- जमाने के साथ कदम मिलाने के लिए हाउसवाइफ सीख रही हैं इंग्लिश स्पीकिंग कोर्स, साथ में संभाल रही हैं गृहस्थी
-कोचिंग संचालक हाउस वाइफ के लिए चला रहे हैं अलग से बैच
GORAKHPUR: एजुकेशन सिस्टम लगातार अपग्रेड होता जा रहा है। हाईटेक टेक्नोलॉजी का यूज और इंग्लिश स्पीकिंग आम बात हो चुकी है। स्कूलों का कल्चर कुछ ऐसा चेंज हुआ है कि छोटे से छोटा बच्चा आज फर्राटेदार इंग्लिश बोल रहा है। अपग्रेड होते एजुकेशन सिस्टम ने पेरेंट्स की प्रॉब्लम बढ़ा दी है। इसमें सबसे ज्यादा परेशानी, घर का कामकाज संभालने वाली हाउसवाइफ को हो रही है। बच्चे की परवरिश और चूल्हे चौके के चक्कर में उन्होंने जो कुछ भी सीखा, उसे भूलने की कंडीशन आ चुकी है। इसको देखते हुए कुछ हाउसवाइफ ने नई पहल की है। उन्होंने हाईटेक एजुकेशन सिस्टम के साथ कदम मिलाकर चलने के लिए खुद को भी अपग्रेड करना शुरू कर दिया है। इसके लिए उन्होंने जहां कंप्यूटर क्लास ज्वाइन की है, वहीं इंग्लिश स्पीकिंग कोर्सेज में भी उन्होंने इंटरेस्ट दिखाना शुरू कर दिया है।
ताकि बेटे को दे सकें स्पेशल गिफ्ट
स्कूलों में बच्चे की रिपोर्ट देने के लिए वीकली बेसिस पर पेरेंट्स-टीचर मीटिंग ऑर्गेनाइज की जाती है। स्कूल के माहौल में बच्चे तो बेधड़क इंग्लिश बोलने लगते हैं, लेकिन कई बार ऐसा होता है कि प्रैक्टिस छूट जाने की वजह से पेरेंट्स लड़खड़ाकर या टूटी फूटी इंग्लिश बोलते हैं। उससे उनका काम तो चल जाता है, लेकिन बच्चों को कई बार ऐसा फील होता है कि उनके पेरेंट्स प्रॉपर इंग्लिश नहीं बोल पा रहे हैं, जिससे उनकी इनसल्ट हो रही है। तारामंडल की रहने वाली पूर्णिमा त्रिपाठी अपने चार साल के बेटे सूर्य मणि त्रिपाठी की खुशी के लिए इंग्लिश स्पीकिंग कोर्स कर रही हैं। वह अपने लाडले को 4 अक्टूबर को पड़ने वाली उसकी बर्थडे पर स्पेशल गिफ्ट देने के लिए ऐसा कर रही हैं। पूर्णिमा बताती हैं उन्हें अपने बेटे से बेहद प्यार है। उसकी खुशी के खातिर वह कुछ भी कर सकती हैं। उन्होंने पढ़ाई छोड़े दस साल से ज्यादा का वक्त बीत चुका है, लेकिन बेटे की खुशी की वजह से उन्होंने फिर से पढ़ना स्टार्ट कर दिया है।
इंग्लिश स्पीकिंग सीखने की लगी है होड़
हाईटेक जमाने से कदम मिलाने के लिए पेरेंट्स ने कदम बढ़ाया, तो वहीं इंस्टीट्यूशंस ने भी उनके लिए खास इंतजाम करने शुरू कर दिए हैं। इंग्लिश स्पीकिंग कोर्स कराने वाले इंस्टीट्यूशंस ने तो हाउसवाइफ के लिए अलग से बैच तक स्टार्ट कर दिए हैं। सिविल लाइंस स्थित ब्रिटिश आईटी जोन के डॉयरेक्टर अखिलेश सिंह बताते हैं कि पहले पिछले पांच साल में जनरल स्टूडेंट्स के मुकाबले हाउसवाइफ इंग्लिश स्पीकिंग कोर्स करने आती हैं। इसके पीछे मकसद यह है कि वह खुद को बेहतर कर सकें साथ ही अपने बच्चे को भी फ्लूएंट इंग्लिश सिखा सकें। लगातार शादीशुदा महिलाओं की तादाद को बढ़ता देख नए स्पेशल बैच चलाए जाते हैं। उसमें सिर्फ शादी शुदा महिलाओं को ही इंग्लिश सिखाई जाती है।
पहले होती है दिक्कत लेकिन बाद में हो जाती हैं परफेक्ट
इंग्लिश स्पीकिंग कोर्स संचालकों की मानें तो शुरूआती दौर में शादीशुदा महिलाओं को इंग्लिश सीखने में दिक्कत आती है, लेकिन ज्यों-ज्यों दिन बीतता जाता है वह फ्लूएंट होती जाती हैं। बेसिक जानकारी हो जाने से वह संटेंस मिलाकर कनवर्सेशन के दौरान इंग्लिश में बातचीत शुरू कर देती हैं। पहले तो वह टूटी-फूटी इंग्लिश बोलती हैं, लेकिन बाद में उनकी रवानी बेहतर हो जाती है। देखा जाए, तो टीनएजर्स और स्टूडेंट्स के मुकाबले वह ज्यादा तेजी से इंग्लिश सीखती हैं।
बच्चों को पढ़ाने में काफी दिक्कत होती है। पढ़ाई छोड़े भी काफी दिन हो गए, लेकिन वक्त की जरूरत के हिसाब से इंग्लिश बोलना बेहद जरूरी है। मैं अपने बच्चे को फ्लूएंट इंग्लिश सीखा सकूं, इसके लिए मैं खुद इंग्लिश स्पीकिंग कोर्स कर रही हूं। मेरे बेटे ने मुझसे कई बार इंग्लिश बोलने के लिए कहा। उसकी खुशी के खातिर मैं पढ़ाई कर रही हूं।
- प्रमिला, हाउस वाइफ
इंग्लिश ग्लोबल लैंग्वेज है। ऐसे में बच्चे को इंग्लिश बोलना आना चाहिए। बेटे संकल्प को अच्छी इंग्लिश सीखा सकूं, इसके लिए मैंने भी स्पीकिंग कोर्स सीखने की ठान ली है। यहां तक की हर दिन मैं सुबह स्पीकिंग कोर्स के लिए इंस्टीट्यूट आती हूं।
- विनीता सिंह, हाउस वाइफ