-नए साल में नए हाथों में आई स्वास्थ्य विभाग की कमान

-नई योजनाओं से अधिक पब्लिक प्रॉब्लम को करेंगे सॉल्व

GORAKHPUR: नए साल के आगाज के साथ जिले में स्वास्थ्य विभाग को बेहतर बनाने की कमान भी नए अधिकारियों के हाथों में सौंपी गई है। फ्क् दिसंबर को एक साथ एडी हेल्थ और सीएमओ रिटायर हो गए। नतीजा नए अधिकारियों ने जिम्मा संभाला। मगर उनके सामने नई योजनाओं से अधिक ऐसी कई चुनौतियां सामने खड़ी हैं, जिन्हें खत्म करना पब्लिक के हित में बहुत जरूरी है। फिर चाहे इंसेफेलाइटिस से हो रही मौत को रोकना हो, दलालों पर लगाम कसना हो या फिर सरकारी अस्पताल में डॉक्टर की कमी के साथ दवा की कमी को खत्म करना हो।

पुराना एक्सपीरियंस देगा फायदा

अपर निदेशक चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण डॉ। डीएन त्रिपाठी और मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ। रमेश प्रसाद गुप्ता फ्क् दिसंबर को रिटायर हो गए। इससे जेडी हेल्थ रहे डॉ। कामेश्वर सिंह को एडी हेल्थ और डॉ। पीके मिश्रा को सीएमओ बनाया गया है। डॉ। पीके मिश्र इससे पहले जिला क्षय रोग अधिकारी के रूप में पोस्ट थे। चार्ज लेते ही इन अधिकारियों ने कहा कि चुनौती तो कई है, मगर पुराना एक्सपीरियंस काफी काम आएगा। दोनों ही अधिकारियों ने कहा कि पब्लिक प्रॉब्लम को सॉल्व करना फ‌र्स्ट प्रायरिटी होगी। एडी हेल्थ बने डॉ। कामेश्वर सिंह ने कहा कि जिले में डॉक्टर की कमी सबसे बड़ी प्रॉब्लम है। इसे दूर करने के लिए शासन को पत्र लिख कर जल्द से जल्द डॉक्टर की तैनाती कराने का प्रयास किया जाएगा। डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में ईएनटी और साइक्रेएटिस्ट की कमी है। जिसके मरीज लगातार आते हैं। साथ ही पूरे मंडल के स्वास्थ्य, चिकित्सा एवं परिवार कल्याण से जुड़े कार्यक्रमों को सफल बनाना भी फ‌र्स्ट प्रायरिटी में है। स्वास्थ्य सुविधाओं को जन-जन तक पहुंचाना जरूरी है। क्योंकि अक्सर कमजोर वर्ग के लिए सरकार की योजनाएं रहती हैं, मगर उन्हें उसकी जानकारी न होने से वे परेशान रहते हैं। वहीं नए सीएमओ बने डॉ। पीके मिश्र ने कहा कि पब्लिक की सबसे बड़ी समस्या दवा और डॉक्टर है। क्योंकि अधिकांश पीएचसी, सीएचसी में डॉक्टर नहीं मिलते हैं। दवा की भी कमी रहती है। इससे कई बार मामूली इलाज के लिए भी मरीजों को डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल आना पड़ता है। हॉस्पिटल न जाने वाले डॉक्टर्स के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। साथ ही मरीजों को फ्री दवा मिले, इसके लिए पूरा प्रयास किया जाएगा। जिला अस्पताल पर आलरेडी ओवरक्राउड रहता है। इसलिए कोशिश की जाएगी कि सिर्फ रेफरल केस ही पीएचसी, सीएचसी से डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल आएं। वहीं पेंडिंग पड़ी योजनाओं को भी जल्द से जल्दी लागू किया जाएगा। हॉस्पिटल में अक्सर मशीनों के खराब होने की शिकायत आती है, जिससे मरीजों को मार्केट से अधिक कीमत पर जांच करानी पड़ती है। इस प्रॉब्लम को फ‌र्स्ट प्रायरिटी पर सॉल्व किया जाएगा।