-बौलिया रेलवे कॉलोनी की झाडि़यों में लपेटा हुआ मिला छह माह का मासूम
-आसपास के लोगों ने दी चाइल्ड लाइन को सूचना
-बच्चे को फातिमा हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया
- शहर में मिल चुके हैं कई और भी बच्चे
GORAKHPUR:
किसी शायर ने लिखा है 'जमाना जब भी मुसीबत में डाल देता है, बिगड़ती बात खुदा ही संभाल देता है, मेरी मां की दुआओं का असर देखो, मैं डूबता हूं तो दरिया उछाल देता है.' लेकिन इस शहर को क्या हो गया है यहां तो मां अपने कलेजे के टुकड़े को सड़कों और झाडि़यों में मरने के लिए छोड़ रही है। गुरुवार को रेलवे बौलिया कॉलोनी स्थित राजकीय पॉलिटेक्टिक के पीछे उगी झाडि़यों में एक छह माह का मासूम मिला। बच्चे को नारंगी कलर के कपड़े में लपेट कर झाडि़यों में रखा गया था। सुबह करीब आठ बजे उसके रोने की आवाज सुनकर आसपास के लोग एकत्र हो गए। लोगों ने इसकी सूचना चाइल्ड लाइन के टोल फ्री नंबर 1098 पर दी। चाइल्ड लाइन ने इसकी जानकारी डिस्ट्रिक्ट चाइल्ड वेलफेयर कमेटी को सूचना दी। यह कमेटी जिला प्रोवेशन अधिकारी की देखरेख में काम करती है। बच्चे को बीमार और कुपोषित देखकर कमेटी ने डॉक्टर को दिखाने का सुझाव दिया। फिलहाल बच्चा फातिमा हॉस्पिटल के एनआईसीयू में एडमिट है। अस्पताल की स्टाफ नर्स ने बताया कि बच्चा काफी कमजोर है। उसका इलाज चल रहा है।
गोद लेने पहुंचे दम्पति
चाइल्ड लाइन के विरेंद्र कुमार ने बताया कि सुबह करीब 9:30 पर हमें झाडि़यों में बच्चा होने की सूचना हमारे टोल फ्री नंबर पर मिली। हम लोग बच्चे को चाइल्ड लाइल के कार्यालय पर लेकर आए। यहां बच्चों को गोद लेने के लिए एक दम्पति भी आया। उन्होंने बताया कि इसके लिए एक प्रक्रिया होती है। आप उसे अपना सकते हैं।
पहले भी मिले हैं बच्चे
- करीब दो महीने पहले 13 और 25 जुलाई दो बच्चियां स्टेश रोड पर चाइल्ड लाइन को मिली थीं। इन्हें जन्म के ही घंटों बाद सड़क के किनारे छोड़ दिया गया था। जब ये बच्चियां मिली थी उस दोनों बीमार थी। इन दोनों को भी फातिमा हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया। दोनों का अस्पताल के एनआईसीयू में इलाज चल रहा है।
-श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन गुलहरिया के क्षेत्र के बनगाई रोड पर स्थित एक गांव के खेत में एक नवजात मिला था। उसे पास के ही गांव का एक दंपति पालने के लिए ले गया था। पुलिस के हस्तक्षेप के बाद वह बच्चा चाइल्ड लाइन को मिला था। इस बच्चों को इलाज के लिए फातिमा हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया।
एक साल के भीतर 32 बच्चे
चाइल्ड लाइन के विरेंद्र कुमार ने बताया कि एक वर्ष के अंदर चाइल्ड लाइन को ऐसे 32 बच्चे मिले जिनका पालन पोषण जेल रोड स्थित एक स्वयं सेवी संस्था कर रही है। गौरतलब बात यह कि इनमें से ज्यादातर बच्चे जन्म के दिन ही मरने के लिए फेंक दिए गए।