- पांच दिन में ही किनारे से टूटने लगी है रोड

- मनमाने मैटेरियल का इस्तेमाल कर रही है कार्यदायी संस्था

AKTAHWA GHTA: पीपीगंज के भरवल चौराहे से होकर जाने वाली जगंल अगही बंदरहा घाट रोड मनमानी का शिकार हो गई है। 14 लाख की लागत से बनी रोड 5 दिन बाद फिर से टूटने लगी है। गड्ढों से भरी रोड को लाखों खर्च कर दुरुस्त कराया गया, लेकिन मनमाने मैटेरिल्स का इस्तेमाल होने से उसकी हालत फिर से पहले जैसी होने लगी है। नियमानुसार सामान न इस्तेमाल कर ईट और पत्थर से इसे भर दिया गया है, जिससे राहगीरों को काफी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है।

फिर टूटने लगी रोड

नियमानुसार रोड को पाटने के लिए इस्तेमाल होने वाले मैटेरियल का इस्तेमाल करने के बजाए, ठेकेदार ने मनमानी करते हुए, ईट और मिट्टी से इसे पाट दिया। इसके बाद कहीं मिट्टी व ईट व गिट्टी से गड्ढों को भरकर रोड पर तारकोल की चादर बिछा दी। कछार क्षेत्र होने की वजह से दोनों तरफ की पटरियों की मिट्टी पांच दिन बाद ही बहना शुरू हो गई है। वहीं दोनों आसपास बड़ी-बड़ी खाई में तबदील होने लगी है। ग्रामीणों की मानें तो बनने के पांच दिन बाद से ही रोड दोनों पटरी की ओर से टूटने लगी है।

मिले थे 14 लाख

पीपीगंज अकटहवां रोड भरवल चौराहा से होकर जाने वाली 2.8 किमी लम्बी जंगल अगही बंदरहा घाट मार्ग की हालत काफी दिनों से खराब थी। यहां का रास्ता काफी दिनों से टूट कर गड्ढों में तब्दील हो गया। जिसके बाद इसकी मरम्मत के लिए शासन ने करीब 14 लाख रुपए धन अवमुक्त किया, जिससे इसका काम भी शुरू हो गया। लेकिन अब पीडब्लूडी के कुछ कर्मचारियों की उदासीनता से यह काम कार्यदायी संस्था की मनमानी का शिकार होकर रह गया है।

हमें काम करने के लिए पीपीगंज जाना पड़ता है। जाते समय इस रोड पर गाडि़यों से साइड लेते समय डर बना रहता है। कई बार पटरियों पर खाई में गिर कर चोटें लग चुकी हैं।

राजेश सिंह, टिकरिया

सरकार सभी गांव की सड़कों को दुरुस्त करने के लिए पानी की तरह पैसा बहा रही है। पता नहीं क्यों विभागीय कर्मचारी लापरवाही से काम कर रहे हैं।

प्रमोद निषाद, सहजुआ

मैं भर्ती की तैयारी के लिए सुबह दौड़ने जाता हूं। मगर रोड किनारे पटरियों की खाई की वजह से काफी असुविधा होती है।

भानु प्रताप, सहजुआ

गड्ढों में सिर्फ गिट्टी और डस्ट डालने को कहा गया है। मौके से जेसीबी मशीन न मिल पाने की वजह से पटरियों पर मिट्टी नहीं पड़ पाई है। जल्द ही दोनों तरफ की पटरियों को भरवाकर ठीक कराया दिया जाएगा।

सुशील कुमार श्रीवास्तव, जेई, पीडब्ल्यूडी