशांत ने शहर में इंग्लिश स्पीकिंग कोर्स का सेंटर भी खोला था। करीब 14 माह पहले असोम में हुई जालसाजी के एक मामले में प्रशांत सिंह पकड़ा गया था। पुलिस ने गिरफ्तार करके उसे गुवाहाटी जेल में भेजा। वहां ड्रग्स की तस्करी के आरोप में नाइजीरिया का फ्लिप बंद था। प्रशांत की जालसाजी के किस्से सुनकर फ्लिप प्रभावित हो गया। फ्लिप ने प्रशांत को बड़ा हाथ मारने के लिए वोयेला से मिलने को कहा। जेल से छूटते ही प्रशांत दिल्ली पहुंचा। फ्लिप का रेफरेंस देकर उसने विक्टर से मुलाकात की। पढ़ाई के बहाने दिल्ली में रहने वाला वोयेला चेन्नई से ट्राउजर और शर्ट खरीदकर ऑनलाइन नाइजीरिया भेजता था। इसके अलावा वह लॉटरी के बहाने जालसाजी में भी लगा था। विक्टर ने प्रशांत को फर्जी नाम-पते के एकाउंट्स खुलवाने की जिम्मेदारी सौंपी थी।

ये सामान हुए बरामद

1 लैपटॉप,

4 मोबाइल फोन,

4 मॉडेम,

51 रिलांयस सिम,

4 नाजीरियन सिम,

11 विभिन्न बैंकों के पासबुक,

4 एटीएम कार्ड,

नाइजीरियन गिफ्ट कार्ड,

42हजार रुपए नकद

टीम को 5 हजार नगद इनाम

गैंग को पकड़ने वाली टीम में इंस्पेक्टर राम सुमेर त्रिपाठी, एसआई संतोष कुमार सिंह, धर्मेद्र कुमार सिंह, गोपाल सिंह, जयश्री यादव, कांस्टेबल देवेंद्र यादव, धर्मेद्र तिवारी, मोहम्मद कुतबुद्दीन, विनोद कुमार और शशिकांत जायसवाल शामिल हैं। रविवार को पुलिस लाइन में एसएसपी रामलाल वर्मा ने जालसाजों के इंटरनेशनल गैंग की जानकारी देते हुए टीम को पांच हजार नकद इनाम देने की घोषणा की।