गोरखपुर (ब्यूरो)।यह सेटेलाइट गुरु गोरक्षनाथ के नाम से होगा। इससे स्टूडेंट्स नदियों पर स्टडी कर सकेंगे। यूनिवर्सिटी 2024 में उत्तरायण के बाद इसे लॉन्च करने की योजना बना रही है।
पांच किलो का होगा सेटेलाइट
यूनिवर्सिटी की योजना के मुताबिक उनका सेटेलाइट पांच किलोग्राम का होगा। इसके लिए यूनिवर्सिटी ने 21 मेंबर्स की की टीम बनाई है। इलेक्ट्रानिक्स डिपार्टमेंट के एचओडी प्रो। एसके सोनी कोऑर्डिनेटर और केमिकल इंजीनियङ्क्षरग डिपार्टमेंट के एचओडी प्रो। वि_ल एल गोले को-कोऑर्डिनेटर होंगे। इसमें इलेक्ट्रानिक्स, कंप्यूटर, इलेक्ट्रिकल, सिविल और केमिकल डिपार्टमेंट मिलकर काम करेंगे। इस टीम में स्पेशियालिस्ट के तौर पर इसरो के कुछ साइंटिस्ट्स भी काम करेंगे।
नदियों के पॉल्युशन पर स्टडी
सेेटेलाइट के जरिए यूनिवर्सिटी का उद्देश्य है नदियों के पॉल्युशन की स्टडी करना। इसके अलावा इस सेटेलाइट के जरिए स्टूडेंट्स नदियों के पास अतिक्रमण, उससे होने वाले नुकसान और नदियों में रासायनिक पदार्थों के संतुलन पर स्टडी करेंगे। यूनिवर्सिटी की योजना है कि सेटेलाइट और उसका ग्राउंड स्टेशन इस साल के अंत तक तैयार कर लिया जाए।
दायरे में पूरी दुनिया
सेटेलाइट बनाने की योजना से पहले यूनिवर्सिटी के टीचर्स ने ड्रोन के जरिए कृषि भूमि की गुणवत्ता व उसकी जरूरत का आकलन कराया। उसी दौरान ड्रोन निर्माण वाली टीम इस निर्णय पर पहुंची कि जब निचले वायुमंडल में ड्रोन के इस्तेमाल से स्थानीय स्तर पर भूमि के अध्ययन की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा सकता हो तो अगर अपनी सेटेलाइट होगी तो यूनिवर्सिटी की स्टडी के दायरे में पूरी दुनिया आ जाएगी। इसे लेकर विस्तृत जानकारी के लिए यूनिवर्सिटी ने कॉलेज आफ इंजीनियङ्क्षरग पुणे से संपर्क किया, जो अपनी एजुकेशनल सेटेलाइट लांच कर चुका था। कॉलेज से मिली सलाह के आधार पर ही यूनिवर्सिटी ने अपनी सेटेलाइट लांङ्क्षचग योजना को आगे बढ़ाया।
यूनिवर्सिटी ने गुरु गोरक्षनाथ के नाम से अपने एजुकेशनल सेटेलाइट को लॉन्च करने की तैयारी शुरू कर दी है। इसके लिए इसरो से बातचीत चल रही है। इससे स्टूडेंट्स सेटेलाइट के बारे में जानेंगे और साथ ही नदियों के पॉल्युशन और अतिक्रमण पर स्टडी करेंगे। 2024 में इसे उत्तरायण के बाद लॉन्च करने की योजना है।
प्रो। जेपी पांडेय, वीसी, एमएमएमयूटी