गोरखपुर (ब्यूरो)। इंडियन रेलवे की ओर से इसके लिए करीब 210 करोड़ रुपए का पूंजीगत व्यय किया जा रहा है। एनई रेलवे पर एचओजी के लिए पिट लाइन में 750 वोल्ट बिजली आपूर्ति का काम गोरखपुर, गोमती नगर, ऐशबाग, बनारस व मऊ स्टेशनों के 15 पिट लाइनों पर शुरू हो चुकी है। वाराणसी सिटी, छपरा, टनकपुर, काठगोदाम, रामनगर एवं लालकुआं स्टेशनों के 06 पिट लाइनों का काम प्रगति पर है।

2023 में पूरा करने का लक्ष्य

नवंबर 2016 में रेलवे बोर्ड ने अप्रैल 2018 से अपने पुराने आईसीएफ कोच का उत्पादन पूरी तरह बंद करने के बाद एलएचबी कोचों में बदलने का डिसीजन लिया था। ऊर्जा समीक्षा 2021-22 के आधार पर एलएचबी रेक के परीक्षण व रखरखाव के लिए 750 वोल्ट बिजली की आपूर्ति प्रदान करके वॉशिंग/पिट लाइनों पर क्षमता वृद्धि करने पर जूट गया। इंडियन रेलवे पर 411 वॉशिंग/पिट लाइनों के ढांचागत कार्र्यो के लिए लगभग 210 करोड़ रुपए कुल पूंजीगत व्यय की मंजूरी दी गई थी। यह एक वर्ष से भी कम समय में पूरे रेल नेटवर्क को कवर करते हुए 411 वॉशिंग/पिट लाइनों पर बुनियादी ढांचे के निर्माण के कार्य शुरू कराए गए। जुलाई 2023 के अंत तक 316 वॉशिंग/पिट लाइनों पर काम पूरा कर लिया गया। शेष को 2023 की दूसरी तिमाही में पूरा करने का लक्ष्य है।

500 करोड़ रुपए की होगी बचत

वॉशिंग/पिट लाइनों पर बुनियादी क्षमता निर्माण में 210 करोड़ रुपए की पूंजी निवेश करके तैयार किए गए बुनियादी ढांचे से प्रति वर्ष 500 करोड़ रुपए से अधिक की शुद्ध बचत होगी। रेलवे पर हेड ऑन जेनेरेशन (एचओजी) के उपयोग से यह बचत और भी अधिक होगी। यह लागत कम करके और दक्षता में सुधार करके गैर-टैरिफ उपायों के माध्यम से यात्री सेवाओं, विशेष रूप से मेल/एक्सप्रेस खंड की परिचालन में सुधार करने के रेलवे के प्रयासों का एक हिस्सा है। भारतीय रेल 2030 तक नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य को प्राप्त करने की ओर अग्रसर है।