- नगर निगम की 12वीं बोर्ड की मीटिंग की कार्यवाही की पुष्टि के बाद ही हो गया हंगामा

- वार्ड 64 बसंतपुर के पार्षद विजेंद्र अग्रहरि के पैर से गिरे मेज के बाद शुरू हुआ हंगामा

GORAKHPUR: नगर निगम बोर्ड की 13वीं बैठक शुक्रवार को हंगामे के बाद शोकसभा में तब्दील हो गई। पांच माह बाद हो रही मीटिंग में गोरखपुर की पब्लिक को कोई योजना तो नहीं मिली, लेकिन हंगामे के चलते उनकी गाढ़ी कमाई के 50 हजार रुपए जरूर बर्बाद हो गए।

ऐसे हुआ हंगामा

बोर्ड की कार्यवाही शुक्रवार को दोपहर 12 बजे शुरू हुई। इस दौरान 12वीं बोर्ड की कार्यवाही की पुष्टि हुई। तभी कार्यवाही में गलत निर्णय का आरोप लगाते हुए 75 प्रतिशत सदस्य खड़े हो गए। कई पार्षद मेयर के डायस के पास पहुंच गए और प्रोसीडिंग को फाड़ दिया। इस पर मेयर डॉ। सत्या पांडेय ने कहा कि इस प्रोसीडिंग को समाप्त किया जाता है और दूसरी जारी की जाएगी। तभी पार्षद विजेंद्र अग्रहरि अपनी बात रखने के लिए खड़े हुए थे कि उनके पैर से लगकर मेज गिर गया। मेज गिरते ही कई भाजपा पार्षद, सपा पार्षद पर अभद्रता का आरोप लगाते हुए डायस तक जा पहुंचे।

विवाद के बीच मेयर ने पूर्व राष्ट्रपति डॉ। एपीजे अब्दूल कलाम, पूर्व उप सभापति व विधान परिषद सदस्य सुदामा सिंह और पूर्व मनोनीत पार्षद चंद्रभूषण श्रीवास्तव के निधन पर शोक सभा की घोषणा करते हुए 21 सितंबर तक के लिए बैठक स्थगित कर दी।

13500 रुपए का नाश्ता

नगर निगम की बोर्ड या कार्यकारिणी की हर मीटिंग में पार्षदों को नगर निगम की ओर से स्टेशनरी, चाय, बिस्किट मिलता है। इसके अलावा पार्षदों को बोलने के लिए माइक और पूरी कार्यवाही की रिकॉर्डिग का वीडियोग्राफी भी होती है। नगर निगम जेई नर्वदेश्वर पांडेय ने बताया कि इस बार की मीटिंग में भोजन के बजाय केवल नाश्ते की व्यवस्था नगर निगम की ओर से की गई था। बजट कुछ ऐसा था

1000- चाय

500- बिस्किट

5000-स्टेशनरी

5500-माइक किराया

1500- वीडियोग्राफी

(नोट: सभी रकम रुपए में)

34700 रुपए वेतन में बर्बाद

नगर निगम बोर्ड की मीटिंग होने के कारण 15 अधिकारी पूरे काम छोड़कर बैठक में उपस्थित हुए थे। हंगामे के बाद बोर्ड की मीटिंग स्थगित होने के कारण यह अधिकारी भी काम नहीं कर पाए। नगर निगम के मुख्य कार्यालय की माने तो यह जो 15 अधिकारी व कर्मचारी बोर्ड की बैठक में डयूटी कर रहे थे, उनका एक दिन का कुल वेतन 34700 रुपए बरबाद हो गया।

दूसरी बार स्थगित हुई है मीटिंग

नगर निगम की मीटिंग में हंगामा कोई नई बात नहीं है। कभी पार्षद मेज पर चढ़ जाते हैं और माइक तोड़ देते हैं। नगर निगम की 8वीं बोर्ड की बैठक में वार्ड नं 59 घोसीपुरवां के पार्षद मंतालाल यादव ने तत्कालीन चीफ इंजीनियर के साथ सदन में अभद्रता की थी। तब केवल स्वास्थ्य विभाग के मसौदे पर पार्षदों ने चर्चा की थी। इसके बाद सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी गई थी। आंकड़ों के मुताबिक तब बोर्ड की मीटिंग में पार्षदों ने शहर की सफाई व्यवस्था पर चर्चा करके 84200 रुपए पानी में बहा दिया था।

इनका अलग दर्द- पुरुष पार्षद बोलने ही नहीं देते हैं

एक तरफ पूरे देश में महिला सशक्तिकरण की बातें हो रही है। वहीं दूसरी तरफ गोरखपुर नगर निगम में 26 महिला पार्षद अपनी बात भी नहीं रख पा रही हैं। इन महिला पार्षदों का कहना है कि उनको पुरुष पार्षद बोलने नहीं दे रहे हैं। शुक्रवार को भी ऐसा ही हुआ। सदन में कुल 12 महिला पार्षद तो पहुंचीं, लेकिन एक भी पार्षद अपने वार्ड की प्रॉब्लम सदन के पटल पर नहीं रख पाई।

कोई हमें बोलने ही नहीं देता है। बोलने के लिए खड़ी होती हूं तो पता चलता है कि पुरुष पार्षद ही हंगामा कर रहे हैं।

-नजमा बेगम, वार्ड नं 28 नरसिंहपुर

मैं तीन दिन से तैयारी कर रही थी कि अपने वार्ड की सफाई को लेकर मुद्दा बनाऊंगी, लेकिन बोलने से पहले ही हमारी आवाज दबा दी जा रही है।

- रंजुला रावत, वार्ड नं 29 हुमायूंपुर

मेरे वार्ड में एक बड़ा नाला पिछले एक साल से अधूरा पड़ा हुआ है, इसको सदन में उठाने की सोची थी। न बोलने के कारण कई मेरे वार्ड की प्रॉब्लम जस की तस बनी हुई है-

आरती श्रीवास्तव, वार्ड नं। 45 हांसूपुर

सदन के पुरुष अपने आगे किसी और का सुनने को तैयार ही नहीं है। हम अपने वार्ड की प्रॉब्लम लेकर जाते तो हैं, लेकिन सदन में रख नहीं पाते।

- शगुन मिश्रा, वार्ड नं 26, रेलवे बिछिया कॉलोनी

12वीं बैठक की कार्यवाही पर चर्चा करने के बाद सदन ने शोक सभा करके मीटिंग को 21 सितंबर तक के लिए टाल दिया है।

- डॉ। सत्या पांडेय, मेयर