- नामांकन के दौरान पिपराइच ब्लॉक कैम्पस में दौड़ाया पुलिस वालों को छकाया था
- डर के मारे विधायक, एसडीएम व अन्य अधिकारी को छुपना पड़ गया था
GORAKHPUR:
सबको डराने वाले बंदर की आदत ने उसकी आजादी छीन ली। बंदर आम आदमी और माननीय, साहब में फर्क नहीं कर पाया और उसने गलत पंगा ले लिया। शनिवार को प्रशासन ने सिर्फ उस बंदर को पकड़ने पर 15 हजार रुपए खर्च कर दिए। बाहर से आई टीम ने उसे आखिर पकड़ ही लिया।
मीडियाकर्मी पर किया था हमला
शुक्रवार को नामांकन प्रक्रिया के दौरान ब्लॉक कैम्पस में एक काला बंदर घुस आया था। वह लोगों को दौड़ा रहा था। एक मीडियाकर्मी को काट लिया। उसके आतंक से कैम्पस में मौजूद विधायक, एसडीएम व अन्य अधिकारियों को अपनी जान बचाकर छुपना पड़ गया। वहीं पुलिस वालों को भी बंदर ने काफी छकाया। एसडीएम ने वन विभाग से बात कर एक्सपर्ट्स की टीम मांगी। रविवार को टीम पिपराइच पहुंची और दो बंदरों को पकड़कर ले गई।
मांग रहे थे 30 हजार
एसडीएम सदर पंकज वर्मा के आदेश पर शनिवार को पिपराइच में टीम ने अपना जाल बिछाया। काफी प्रयास के बाद दो बंदर पकड़ लिए गए। टीम इसके लिए 30 हजार रुपए मांग रही थी। एसडीएम ने बात की तब जाकर 15 हजार रुपए में सौदा पटा। यह खर्च पिपराईच ब्लॉक व सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र ने उठाया। टीम बंदर को लेकर कैंपियरगंज ले गई।
छह माह से आतंक
पिपराइच ब्लॉक क्षेत्र में बंदरों का आतंक पिछले छह माह से है। आए दिन बंदर किसी को दौड़ा लेते हैं। किसी को काट लेते हैं। कई बार गुहार लगाने के बाद भी वन विभाग ने कोई कार्रवाई नहीं की थी। सिर्फ यही नहीं, आसपास के क्षेत्रों में भी बंदर, जंगली सुअर, आवारा कुत्तों, सांड़ों व अन्य जानवरों का आतंक है लेकिन इन्हें पकड़ने के लिए कोई प्रयास नहीं किया जा रहा। चर्चा है कि यदि बंदर ने साहबों को न डराया होता तो वह भी न पकड़ा जाता।