- डीडीयू गोरखपुर यूनिवर्सिटी के इंग्लिश डिपार्टमेंट में नेशनल सेमिनार की हुई क्लोजिंग
- नारीवाद से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर हुआ डिस्कशन
द्दह्रक्त्रन्य॥क्कक्त्र : काम की जगह, समाज में बराबर का कद, भौतिक और वैचारिक स्तरों पर औरतों के काम, स्त्रियों और पुरुष की हेल्प से इन मौजूद परिस्थितियों को बदलने की दिशा में जागरुक सक्रियता ही फेमिनिज्म है। यह बातें प्रो। मधु कुमार ने इंग्लिश डिपार्टमेंट की ओर से ऑर्गेनाइज नेशनल सेमिनार की क्लोजिंग सेरेमनी के दौरान कही। वह 'फेमिनिज्म, बियॉन्ड आइडेंटिटी जेंडर एंड पॉलिटिक्स' टॉपिक पर अपना लेक्चर दे रहीं थीं। उन्होंने बताया कि फेमिनिज्म एक ऐसा विचार है, जो मेल और फीमेल के बीच असमानता को स्वीकार करते हुए वुमेन इंपॉवरमेंट को इंटलैक्चुअल और प्रैक्टिकल वे में प्रेजेंट करता है। वैसे तो फेमिनिज्म की कोई डेफिनेशन नहीं है, जो हर जगह लागू की जा सके, बल्कि यह आर्थिक-सामाजिक वास्तविकताओं, अवेयरनेस और सूझबूझ पर डिपेंड करता है। सेमिनार कनवेनर डॉ। नंदिता सिंह ने अमृता प्रीतम के कथन 'औरत की जिंदगी कोख के अंधेरे से कब्र के अंधेरे तक का सफर है' का एग्जामपल देते हुए सेमिनार के डिफरेंट पहलुओं पर डिस्कशन किया।
कई चीजें कर रही हैं प्रभावित
प्रो। मधु ने बताया कि फेमिनिज्म को कई चीजें प्रभावित कर रही हैं। उन्होंने बताया कि नारीवादी आंदोलन फ्रेंच रिवोल्यूशन, इंग्लिश रिवोल्यूशन, अमेरिकन रिवोल्यूशन और सेकेंड वर्ल्डवार से काफी प्रभावित रहा है। इसकेअलावा कुछ बुक्स का भी इस पर जबरदस्त इफेक्ट पड़ा है। कुछ ग्रंथ विशेष रूप से नारीवाद का प्रतिनिधित्व करते हैं, इनमें मेरी वोलंस्टोन क्राफ्ट की 'ए विंडीकेशन ऑफ द राइट ऑफ मैन', 'ए विंडीकेशन ऑफ द राइट ऑफ विमेन', फ्रेंच राइटर सीमोन द बोउवार रिटेन 'द सेकंड सेक्स' और बेट्टी फ्राइडन रचित 'द फेमिनिन मिस्टिक' शामिल हैं। इस दौरान प्रोफेसर प्रताप सिंह ने फेमिनिज्म को एक्सप्लोर कर बताया।
नारीवाद के प्रकार -
उदारतावादी नारीवाद
अतिवादी नारीवाद
मार्क्सवादी नारीवाद
समाजवादी नारीवाद
पर्यावरण संबंधी नारीवाद
सांस्कृतिक नारीवाद
इनमें रही है मेल्स की अहम भूमिका
जॉन स्टुअर्ट मिल की 'द सब्जेक्शन ऑफ विमेन'
हेनरिक इब्सन की 'द डोल्स हाउस'
वर्जीनिया वुल्फ की 'द रूम ऑफ वन्स ओन'
पढ़े गए 140 से ज्यादा रिसर्च पेपर
कानपुर यूनिवर्सिटी के प्रो। कुश ने कहा कि इस तरह के सेमिनार रिसर्च में काफी हेल्पफुल हैं। पेपर रीडिंग सेशन के दौरान पहुंचे वीसी प्रो। अशोक कुमार ने रिसर्च क्वालिटी की तारीफ की। उन्होंने प्रो। कुश को शॉल एवं मोमेंटो देकर सम्मानित किया। ऑर्गेनाइजिंग सेक्रेटरी डॉ। अजय कुमार शुक्ला और डॉ। अवनीश राय ने बताया कि दो दिनों तक चले इस सेमिनार में 140 से ज्यादा रिसर्च पेपर पेश किए गए। इसमें बीएचयू, एलयू, एमिटी यूनिवर्सिटी समेत उत्तराखंड, बिहार, वेस्ट बंगाल और दिल्ली से आए डिफरेंट यूनिवर्सिटी के पार्टिसिपेंट्स ने टॉपिक पर बेस्ड रिसर्च पेपर पेश किए। डॉ। शुक्ला ने बताया कि जल्द ही फेमिनिज्म पर एक बुक भी पब्लिश होगी। प्रोग्राम का संचालन गौर हरी बेहेरा और धन्यवाद ज्ञापन संयुक्त रूप से डॉ। अलोक कुमार और डॉ। अवनीश राय ने किया।